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साजिश की तरफ इशारा ! सुलगे BHU की राख से उठे कई अनसुलझे सवाल

शिक्षा के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की शान कहे जाने वाले बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में हुई छेड़खानी और उसके बाद के बवाल में अब नया मोड़ आ गया है।

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Published on: 6 Oct 2017 6:39 PM IST
साजिश की तरफ इशारा ! सुलगे BHU की राख से उठे कई अनसुलझे सवाल
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सुलगे बीएचयू की राख से उठे कई अनसुलझे सवाल अनुराग शुक्ला

लखनऊ: शिक्षा के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की शान कहे जाने वाले बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में हुई छेड़खानी और उसके बाद के बवाल में अब नया मोड़ आ गया है। newstrack.com के हाथ कुछ ऐसे कागजात और तथ्य लगे हैं जो घटना की आड़ में बीएचयू को सुलगाने की साजिश की तरफ इशारा करते हैं। कुलपति के अवकाश पर जाने के बाद दोबारा हुई छेड़छाड़ की घटना और बीएचयू के बाद लखनऊ यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की घटनाएं भी पुख्ता इशारा कर रही हैं कि यूनिवर्सिटी परिसरों में किस तरह बाहरी तत्व सक्रिय हैं।

दरअसल बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी यानी बीएचयू में जब छात्रा के साथ छेड़खानी जैसा घृणित कार्य हुआ उसके बाद छात्राओं ने इस पर अपना विरोध जताया। विश्वविद्यालय प्रशासन की माने तो छात्रा समेत सभी प्रदर्शनकारी यूनिवर्सिटी प्रशासन की कार्यवाही से संतुष्ट भी दिख रहे थे। यूनिवर्सिटी प्रशासन के कागजों की तरफ देखें तो इसके बाद पीएम के वाराणसी दौरे के मद्देनजर बाकयदे एक साजिश रची गयी दिखती है।

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कैसे हुआ घटनाक्रम ?

बीएचयू के प्रशासन के दस्तावेजों के हिसाब से 21 सितंबर 2017 को शाम 6 से 6:30 के बीच विजुअल आर्टस की एक छात्रा के साथ छेड़खानी की दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी। इस घटना के अगले दिन ही यानी 22 सितंबर 2017 से पीएम का दो दिन का प्रवास होना तय था।

घटनास्थल यूनिवर्सिटी के एम्फीथियेटर से महज 50 मीटर की दूरी पर है, जहां फुटबाल और बास्केटबाॅल के ग्राउंड्स हैं और जिसमें रात 8 बजे के बाद तक काफी लड़कियां और लड़के स्पोर्ट ड्रेस में खेलते रहते हैं। घटनास्थल से थोड़ी ही दूरी पर यूनिवर्सिटी के सुरक्षा गार्ड भी ड्यूटी पर रहते हैं और घटना के दिन भी थे।

छात्रा का आरोप है कि मोटरसाइकिल सवार युवकों, जिनको यह पहचान नहीं सकी, ने पीछे से आकर इसके साथ छेड़खानी की और भाग निकले। थोड़ी ही दूर पर बैठे गार्ड्स को इसकी भनक भी नहीं लगी। यह छात्रा छात्रावास पहुंचती है और अपने साथ की छात्राओं के साथ आकर अपनी शिकायत गार्ड से करती है। गार्ड के व्यवहार से छात्राएं बहुत असंतुष्ट थीं।

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क्या किया यूनिवर्सिटी ने, गंभीर नहीं थी पुलिस और जिला प्रशासन

घटना की सूचना मिलने पर प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्य घटनास्थल पर पहुंचते हैं। छात्रावास और प्रॉक्टर आफिस में छात्रा की शिकायत सुनकर छात्रा की शिकायत को उसी दिन लंका पुलिस स्टेशन को भेजा जाता है, जहां से यह शिकायती पत्र इस टिप्पणी के साथ वापस आता है कि उसपर छात्रा का नाम और पता स्पष्टतया अंकित किया जाए। छात्रा ने दूसरे दिन 22 सितंबर को दूसरा शिकायत पत्र दोपहर 12 बजे के करीब दिया, जिसको लंका थाने में 2 बजे पंजीकृत कर लिया जाता है। इसी दिन पीड़ित छात्रा की मां से भी सम्पर्क किया जाता है और खुद यूनिवर्सिटी प्रशासन मानता है कि उनका सहयोग भी मिला।

गौरतलब है कि 21 सितंबर की रात में एफआईआर दर्ज होने के बाद और गार्ड्स को हटाये जाने से पीड़ित छात्रा संतुष्ट थी, लेकिन दूसरी छात्राओं ने 23 सितंबर को प्रॉक्टर्स के व्यवहार पर भी असंतोष जताया। जिस पर वीसी ने प्रॉक्टर्स से स्पष्टीकरण भी अधिकारिक स्तर पर मांगा गया था। 22 से 23 सितंबर के बीच बीएचयू के रजिस्ट्रार समेत प्रशासन ने जिला प्रशासन को 5 पत्र लिखे गए। जिसमें हर बार बाहरी तत्वों आने की बात लिखी गई है। पर जिला प्रशासन की मजबूरी हो या फिर गंभीरता की अनभिज्ञता ने मामले को तूल दे दिया।

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साजिश की तरफ इशारा

दरअसल 22 सितंबर को जब पीएम वाराणसी आ रहे थे तो इसे लेकर बाकयदा एक साजिश की तरफ इशारा दिखता है। 22 को सुबह 6:30 बजे ही लगभग 150 छात्राएं यूनिवर्सिटी के सिंह द्वार पर उसी रूट पर धरने पर बैठ गईं जिसके सामने से पीएम को निकलना था। यूनिवर्सिटी ने इसकी सूचना जिला प्रशासन को दी। महिला अध्यापकों और अन्य शिक्षकों के लगातार प्रयास के बावजूद ये छात्राएं धरने से नहीं हटीं।

साजिश की तरफ इशारा टाइमिंग भी करती है। पीएम का 22 को वाराणसी में होना, उनके रुट के पास धरना इस मामले को हल करने के लिए छात्र और यूनिवर्सिटी के बीच का मामला न रहकर इसे बड़ा बनाने की कोशिश थी। माना जा रहा है कि इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में बाहरी छात्र जैसे इलाहाबाद, दिल्ली तथा बनारस की अन्य शिक्षण संस्थाओं से आए छात्र भी शामिल थे।

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इस धरने में एक युवक मृत्युंजय सिंह की मौजदगी भी कुछ गंभीर इशारा कर रही है। मृत्युंजय सिंह जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू ) दिल्ली का छात्र और कन्वीनर है। वह पूरे समय धरने में मौजूद था। उसे अधिकारियों ने भी पहचान लिया था। इसके बारे में स्थानीय मीडिया ने लिखा पर बडे शोर में यह तथ्य दब गया। बीएचयू ने घटना पर जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें लिखा है कि पूरी घटना के दौरान छात्राओं के तीन प्रतिनिधिमंडल कुलपति से मिले।

रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि छात्राओं ने स्वीकार किया उनकी सुरक्षा की मांग की आड़ में कुछ छात्र समूह आंदोलन को उग्र बनाना चाहते हैं। यही कारण है कि छात्राएं इस आंदोलन से अपने को अलग करना चाहती थी पर ऐसा करने पर उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई । उदाहरण दिया गया है कि रात में कुलपति आवास के बाहर प्रदर्शन के दौरान जब छात्राएं धरन से अलग होना चाहती थीं तो छात्र समूहों ने छात्राओं के खिलाफ गाली-गलौज की। जिससे छात्राएं कुलपति आवास से उठकर बाहर चली गईं।

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साजिश की तरफ इसलिए भी इशारा लगता है क्योंकि सबको पता था कि 22 सितंबर को पीएम कई परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगें। इनमें यूनिवर्सिटी की भी तीन परियोजनाएं शामिल थीं। कुलपति ऐसी स्थिति में यूनिवर्सिटी में नहीं रहेंगे। यह आरोप आसानी से लगाया जा सकता है कि कुलपति छात्राओं की पीड़ा से बेपरवाह समारोह में हैं।

22 सितंबर को धरने पर बैठे कुछ लोगों ने सिंह द्वार पर स्थित मालवीय जी की प्रतिमा पर कालिख पोतने की कोशिश की जिसे यूनिवर्सिटी के छात्रों ने विफल किया। क्या कालिख पोतने का काम यूनिवर्सिटी के छात्र कर सकते हैं?

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टाइमिंग भी सोची समझी

यह भी सबको पता था कि जिला प्रशासन पीएम के प्रोग्राम में व्यस्त होगा। ऐसे में प्रशासन को गंभीरता बताने और यहां तक कि इसके हिंसक होने की आशंका जताने के बाद भी जिला प्रशासन अपेक्षित सहयोग नहीं कर सकता था। 22 सितंबर की रात हुआ भी ऐसा ही। 22 की रात को की शाम को ही जिला प्रशासन को हिंसक हो रहे आंदोलन की सूचना दी गई थी, पर पीएम का दौरा होने की वजह से संभवतः फोर्स नहीं भेजी जा सकी। आंदोलन बेकाबू हो गया। छात्रों ने कुलपति को भी छात्राओं से मिलने नहीं दिया । इसी बीच महिला महाविद्यालय हाॅस्टल के तथा त्रिवेणी हाॅस्टल दोनों का गेट उपद्रवियों ने तोड़ दिया। जगह जगह परिसर में आगजनी, हिंसा, पत्थर और पेट्रोल बम फेंके गये। सामान्य स्थिति में 22 सितंबर को ही जिला प्रशासन के सहयोग से यह स्थिति आती ही न पर टाइमिंग का खेल था कि यह आंदोलन लगातार बड़ा होता गया।

23 सितंबर को पीड़ित छात्रा के साथ 10-15 छात्राओं ने कुलपति से मुलाकात की। सभी छात्राएं संतुष्ट हुईं और यह भी तय हुआ था कि रात को 8:30 बजे त्रिवेणी हाॅस्टल में सभी छात्राओं से सुरक्षा पर वार्ता होगी। वार्ता भी हुई पर इसी छात्र समूह ने कुलपति को फिर से हाॅस्टल में बुलाने की मांग कर दी। 23 को पुलिस के आने के बाद किसी तरह यह आंदोलन नियंत्रित हुआ।

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बीएचयू में इस घटनाक्रम के बाद कुलपति के छुट्टी पर जाने के बावजूद शोहदों पर लगाम नहीं लग सकी है। इसका सीधा मतलब है उपद्रवियों की नज़र कुलपति पर नहीं सरकार पर है। कैंपस तो महज एक बहाना है।



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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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