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राज्य कर्मचारियों की हड़ताल कोर्ट ने की अवैध घोषित
वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने कोर्ट को बताया कि सरकार स्वयं हड़ताल पर सख्त है और केवल दस प्रतिशत कर्मचारियेां के हड़ताल पर जाने की सूचना है।
लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनउ खंडपीठ ने राज्य कर्मचारियेां की हड़ताल को अवैध घोषित कर दिया है। केार्ट ने कहा है कि न तो केाई कर्मचारी यूनियन हड़ताल करेगी और न ही किसी कर्मचारी को हड़ताल के लिए प्रेरित करेगी।
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इसके अलावा कोर्ट ने राज्य सरकार केा भी निर्देश दिया है कि यदि कोई कर्मचारी या यूनियन हड़़ताल पर जाती है तेा उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जाये। कर्मचारियेां की हड़ताल पर सख्ती के साथ साथ कोर्ट ने उनकी मांगो के प्रति सहानुभूूति दिखाते हुए सरकार को आदेश दिया है कि कर्मचारियेां की मांगो पर विचार करने के लिए एक मैकेनिज्म विकसित किया जाये और उनकी मागों पर विचार किया जाये।
हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारियों के खिलाफ सरकार को दिया कार्यवाही का आदेश
यह आदेश जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा व जस्टिस अजय भनेाट की बेचं ने राजीव कुमार की ओर से दायर एक रिट याचिका पर पारित किया। याचिका में कहा गया था कि याची की माता पिता व पत्नी बीमार रहती हैं जिन्हें चिकित्सीय सुविधायें दिलाना आवश्यक है किन्तु राज्य कर्मचारियेां ने 6 से 12 फरवरी के बीच हड़ताल पर जाने का आवाहन कर रखा है जिसके चलते वह बीमार माता पिता व पत्नी को चिकित्सीय सुविधायेें नही दिला पायेगा। यह भी कहा गया कि इस समय बच्चों की परीक्षायें चल रहीं है और हड़ताल के कारण उसमें भी व्यवधान पड़ेगा। इस प्रकार याची ने राज्य कर्मचारियेा की हड़ताल को अवैध घोषित करने की मांग की थी।
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सरकार को कर्मचारियों की मांगो पर विचार के लिए मैकेनिज्म विकसित करने का दिया निर्देश
वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने कोर्ट को बताया कि सरकार स्वयं हड़ताल पर सख्त है और केवल दस प्रतिशत कर्मचारियेां के हड़ताल पर जाने की सूचना है।
याचिका पर सुनवायी करते हुए बेंच ने हड़ताल पर के खिलाफ सख्त कदम उठाया। कोर्ट ने कहा कि हर सरकारी विभाग में सीनियर अफसर कर्मचारियेां की अटेंडेंस लें व यदि कोई धरना प्रदर्शन होता है तो उसकी वीडियोग्राफी करायें। कोर्ट ने हड़ताल पर की गयी कार्यवाही के बावत सरकार को एक माह के भीतर रिपेार्ट पेश करने का आदेश दिया है।
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