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पिता ने कहा था- हवा में उड़ना लड़कियों का नहीं है काम, बेटी उड़ाएगी इंडिगो का विमान

Aditya Mishra
Published on: 29 Aug 2018 11:00 AM IST
पिता ने कहा था- हवा में उड़ना लड़कियों का नहीं है काम, बेटी उड़ाएगी इंडिगो का विमान
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श्रीनगर: कहते है मन में अगर कुछ करने का जज्बा हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। इस उदाहरण को आज इरम हबीब ने सच साबित कर दिखाया है। कश्मीर की महिलाओं के लिए कामयाबी का नया अध्याय लिखने वाली 30 वर्षीय इरम हबीब श्रीनगर की सबसे छोटी आयु की पहली कमर्शियल पायलट हैं। वह अगले माह से इंडिगो के विमान उड़ाती नजर आएंगी।

बता दे कि उनके लिए पायलट बनाना आसान नहीं था। इसके लिए उन्हें अपने परिवार और रिश्तेदारों का विरोध सहना पड़ा था। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने सपने को पूरा किया।

बचपन में देखा था हवा में उड़ने का सपना

अलगाववादियों का गढ़ कहलाने वाले डाउन-टाउन की रहने वाली इरम हबीब के लिए कमर्शियल पायलट बनने तक का सफर आसान नहीं रहा। बिजनेसमैन परिवार की बेटी इरम ने कहा, मैं जब भी आसमान में जहाज उड़ते देखती तो मुझे बहुत अच्छा लगता। 12वीं पास की तो मैंने अपने अम्मी-अब्बू से कहा कि मैं पायलट बनना चाहती हूं। सभी मेरी बात सुनकर हैरान-परेशान हो गए। कोई भी राजी नहीं हुआ।

पिता ने कहा था जहाज उड़ाना लड़कियों का नहीं है काम

अब्बू ने कहा, जहाज उड़ाना लड़कियों का काम नहीं है। रिश्तेदार कहते थे कि कश्मीर की कोई लड़की पायलट नहीं बन सकती। सभी यहां के हालात व माहौल को लेकर अपनी-अपनी राय बनाए हुए थे। सभी चाहते थे कि मैं अपनी पढ़ाई जारी रखूं और कोई सरकारी नौकरी करूं। घरवालों के कहने पर मैंने फारेस्ट्री के कोर्स के लिए देहरादून में दाखिला लिया।

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मन में थी हमेशा से ये कसक

फारेस्ट्री में ग्रेजुएशन करने के बाद मैं वापस श्रीनगर आ गई। इसके बाद मैंने शेरे कश्मीर यूनिवर्सिटी में पीजी किया, लेकिन हमेशा मेरे मन में कसक रहती थी कि मैं क्यों अपने सपनों को छोड़ रही हूं, मुझे उन्हें पूरा करना चाहिए। मैंने पीएचडी में भी दाखिला लिया और करीब डेढ़ साल तक शौधकार्य भी किया, लेकिन मन नहीं लगता था। मैंने एक दिन अपने अब्बू से फिर बातचीत की और उन्हें समझाया। वह उस समय झट से मान गए।

छह साल बाद ख्वाहिश पूरी करने की मिली इजाजत

करीब छह साल बाद उन्होंने मुझे मेरी ख्वाहिश पूरी करने की इजाजत दी। इसके बाद पूरा घर ही मेरे साथ हो गया। मैंने अमेरिका का रुख किया और वर्ष 2016 में मियामी के एक संस्थान में पायलट की ट्रेनिंग की और वहीं से कमर्शियल पायलट का लाइसेंस भी हासिल किया। ट्रेनिंग के दौरान कई लोग ये मानने के लिए तैयार नहीं थे, कि कश्मीर की एक लड़की पायलट की ट्रेनिंग ले रही है।

नौकरी के लिए भारत को चुना

इरम हबीब कहती हैं कि मेरे पास अमेरिका में 260 घंटे की फ्लाइंग का अनुभव है। इसी आधार पर मुझे अमेरिका और कनाडा में नौकरी मिल सकती थी, लेकिन मैं भारत में काम करना चाहती थी, इसलिए वापस आ गई। इरम ने बहरीन और दुबई में एयरबस 320 में भी ट्रेनिंग ले रखी है। इस समय उन्हें भारत में दो कंपनियों इंडिगो और गो एयर से जॉब का ऑफर मिला है। संभवत: वह अगले महीने से इंडिगो के साथ जुड़ जाएंगीं। इरम ने कहा कि उनके रिश्तेदारों को अभी तक यकीन नहीं है कि मैं पायलट बन चुकी हूं।

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Aditya Mishra

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