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पारदर्शिता व अखंडता के लिए न्यायाधीशों का बोलना सहीः जस्टिस डीपी सिंह

आर्म्ड फोर्सेज टिब्यूनल के मुखिया न्यायमूर्ति डीपी सिंह ने गुरुवार (18 जनवरी)को कहा कि आपका अनुभव न्याय नहीं है कानून जो कहता है वह न्याय है संविधान जो कहता है, वो न्याय है। कोर्ट में बैठकर सारे रिश्ते सारे नाते भूल जाइए। कोर्ट से बाहर आप सबके जैसे हैं लेकिन गरिमा को बरकरार रखते हुए।

tiwarishalini
Published on: 18 Jan 2018 3:52 PM IST
पारदर्शिता व अखंडता के लिए न्यायाधीशों का बोलना सहीः जस्टिस डीपी सिंह
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लखनऊ: आर्म्ड फोर्सेज टिब्यूनल के मुखिया न्यायमूर्ति डीपी सिंह ने गुरुवार (18 जनवरी)को कहा कि आपका अनुभव न्याय नहीं है कानून जो कहता है वह न्याय है संविधान जो कहता है, वो न्याय है। कोर्ट में बैठकर सारे रिश्ते सारे नाते भूल जाइए। कोर्ट से बाहर आप सबके जैसे हैं लेकिन गरिमा को बरकरार रखते हुए। उन्होंने कहा कि यदि पारदर्शिता के लिए, अखंडता के लिए न्यायाधीशों को बोलना पड़े तो इसमें क्या गलत है।

विवेकानंद जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह में उपस्थित अधिवक्ताओं और ट्रिब्यूनल के अधिकारियों को संबोधित करने के दौरान उन्होंने कहा कि हर बात के लिए कोर्ट का मुंह ताकना भी गलत है। न्यायमूर्ति ने कहा कि विरोध न करना भी गलत है, आप विरोध क्यों नहीं करेंगे। अगर आप हर मामले के लिए कोर्ट जाएंगे तो न्यायाधीश कितने फैसले सुनाएंगे। वहां तो अम्बार लगता जाएगा। अन्य देशों में हजारों लोग सड़क पर उतरकर विरोध जताते हैं। और अपनी जायज मांग मनवाते हैं। अपने अधिकारों को बहाल करवाते हैं।

न्यायमूर्ति ने कहा कि यह कहना गलत है कि हमारा समाज पुरुष प्रधान रहा। ऐसा कभी नहीं रहा। ऋषि अगस्त्य की पत्नी लोपामुद्रा ने अपनी 64 सहेलियों के साथ ऋग्वेद की रचना की। सीता राम के साथ बैठकर न्याय करती थीं। रामचरित मानस में दंडकारण्य का प्रसंग उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि सीता ने व्यभिचार और परस्त्रीगमन की सजा मृत्युदंड बतायी थी। बालि के मामले में यही हुआ और निरपराध राक्षसों की हत्या का विरोध किया था यह परम्परा आज भी है। फैसला सुनाते हुए यह देखा जाता है कि निरपराध को सजा न होने पाए।

डीपी सिंह ने कहा कि बाद में जब मूल्यों का पतन हुआ तो लोगों ने अपने बचाव के लिए कानून को शिथिल कर दिया ताकि जब वह फंसें तो बचने की गुंजाइश रहे। यह इस पर निर्भर करता है कि कौन कानून बना रहा है कौन फैसला कर रहा है। उन्होंने कहा कि जब भी कानून में शिथिलता की गई है तब तब सत्ता में बैठे लोग उसके बाद बेनकाब हुए हैं। महाभारत में युद्ध राजाओं ने लड़ा था लेकिन राम के साथ जनता लड़ी थी। यह दोनो दौर में आए मूल्यों का अंतर है।

इस अवसर पर मीडिया कर्मियों को सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम को एयर मार्शल बीपीपी सिन्हा, लेफ्ट. जनरल ज्ञानभूषण, जस्टिस एसबीएस राठौर, बार के अध्यक्ष चेतनारायण सिंह, बार के सेक्रेट्री विजयकुमार पांडे ने कार्यक्रम को संबोधित किया। अंत में भारत सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता व लिटिगेशन सेल के इंचार्ज डा. शैलेंद्र शर्मा अटल ने आभार व्यक्त किया।

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