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Sonu Gedha Case of Jhansi: सीबीसीआईडी के अफसर भी फंस सकते हैं जांच के घेरे में, एक दूसरे की दुश्मन हो गई यूपी की खाकी

Sonu Gedha Case of Jhansi: झाँसी के सोनू गेढ़ा के मामले को लेकर यूपी की खाकी (UP police) ही एक दूसरे की दुश्मन हो गई है। सीबीसीआईडी और यूपी पुलिस ने खींचातानी शुरु कर दी है।

B.K Kushwaha
Published on: 16 Jun 2022 11:00 PM IST
In Jhansis Sonu Gedha case, CBCID officers may also be trapped under investigation.
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झांसी का सोनू गेढ़ा प्रकरण: Photo - Newstrack

Jhansi News: झाँसी के सोनू गेढ़ा (Sonu Gedha of Jhansi Case) के मामले को लेकर यूपी की खाकी (UP police) ही एक दूसरे की दुश्मन हो गई है। सीबीसीआईडी और यूपी पुलिस (CBCID and UP Police) में उक्त मामले को लेकर खींचातानी शुरु कर दी है। एक दूसरे पर तमाम तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। यही नहीं, गठित की गई टीम ने मुख्यालय में बैठकर अपनी जांच पूरी कर ली है। हालांकि उक्त मामले में सेवानिवृत्त हुए इंस्पेक्टर तक की बयान अंकित नहीं किया है। इस मामले में सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर ने सीबीसीआईडी को महानिदेशक को पत्र देकर न्याय की मांग की थी मगर इस बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया।

नवाबाद थाने के पहले कोतवाली में दी गई थी तहरीर

कानपुर खंड के सीबीसीआईडी के निरीक्षक इंद्रजीत राय (Inderjit Rai, Inspector of CBCID, Kanpur Division) ने नवाबाद थाने में दर्ज किए गए मुकदमा की पहली तहरीर कोतवाली में दी गई थी। तहरीर में कहा था कि थाना कोतवाली में पंजीकृत मुख्य अपराध संख्या-344/ 2018 धारा / 147,148,149,302,307, 506 भादवि की विवेचना निरीक्षक जय प्रकाश यादव अपराध शाखा अपराध अनुसंधान विभाग खंड कानपुर द्वारा सम्पादित की जा रही थी।

मामले में उक्त निरीक्षक द्वारा केसडायरी दिनांक 12 जून 2020 में अंकित किया गया है कि नामजद अभियुक्त सचिन गुप्ता उर्फ सोनू गेढ़ा आदि की जांच गहराई से छानबीन करके सम्पन्न की गई तो पाया गया कि सचिन गुप्ता उर्फ सोनू गेढ़ा अपने साथियों के साथ गोवा घूमने गया। गोवा में दिनांक 17 जुलाई 2018 से 21 जुलाई 2018 तक होटल कादम्बा में ठहरा था। 21 जुलाई 2018 की रात्रि में गोवा से चलकर दिल्ली गया था।

हवाई यात्रा की टिकटें व होटल में ठहरने की किराए की रसीदें आदि प्रपत्र उपलब्ध कराया है। जिससे यह प्रभावित हो गया है कि घटना की तिथि 21 जुलाई समय 1.30 बजे अपराह्न उसकी उपस्थिति घटना स्थल पर झाँसी में नहीं थी, बल्कि गोवा में थी। इस आधार पपर सचिन गुप्ता उर्फ सोनू गेढ़ा की घटनाक्रम में संलिप्तता एवं सहभागिता नहीं पायी गयी है।

इस केसडायरी के पर्चे की छात्रावृत्ति अभियुक्त सचिन गुप्ता के विद्धान अधिवक्ता द्वारा प्रार्थना पत्र के साथ न्यायालय में दाखिल की गयी है। उक्त अवलोकन से स्पष्ट है कि प्रथम दृष्टया एेसा प्रतीत होता है कि संबंधित विवेचक द्वरा विवेचना की सुचिता बरकरार नहीं रखी गयी और उसका उल्लघंन किया गया है। उक्त संबंध में सीजेएम द्वारा सबंधित विवेचक का कृत्य की धारा 173 (3) का उल्लघंन मानते हुए संबंधित विवेचक के खिलाफ कार्रवाई किए जाने हेतु 14 अक्तूबर 2020 को डीएम झाँसी को पत्र लिखा जिसके क्रम में डीएम झाँसी द्वारा अपर पुलिस महानिदेशक अपराध शाखा, अपराध अनुसंधान विभाग मुख्यालय लखनऊ को 18 अक्तूबर 2020 को पत्र प्रेषित किया गया।

चार सदस्यीय कमेटी की गई थी गठित

इस पर पुलिस महानिदेशक के निर्देनुसार डीआईजी/पुलिस अधीक्षक अपराध शाखा अपराध अनुसंधान विभाग कानपुर द्वारा चार सदस्यीय कमेटी गठित की गई थी। कमेटी में एसपी राहुल राज, एएसपी शंभू शरण यादव, सीओ जगदीश प्रसाद यादव, निरीक्षक आजाद सिंह केसरी को रखा गया था। कमेटी द्वारा पत्रावली सीबी 170/19 संबंधित अपराध क्रमांक 344/2018 धारा 147 आदि थाना कोतवाली का परिशीलन किया गया जिसमें कमेटी द्वारा पाया गया कि प्रकरण की अंतिम प्रगति आख्या दिनांक 6 जनवरी 2021 को तत्कालीन डीजी द्वारा अनुमोदित की गई।

उक्त अनुमोदन के पूर्व ही विवेचक जय प्रकाश यादव द्वारा अभियुक्त सचिन गुप्ता के संबंध में अंतिम रुप से स्वविवेक से उसके पक्ष में निष्कर्ष निकालते हुए केसडायरी का पर्चा किता किया गया और उसकी प्रति अभियुक्त पक्ष को उपलब्ध कराया जाना दर्शित हो रहा है। निरीक्षक जय प्रकाश यादव द्वारा लोक सेवक होते हुए किसी व्यक्ति का वैध दंड के बचाने के आशय से या सम्माव्यता तद द्वारा बचायेगा। यह जानते हुए विधि के निर्देश की अवज्ञा की, साथ ही किसी व्यक्ति को वैध दंड से बचाने के आश्य से यह सम्माव्यता तद द्वारा बचायेगा, यह जानते हुए अशुद्ध लेख रचा, इस प्रकार उक्त निरीक्षक द्वारा प्रथम दृष्टया की धारा 217/218 के अधीन दंडनीय अपराध कारित किया गया।

जांच कमेटी ने भी सोनू गेढ़ा को घटना में सम्मिलित होना नहीं पाया था?

सूत्र कहते हैं जांच कमेटी ने जैसे ही जांच शुरु की तो उन्होंने सारे दस्तावेज चेक किए थे। नवाबाद थाना क्षेत्र (Nawabad police station area) के कचहरी के पास घटित घटना में सोनू गेढ़ा को सम्मिलित होना नहीं पाया था। यह बात जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहीं है। जांच कमेटी में इस असुध्य लेख बताकर एफआईआर दर्ज कराई है, जो कि तथ्य अभिलेख आधार पर मेल नहीं खाती है। सूत्रों का कहना है कि कमेटी ने सेवानिवृत हुए निरीक्षक जे पी यादव के बयान तक लिए हैं। इस मामले में सेवानिवृत्त निरीक्षक जे पी यादव ने सीबीसीआईडी के महानिदेशक को पत्र देकर न्याय की मांग की थी मगर इस शिकायती पत्र पर भी बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया है।

31 जुलाई 2020 को सेवानिवृत्त हो चुके थे जयप्रकाश यादव

सूत्र कहते हैं कि 31 जुलाई 2020 को तत्कालीन विवेचक जे पी यादव सेवानिवृत्त हो चुके थे। उन्होंने अपनी विवेचना संबंधी दस्तावेज सीबीसीआईडी कार्यालय में जमा कर दिए थे। इनके बाद वीरेंद्र तिवारी को विवेचना 14 जुलाई 2022 को दी गई थी। इस विवेचना को वीरेंन्द्र तिवारी ने ग्रहण कर ली थी। सूत्र कहते हैं कि एक माह तक वीरेंद्र तिवारी द्वारा विवेचना की गई। इनके बाद सितंबर 2020 को निरीक्षक हरेराम यादव को वीरेंद्र तिवारी ने आवंटित कर दी। माह अगस्त 2020 से लेकर 2021 तक विवेचना समाप्त होने तक हरेराम यादव द्वारा विवेचना की गई।

दो विवेचकों को दोषी क्यों नहीं माना?

सूत्रों का कहना है कि सीबीसीआईडी द्वारा गठित की गई टीम ने अगर जेपी यादव को दोषी माना तो दो विवेचकों को दोषी क्यों नहीं माना है, जबकि जे पी यादव रिटायर्ड होने के पहले उक्त विवेचना के कागजात अदालत में दाखिल कर चुके थे। उनके सेवानिवृत्त के बाद दो विवेचकों के पास पूर्व पत्रावली थी। इनमें दोषी क्यों नही बनाया गया। विवेचनाधीन समय में अदालत में फोटो कापी प्रस्तुत की गई है। 14 अक्तूबर 2020 में मौजूद विवेचक हरेराम से अदालत स्पष्टीकरण, नोटिस देकर इस तथ्य को संज्ञान में ले सकते थे। साथ ही उक्त घटना सोनू गेढ़ा साक्षी है इनसे भी पूछताछ की जा सकती थी मगर क्यों नहीं की?। इन तथ्यों समेत अन्य बिन्दू भी शामिल है।

ऐसे हुई थी घटना

कोतवाली थाना क्षेत्र के मजदूर वाली गली में रहने वाले संजय वर्मा अपने गनर आदि के साथ अदालत में पेशी करके घर की तरफ लौट रहा था, तभी कचहरी के पास ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। इसमें संजय वर्मा के गनर की मौत (Gunner's death case) हो गई थी। इस मामले में नवाबाद थाने में कमलेश यादव, सरदार सिंह गुर्जर, सोनू गेढ़ा आदि के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले की विवेचना की गई।

कॉल डिटेल निकाली गई तो नामजद 12 अभियुक्तों में छह लोगों के नाम गलत पाए गए थे। विवेचना में अलीगढ़, पंजाब समेत अन्य स्थानों के अभियुक्तों के नाम प्रकाश में आए थे। इनमें रोहित उर्फ रोहतास, सागर राजा, मोंटू आदि लोग शामिल थे। इन आरोपियों को पुलिस ने दिल्ली समेत अनेकों स्थानों पर दबिश देकर गिरफ्तार भी किया था। रिमांड पर भी लिया गया था। इन अभियुक्तों ने संजय वर्मा पर गोलियां चलाने की बात स्वीकार की थी। इस आधार पर चार्जशीट भी अदालत में दाखिल कर दी गई थी।

Shashi kant gautam

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