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सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव बोले, स्वतंत्रता दिवस पर एक बात ‘आधी आबादी’ की स्वतंत्रता की

Akhilesh Yadav : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने आधी आबादी यानी महिलाओं को लेकर खुलकर बात की।

Rajnish Verma
Published on: 15 Aug 2024 9:30 PM IST (Updated on: 15 Aug 2024 9:35 PM IST)
Hapur News
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Akhilesh Yadav (Pic: Social Media)

Akhilesh Yadav : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने आधी आबादी यानी महिलाओं को लेकर खुलकर बात की। उन्होंने लिखा कि नारी, महिला, स्त्री या बहन, बेटी, बहू चाहे जो कह लें, इन सबमें एक बात समान है कि बड़े-बड़े दावों के बीच भी इनके लिए भयमुक्त स्वतंत्र वातावरण नहीं बन पा रहा है।

उन्होंने अपनी पोस्ट में आगे लिखा, सवाल सिर्फ़ ये नहीं है कि इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है, सवाल ये भी है कि ये कब और कैसे मुमकिन होगा। अक्सर ज़िम्मेदारी तय करने की बात लोगों को बीती घटना तक ही सीमित कर देती है। जिसमें घटना की बात तो होती है पर उसकी मूल वजहों पर बात नहीं होती। इसीलिए बात समस्या में उलझकर रह जाती है, सार्थक समाधान की बात नहीं कर पाती है। इसी वजह से समय की मांग ये है कि प्रश्न में वर्तमान की चिंता के साथ-साथ सच्चे समाधान की बात आज से ही शुरू होनी चाहिए। इसके लिए व्यक्तिगत सोच से शुरुआत करनी पड़ेगी, जो परिवार, समाज और फिर देश के स्तर पर बदलाव लाएगी।

उन्होंने आगे लिखा, नारी की गरिमा को किसी भी प्रकार जो ठेस पहुंचती है फिर वह चाहे मानसिक हो या शारीरिक, उसके पीछे सदैव कोई नकारात्मक सोच होती है। जो कभी किसी को कमतर मानने की सोच हो सकती है या हीन भावना से देखने की। इसीलिए सुधार के लिए एक बड़ी मानसिक क्रांति की ज़रूरत है। जिसकी शुरुआत शिक्षा ही से करनी पड़ेगी, जो लड़के-लड़की के भेद को मिटाए, बराबरी का भाव लाए, इसके लिए चाहे नयी कहानियाँ या नयी कविताएं, नये सबक या नये पाठ लिखने पड़ें। ये बीज-प्रयास करने ही पड़ेंगे।

सपा सुप्रीमो ने लिखा, इसके लिए नारी पर एकतरफ़ा पाबंदी की बात भी नारी-उत्पीड़न का ही एक और रूप है। शर्तों के नाम पर जीवन की स्वतंत्रता नहीं छीनी जा सकती है। शिक्षण संस्थानों से लेकर खुले व कार्य स्थलों तक, हर जगह नारी-सुरक्षा के लिए नयी चेतना जगानी होगी, सार्थक व्यवस्थाएं करनी होंगी। सरकारों को इसके लिए आगे आना होगा। हर तरफ़ सुरक्षा व्यवस्था को चौकन्ना करना होगा। यदि संकीर्ण राजनीति का हस्तक्षेप न हो और ऐसी घटनाओं का राजनीतिकरण करके सियासी रोटी न सेंकी जाए तो आधी समस्या ख़ुद-ब-ख़ुद सुलझ जाएगी, क्योंकि तब कोई गुनाहगार ये नहीं सोचेगा कि वो कुछ गलत करने के बाद सत्ता का संरक्षण पाकर बच पाएगा। नारी-अपराध के मुजरिम को जब ये पता होगा कि उसको गले में हार डालकर बचाने वाला कोई नहीं है और उसे सख़्त सज़ा मिलेगी तो अपराधियों का मनोबल चूर-चूर हो जाएगा। नारी-अपराध की घटनाओं पर विचारधारा के नाम पर दूर से मुंह मोड़कर, अंधे बने रहना और ऐसे कुकृत्यों पर सुविधाजनक चुप्पी साध लेना अब और नहीं चलने वाला।

अखिलेश यादव ने अपनी पोस्ट में कहा कि महिला-अपराधों के मामलों में नारी को सिर्फ़ नारी मानकर देखना होगा। पीड़िता की पारिवारिक, सामाजिक, वैचारिक, आर्थिक, सामुदायिक पृष्ठभूमि देखकर जो लोग अपनी प्रतिक्रिया दें, उन्हें पक्षपाती मानना चाहिए। ऐसे में वो भी कहीं-न-कहीं उस अपराध के आंशिक हिस्सेदार बन जाते हैं, क्योंकि इससे ये साबित होता है कि उनकी संवेदना नारी की गरिमा, स्वतंत्रता, सुरक्षा, संरक्षा जैसी मूल भावनाओं से नहीं जुड़ी है बल्कि वो अपने पक्ष तक सीमित है। ऐसे लोग नारी के विरुद्ध हो रहे अपराधों में सीधे नहीं मगर मानसिक हिंसा के गुनाहगार ज़रूर होते हैं।

उन्होंने कहा कि नारी की स्वतंत्रता और सुरक्षा के हनन के मामलों में न्यायिक प्रक्रिया को सबसे अधिक तीव्रता से कार्य करने की माँग अब आवश्यकता नहीं, अपरिहार्यता बन गयी है। न्याय में देरी ताक़तवर गुनाहगारों को और भी ताक़त देती है। सबूत से लेकर गवाह तक बदलने के मौके देती है। साथ ही तरह-तरह के दबावों को जन्म देती है। न्यायालय की देखरेख में पीड़ितों और गवाहों की सुरक्षा के लिए नये सुरक्षा-प्रबंध करने होंगे, तभी सही मायनों में नारी अपनी सामर्थ्य दिखा पाएगी… परिवार, समाज और देश-दुनिया के विकास में अपनी भूमिका निभा पाएगी… सच्चा स्वतंत्रता दिवस मना पाएगी।



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Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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