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UP में महाहड़ताल का पहला दिन, सरकारी मशनरी ठप, जनता हुई हलकान
लखनऊः यूपी के 16 लाख राज्य कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर तीन दिन की हड़ताल पर चले गए। इस हड़ताल का असर पहले दिन ही प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में नजर आया। लगभग 60 फीसदी विभागों में कामकाज ठप रहा। आज भी हड़ताल जारी रहने से सरकारी दफ्तरों में आम लोगों का काम नहीं हो सका। उधर, संविदा भर्ती से आरक्षण खत्म किए जाने की मुख्य मांग को लेकर विधान भवन घेरने जा रहे सफाई कर्मचारी पुलिस के लाठीचार्ज से खफा है। उन्होंने पूरे प्रदेश में आज से बेमियादी हड़ताल का ऐलान किया है। नगर निगम के कर्मचारी भी उनके समर्थन में काम बंद रखने की बात कह चुके हैं।
यूपी में महा हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल से मरीज परेशान हो रहे हैं। हॉस्पिटलों में मरीजों की जांच नहीं हो रही है, दवा के काउंटर भी बंद कर दिए गए। स्टाफ नर्स, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, भी इस महा हड़ताल में शामिल हैं। सिविल,लोहिया,बलरामपुर,डफरिन,लोकबन्दु, सभी हॉस्पिटलों में प्रदर्शन हुए। इससे आम जनता भी प्रभावित है।
-प्रमोशन, वेतनविसंगतियों की मांग पूरी नहीं होने से कर्मचारी नाराज हैं।
-कर्मचारियोंं की हड़ताल से सरकार को 1 दिन में 800 करोड़ राजस्व का नुकसान हो रहा है।
-यूपी में कर्मचारी नवंबर 2013 में 11 दिनों की महा हड़ताल कर चुके हैं।
अस्पतालों में रही तीन घंटे की सांकेतिक हड़ताल
यूपी डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन के सुनील यादव ने बताया कि जनहित को देखते हुए फार्मासिस्ट अस्पतालों में तीन घंटे तक सांकेतिक स्ट्राइक पर रहे। उनका कहना है कि यह सांकेतिक हड़ताल कल भी जारी रहेगी। देखा जाएगा कि सरकार का इस पर क्या रूख है। फिर आगे स्ट्राइक के बारे में विचार किया जाएगा।
इन विभागों के कर्मचारी हड़ताल मे हैं शामिल
स्वास्थ्य विभाग, राजस्व परिषद, उपभोक्ता सहकारी संघ, बाटमाप, खेल निदेशालय, कृषि भवन, गन्ना संस्थान, समाज कल्याण, नलकूप खण्ड, जवाहर भवन-इन्दिरा भवन, वाणिज्य कर, वन, सूचना, अर्थ एवं सख्या विभाग, योजना भवन, सिंचाई भवन मुख्यालय,विकास द्वीप, श्रम विभाग, आईटीआई चारबाग, आईटीओ, माध्यमिक व शिक्षा निदेशालय।
—बीते साल 2013 में हुई हड़ताल में कर्मचारी परिषद के तीन गुट हुआ करते थे।
—वर्ष 2015 में तीनों परिषदों को एकीकृत कर एक गुट बना लिया था।
—उसके बाद भी अब कर्मचारियों की ताकत बढ़ाने के लिए आईटीआई, डिप्लोमा फार्मेसिस्ट, वन विभाग, मनरेगा कार्मिक, डीआरडीए, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय, शिक्षा अधिकारी, विशेष शिक्षक सहित कई नए संगठन सम्बद्ध हुए हैं। इस हड़ताल को शिक्षक गुट के रूप में चेत नारायण सिंह (चन्देल गुट) ने भी अपना समर्थन दिया है।
250 संगठनों का समर्थन
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी और प्रदेश महामंत्री अतुल मिश्रा की मानें तो इस महाहड़ताल को प्रदेश के 250 कर्मचारी व शिक्षक संगठनों का समर्थन है। तिवारी ने यह भी कहा कि यदि अब भी उनकी मांगे पूरी नहीं हुई तो अनिश्चित कालीन हड़ताल के बारे में विचार किया जाएगा।
परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी का कहना है कि कैशलेश इलाज, एचआरए, केंद्र के समान भत्तों, प्रमोशन सहित विभिन्न मुद्दों पर बार- बार सहमति के बावजूद भी अब तक यह मांगें पूरी नहीं की गई हैं।
इन मांगों पर दी गई सहमति पर आदेश नहीं
-पूर्व में की गई सेवाओं तदर्थ अंशदायी, सामयिक, वर्कचार्ज, दैनिक वेतन, अतिथि वक्ताओं की अवधि को जोड़कर पेंशन का लाभ।
-चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पदों को पुनर्जीवित किया जाना।
-केंद्रीय कर्मचारियों के समान एचआरए मिले।
-पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल की जाए।
-फील्ड कर्मचारियों को काम के आधार पर मोटर साइकल भत्ता दिया जाए।
-ठेकेदारी व्यवस्था को खत्म कर सीधी भर्ती शुरू हो।
-सभी राज्य कर्मचारियों को कैशलेस इलाज की सुविधा दी जाए।
-सफाईकर्मियों को प्रधानों से मुक्त कर प्रोन्नति दी जाए।
-नायब तहसीलदार के पदों पर राजस्व संग्रह अमीनों की सीधे प्रोन्नति।
ये मांगे अभी तक नहीं हुई पूरी
सफाईकर्मियों को प्रधानों से मुक्त कर प्रोन्नति दी जाए ।
नायब तहसीलदार के पदों पर राजस्व संग्रह अमीनों की सीधे प्रोन्नति सभी राज्य कर्मचारियों को कैशलेस इलाज की सुविधा दी जाए।