×

राज्य कर्मचारियों की हड़ताल स्थगित, यूपी को 1800 करोड़ की चपत

By
Published on: 11 Aug 2016 7:36 AM GMT
राज्य कर्मचारियों की हड़ताल स्थगित, यूपी को 1800 करोड़ की चपत
X

लखनऊः यूपी सरकार को करीब 1800 करोड़ रुपए की चपत लगाने के बाद गुरुवार देर रात राज्य सरकार के कर्मचारियों ने दो दिन से जारी हड़ताल स्थगित कर दी। तीन दिन की हड़ताल का ऐलान उन्होंने किया था। चीफ सेक्रेटरी दीपक सिंघल से बातचीत के बाद कर्मचारी संगठनों ने हड़ताल स्थगित करने का ऐलान किया। चीफ सेक्रेटरी ने 15 दिन में राज्यकर्मियों के कैशलेस इलाज का जीओ जारी करने और अन्य मांगें पूरी करने का भरोसा दिलाया है।

लगातार दूसरे दिन चली राज्य कर्मचारियों की हड़ताल का असर गुरुवार को और गहरा गया था। अस्पतालों में सुबह तीन घंटे ठप रही चिकित्सा सेवा ने प्रदेश भर में लोगों की तकलीफ बढ़ाई। लखनऊ के लोहिया अस्पताल में इलाज न होने से नाराज मरीजों के परिजनों ने तोड़फोड़ भी की। बहरहाल, हड़ताल स्थगित होने से सरकारी विभागों में कामकाज पटरी पर आने की उम्मीद है।

परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी का कहना है कि हमारी तीन दिन की महाहड़ताल केवल संकेत है अगर सरकार ने हमें मजबूर किया तो हम अनिश्चित कालीन महाहड़ताल पर जा सकते हैंं।

-अधिकारी कर्मचारी महापरिषद समेत कई अन्य संगठनों का समर्थन मिला।

-दो दिनों की महाहड़ताल में रजिस्ट्री से 400, वाणिज्यकर से 800, आबकारी से 200,आरटीओ से 300, राजस्व (मंनोरंजन कर, बचत, खनन, रायल्टी, बैंक, स्टाम्प) से 200 करोड़ की राजस्व हानि का अनुमान।

-परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि दो दिनों में महाहड़ताल के चलते 300 करोड़ का भुगतान नहीं हुआ और 426328 मस्टर रोल फीड नहीं हो पाए है।

-इससे लगभग 8 करोड़ की मनरेगा मजदूरों की मजदूरी का भुगतान नही हो पाया है।

-चिकित्सा सेवा लड़खड़ाई, तीन घंटे कार्य बहिष्कार रहा।

-12 को इमरजेंसी छोड़कर सभी सेवाएं पूर्णतः बंद रहेंगी।

-12 अगस्त को डा. राम मनोहर लोहिया चिकित्सालय पर बड़ी सभा होगी।

प्रमोशन, वेतन विसंगतियों की मांग पूरी नहीं होने से कर्मचारी नाराज हैं। यूपी में कर्मचारी नवंबर 2013 में 11 दिनों की महा हड़ताल कर चुके हैं।

250 संगठनों का समर्थन

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी और प्रदेश महामंत्री अतुल मिश्रा की मानें तो इस महाहड़ताल को प्रदेश के 250 कर्मचारी व शिक्षक संगठनों का समर्थन मिला। तिवारी ने यह भी कहा कि यदि अब भी उनकी मांगे पूरी नहीं हुई तो अनिश्चितकालीन हड़ताल के बारे में विचार किया जाएगा।

इन मांगों पर दी गई सहमति पर आदेश नहीं

-पूर्व में की गई सेवाओं तदर्थ अंशदायी, सामयिक, वर्कचार्ज, दैनिक वेतन, अतिथि वक्ताओं की अवधि को जोड़कर पेंशन का लाभ।

-चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पदों को पुनर्जीवित किया जाना।

-केंद्रीय कर्मचारियों के समान एचआरए मिले।

-पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल की जाए।

-फील्ड कर्मचारियों को काम के आधार पर मोटर साइकल भत्ता दिया जाए।

-ठेकेदारी व्यवस्था को खत्म कर सीधी भर्ती शुरू हो।

-सभी राज्य कर्मचारियों को कैशलेस इलाज की सुविधा दी जाए।

-सफाईकर्मियों को प्रधानों से मुक्त कर प्रोन्नति दी जाए।

-नायब तहसीलदार के पदों पर राजस्व संग्रह अमीनों की सीधे प्रोन्नति।

ये मांगे अभी तक नहीं हुई पूरी

सफाईकर्मियों को प्रधानों से मुक्‍त कर प्रोन्‍नति दी जाए ।

नायब तहसीलदार के पदों पर राजस्‍व संग्रह अमीनों की सीधे प्रोन्‍नति सभी राज्‍य कर्मचारियों को कैशलेस इलाज की सुविधा दी जाए।

बुधवार को दिखा हड़ताल का असर

हड़ताल का असर पहले दिन ही प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में नजर आया। लगभग 60 फीसदी विभागों में कामकाज ठप रहा। दूसरे दिन भी हड़ताल जारी रहने से सरकारी दफ्तरों में आम लोगों का काम नहीं हो सका।

Next Story