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ये हैं रियल लाइफ के बजरंगी भाईजान, 13 साल पहले गुम हो गये लड़के को ऐसे मिलाया परिवार से
शाहजहांपुर: 'बजरंगी भाईजान' का नाम आते ही सबसे पहले बात सलमान खान की होती है। लेकिन आज हम आपको धनीराम नाम के एक ऐसे शख्स के बारे मे बताने जा रहे है जो रील नहीं बल्कि रियल लाइफ का बजरंगी भाईजान है। उसने एक खोये हुए लड़के को उसके परिवार से मिलाने के लिए काफी परेशानियां झेली। लेकिन हार नहीं मानी। आखिरकार आज उसने खोये हुए लड़के को उसके परिवार से मिलाने में सफलता हासिल कर ली।
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ये है पूरा मामला
धनीराम मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के रहने वाला है। वह जम्मू कश्मीर में राज मिस्त्री का काम करता है। उसने बताया कि दो माह पहले उसके पास रंजीत नाम का एक युवक आया और उससे काम मांगने लगा। राज मिस्त्री ने युवक को काम देने के साथ रहने और खाने का भी इंतजाम कर दिया। लेकिन इसी बीच युवक को अपने परिवार की याद आने लगी। उसने अपनी आप बीती राज मिस्त्री को सुनाई और मदद की गुहार लगाई। तब धनीराम ने रंजीत को उसके परिवार के लोगों से मिलाने का फैसला किया।
ऐसे शुरू की बिछड़े परिवार से मिलाने की मुहिम
धनीराम ने राज मिस्त्री का काम छोड़कर रंजीत को उसके परिवार से मिलाने के लिए मुहिम छेड़ दी। वह रंजीत को कई शहरों में लेकर घूमते हुए बाद में शाहजहांपुर के मीडिया हाउस पहुंचा। मीडिया में इस मामले के आने के बाद लोग धीरे –धीरे उसकी मदद के लिए आगे आने लगे।
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13 साल बाद परिवार से मुलाकात
लोगों ने रंजीत के घरवालों को ढूंढने के लिए इन्टरनेट की सेवा लेना शुरू कर दिया। सोशल मीडिया में उसकी तस्वीरें और डिटेल के साथ पोस्ट अपलोड की गई। आखिरकार एक दिन रंजीत के घर का पता चल गया। लोगों ने धनीराम को रंजीत के घरवालों के बारे में बताया। उन्होंने ये भी बताया कि वह अम्बेडकर नगर के ब्लाक जलालपुर के ग्राम सुराही का रहने वाला है। उसके बाद धनीराम ने रंजीत को उसके घरवालों से मिलाने का फैसला कर लिया। आज उसने इस काम को पूरा भी कर लिया। रंजीत आज अपने घर पहुंच गया है।
ऐसे बिछड़ गया था परिवार से
रंजीत वर्मा (23) ने बताया की वह अम्बेडकर नगर जिले के जलालपुर अंतर्गत ग्राम सुराही का रहने वाला है। उसके पिता राम सिधार वर्मा गांव मे चाय का होटल चलाते थे। परिवार से बिछड़े रंजीत ने बताया कि वह पांचवी क्लास में था। उस वक्त उस वक्त उसकी उम्र करीब 10 रही होगी। उसका पढ़ाई में मन नही लगता था। स्कूल जाने पर टीचर मारते थे। उसके बाद घर आने पर स्कूल का काम न करने पर उसके पिता भी उसकी पिटाई करते थे। एक दिन उसके पिता ने काम न करने पर उसे पीटना शुरू कर दिया। इससे नाराज होकर वह स्टेशन चला गया। वहां पर एक ट्रेन पर बैठ गया। उस वक्त उसे ये नहीं पता था कि वह कहां जा रहा हैं। ट्रेन हिमाचल प्रदेश मे रूकी तो वहां पर वह एक युवक से मिला। उसको पूरी बात बताई। उसके बाद वह उसे अपने साथ ले गया और वहां पर उसके घर रहकर काम करने लगा। तभी जम्मू का रहने वाला एक आदमी हिमाचल प्रदेश आया और वह साथ जम्मू चला गया। जहां उसने कई साल तक काम किया। दो महीने पहले उसकी वहीं पर राज मिस्त्री धनीराम से मुलाकात हुई। वह उसके साथ ही काम करने लगा।