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आजादी के इतने सालों बाद भी इनकी किस्मत में नहीं है 'उजाला'

aman
By aman
Published on: 16 Jun 2017 4:40 PM IST
आजादी के इतने सालों बाद भी इनकी किस्मत में नहीं है उजाला
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पूर्णिमा श्रीवास्तव

लखनऊ: केन्द्र व प्रदेश सरकार भले ही बड़े-बड़े दावे करे मगर हकीकत यह है कि आजादी के इतने सालों बाद भी कई गांव ऐसे हैं, जहां बिजली नहीं पहुंची है। इस कारण इन गांवों में रहने वालों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

ऐसा नहीं है कि इस बाबत जनप्रतिनिधियों व अफसरों को जानकारी नहीं है। ग्रामीण अपनी दिक्कतों को दूर करने की गुहार लगाते-लगाते थक गए मगर किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। समय-समय पर ग्रामीणों को आश्वासनों की घुट्टी जरूरी पिला दी जाती है।

..ताकि निकल सकें ढिबरी युग से बाहर

केन्द्र की मोदी सरकार डिजिटल इंडिया की बात कर रही है मगर उसका ध्यान उन ग्रामीणों पर नहीं है जिन्हें अपना मोबाइल चार्ज कराने तक के लिए दूसरे गांव में जाना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार जल्द से जल्द उनकी समस्याओं पर ध्यान दे ताकि वे भी ढिबरी युग से बाहर निकल सकें।

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मायावती सरकार के जाते ही रूठ गई किस्मत

केन्द्र सरकार के दावों के उलट सीएम के शहर गोरखपुर में अभी भी 1,400 गांव विद्युतीकरण से वंचित हैं। गोरखपुर मुख्यालय से महज 10 किमी पर स्थित राजस्व ग्राम जंगल चौरी में भी बिजली नहीं पहुंच सकी है। मायावती सरकार में गांव का चयन अंबेडकर गांव के रूप में हुआ, तो यहां की सूरत बदलनी शुरू हुई। लेकिन अखिलेश सरकार के आते ही गांव की किस्मत फिर रुठ गई। ग्रामीणों को अब योगी सरकार से उम्मीदें हैं।

किस्मत पर रोते हैं

साल 2010 में बसपा सरकार में गोरखपुर-देवरिया मार्ग पर स्थित जंगल चौरी गांव के अंबेडकर गांव बनते ही विद्युतीकरण के लिए 48 लाख रुपए जारी हो गए। हाकिम की अंबेडकर गांव की तस्वीर बदलने की नीति को देखते हुए अफसरों ने गांव के 22 टोले में 350 खंभे भी लगा दिए, लेकिन 2012 में सपा सरकार के आते ही कार्य ठप हो गया। पोल पर न तो तार दौड़े न ही ट्रांसफार्मर लगा। बगल के गांव में बिजली जलती है तो यहां के लोग अपनी किस्मत पर रोते हैं।

देश डिजिटल युग में, हम लालटेन युग में

इस संबंध में ग्रामीण जगदीश कहते हैं, कि बिजली को लेकर सरकार जब भी कोई दावे करती है तो यहां के लोग गुस्से से भर जाते हैं। ग्रामीणों ने कई बार डीएम कार्यालय पर धरना दिया, मगर सुनवाई नहीं हुई। इंटर की पढ़ाई करने वाले सुरेश चौरसिया का कहना है कि देश डिजीटल युग में जा रहा है और हमें लालटेन की रोशनी में पढ़ाई करनी पड़ती है। अलबत्ता गांव के कटियाबाजों के लिए खंभे काम के हो गए हैं। बगल के गांव को जा रहे बिजली के तार से कई लोगोंं ने केबल जोड़ लिया है।

1,400 टोलों में अभी तक नहीं पहुंची बिजली

चौरी ही नहीं जिले के करीब 1,400 टोलों में अभी तक बिजली नहीं पहुंच सकी है। 50 से अधिक गांव ऐसे हैं जहां पांच फीसदी घरों में भी बिजली नहीं पहुंची, लेकिन उसे संतृप्त बताकर कागज भर दिया गया। बिजली निगम के अधीक्षण अभियंता एके श्रीवास्तव का कहना है कि 'मामला मुख्यालय को भेज दिया गया है। किसी और योजना के तहत गांव में विद्युतीकरण की कवायद की जा रही है।'

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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