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कर्मचारी हड़ताल का दिखा असर, भटकते रहे बस यात्री और अस्पतालों में रोगी
हड़ताली कर्मचारियों की मांग है कि केंद्र और राज्य कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल की जाए। केंद्र और राज्य कर्मचारियों को एक समान वेतन-भत्ते दिए जाएं। सातवें वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर किया जाय। सभी कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन 18 हजार करने की मांग
लखनऊ: यूपी में केंद्र और राज्य कर्मचारियों की महाहड़ताल का बड़े पैमाने पर असर देखने को मिला। सिर्फ प्रदेश में ही 12 लाख से ज्यादा राज्य कर्मचारी हड़ताल पर रहे। इसमें केंद्रीय श्रम संगठन, औद्योगिक फेडरेशन के कर्मचारियों के अलावा 250 कर्मचारी संगठन भी शामिल थे। राज्य कर्मचारी, बीएसएनएल, रोडवेज कर्मचारियों के हड़ताल में शामिल होने के कारण जनता से जुड़े काम ठप हो गए।
आगे पढ़िए पूरी खबर और देखिए हड़ताल के कुछ और फोटो...
यात्रियों की मुश्किलें
-हड़ताल में परिवहन निगम के शामिल होने से बस स्टेशनों पर भटकते यात्रियों की भारी भीड़ देखने को मिली।
-सरकारी बसें सड़कों पर न उतरने से डग्गामार वाहन यात्रियों से मनमाना किराया वसूलते दिखाई दिए।
-सबसे ज्यादा परेशानी बाहर से आने वाले या इमर्जेंसी में बाहर जाने वाले यात्रियों को हुई।
-ट्रैफिक जाम को लेकर चेयरमैन यूपीएसआरटीसी की अध्यक्षता में बैठक बुलाई। बैठक में लखनऊ के डीएम और नगर आयुक्त भी शामिल हुए।
अस्पतालों में संकट
-इस महाहड़ताल में आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों और नर्सों के शामिल होने से परेशानी बढ़ गई।
-नर्सों के हड़ताल पर जाने की वजह से अस्पतालों में मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
क्या कहते हैं संगठन
-राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने कहा कि महाहड़ताल में 12 लाख कर्मचारी शामिल हुए।
-इनमें परिषद से संबद्ध सभी संगठनों सहित निकाय और निगमों के कर्मचारी शामिल हुए।
-इसमें आवश्यक सेवाओं को छोड़कर लगभग सभी कर्मचारी शामिल थे।
-हड़ताली कर्मचारियों ने लखनऊ के हजरतगंज स्थित इलाहाबाद बैंक के परिसर में प्रदर्शन किया।
ये हैं मुख्य मांगें
-हड़ताली कर्मचारियों की मांग है कि केंद्र और राज्य कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल की जाए।
-केंद्र और राज्य कर्मचारियों को एक समान वेतन-भत्ते दिए जाएं।
-सातवें वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर किया जाय।
-केंद्र और राज्य में ठेका प्रथा बंद कर नियमित करने की मांग भी की गई।
-केंद्र और राज्य में खाली पदों पर जल्द भर्ती करने की मांग भी थी।
-सभी कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन 18 हजार करने की मांग।
-केंद्र सरकार से रेल रक्षा बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश पर रोक की मांग।
-महंगाई, खाद्य पदार्थों के वायदा कारोबार पर भी रोक लगाने की मांग।
-श्रम कानूनों को सख्ती से लागू करने की मांग।