×

UP में फेल हुई 'स्टेट इंश्योरेंस स्कीम', जानें क्या है वजह

कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ईएसआईएस) के तहत बीमांकित व्यक्ति का इलाज कराने का दायित्व राज्य सरकार का है। सरकार का यह दावा बहुप्रचारित भी है मगर जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल जुदा है। ज्यादातर मामलो में बीमा कराने वाले व्य

tiwarishalini
Published on: 4 Aug 2017 12:27 PM IST
UP में फेल हुई स्टेट इंश्योरेंस स्कीम, जानें क्या है वजह
X

राजकुमार उपाध्याय

लखनऊ: कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ईएसआईएस) के तहत बीमांकित व्यक्ति का इलाज कराने का दायित्व राज्य सरकार का है। सरकार का यह दावा बहुप्रचारित भी है मगर जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल जुदा है। ज्यादातर मामलो में बीमा कराने वाले व्यक्ति इस योजना की सुविधा का लाभ ही नहीं उठा पाते हैं। इसकी मुख्य वजह चिकित्सकों की भारी कमी है।

326 चिकित्सकों के पद रिक्त

यह हैरान करने वाला तथ्य है कि इस योजना के तहत प्रदेश भर में डॉक्टरों के 490 पद स्वीकृत हैं मगर 164 डॉक्टर ही काम कर रहे हैं। कुल 326 चिकित्सकों के पद रिक्त हैं। इसी तरह मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पद आठ पद वर्षों से रिक्त हैं। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक और चिकित्सा अधीक्षक के तीन-तीन, सहायक निदेशक के चार, विशेषज्ञ के 77 पद अब तक नहीं भरे जा सके हैं। ऐसे में सरकार का बीमा कराने वाले व्यक्ति के इलाज का दावा कागजी लगता है।

संविदा पर डॉक्टरों की भर्ती का प्रयास

दरअसल ईएसआईएस के तहत बीमित परिवारों को राज्य कर्मचारी बीमा योजना के अस्पतालों यानी ईएसआई अस्पतालों में मुफ्त चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने का प्रावधान है मगर सरकारी उपेक्षा का शिकार होने की वजह से अस्पताल के नाम पर सिर्फ भवन खड़े हैं। मजबूरन जिन शहरों में यह अस्पताल नहीं है, वहंा निजी अथवा अन्य सरकारी अस्पतालों से उपचार का अनुबंध किया गया है।

इससे बीमितों और उनके आश्रितों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। ईएसआईएस श्रम चिकित्सा सेवाओं के निदेशक एसएमए रिजवी का कहना है कि राज्य सरकार संविदा पर डॉक्टरों की भर्ती का प्रयास कर रही है। जल्द ही उनकी कमी पूरी कर ली जाएगी। उनके मुताबिक प्रदेश भर में ईएसआई के कुल 16 अस्पताल हैं। इनमें से 11 अस्पताल राज्य सरकार चलाती है, जबकि चार अस्पताल कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) द्वारा संचालित किया जाता है। इसके अलावा राज्य में एलोपैथिक की 94, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक की 11-11 डिस्पेंसरी है।

चिकित्सालयों में यह सुविधा

ईएसआईसी के अस्पतालों में 24 घंटे आकस्मिक चिकित्सा की सुविधा है। मरीजों का एक्सरे और पैथालाजी परीक्षण, प्रतिरक्षण टीकों, एम्बुलेन्स, मरहम पट्टी, कृत्रिम अंगों की आपूॢत, प्रसव पूर्व एवं प्रसव पश्चात देखभाल भी की जाती है। बीमारी की अवस्था में यहंा से चिकित्सा अवकाश के लिए प्रमाणपत्र भी दिया जाता है। अति विशिष्ट रोगों के उपचार के लिए रिवाल्विंग फण्ड से खर्च की तुरंत भरपाई, निजी चिकित्सा अस्पतालों के माध्यम से बीमितों और उनके आश्रितों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने का प्रावधान है।

मेक एंड शिफ्ट के आधार पर इलाज

राजधानी के सरोजनीनगर स्थित ईएसआई हास्पिटल को कर्मचारी राज्य बीमा निगम संचालित करता है। यहां विशेषज्ञ डाक्टरों के 12 पद स्वीकृत हैं। अब तक यह सभी पद रिक्त थे। पर हाल के महीनों में तीन पदों पर हडडी, चर्मरोग और स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों को भेजा गया है।

इसके अलावा ओपीडी में मरीजों को चिकित्सकीय परामर्श देने के लिए डॉक्टरों के 29 पद सृजित हैं। इनकी जगह सिर्फ 18 डाक्टर एलोपैथ और एक-एक डाक्टर आयुर्वेद और होम्योपैथ के कार्यरत हैं। अस्पताल की ओपीडी में हर माह करीब पांच हजार मरीज इलाज के लिए आते हैं। यहां कार्यरत डॉ. पीएल पटेल का कहना है कि अस्पताल की बिल्डिंग बनाने वाली निर्माण एजेंसी ने भवन अभी निगम को हैंडओवर नहीं किया है। इसलिए मेक एंड शिफ्ट के आधार पर अस्पताल में काम चल रहा है। अस्पताल में रोज सिर्फ पांच से 10 मरीज भर्ती होते हैं।

उधार की सांस से चल रहे अस्पताल

सहारनपुर के न्यू शारदानगर में ईएसआई अस्पताल काफी समय से संचालित है। साल भर में यहां करीब बीस हजार रोगी इलाज के लिए आते हैं। अस्पताल में हड्डी रोग, फिजीशियन, सर्जन, एनीस्थिसिया और बाल रोग विशेषज्ञ के एक-एक पद सृजित हैं, पर वर्तमान में यह अस्पताल सिर्फ चार एमबीबीएस डाक्टरों के भरोसे चल रहा है। सामान्य ड्यूटी के लिए सात चिकित्सा अधिकारियों के पद हैं पर इनमें से तीन रिक्त हैं। अस्पताल में लैब टेक्नीशियन नहीं है। नर्स के सात पद रिक्त हैं। हालत यह है कि करीब सात साल पहले कुछ डाक्टरों का हाथरस से यहंा स्थानांतरण किया गया था, पर उन डाक्टरों ने यहां ज्वाइन नहीं किया।

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा.अजीत कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि लंबे अर्से से डाक्टरों का प्रमोशन नहीं हुआ है। कुछ समय पहले अनुसूचित जाति वर्ग के डाक्टरों का प्रमोशन हुआ था। अस्पताल का अपना भवन है। इलाज के लिए मेरठ के पांच अस्पताल भी ईएसआई के पैनल में शामिल किए गए हैं। इन्हीं अस्पतालों के माध्यम से रोगियों का उपचार कराया जाता है। इससे साफ समझा जा सकता है कि संसाधनों के बावजूद ईएसआई अस्पतालों को जिंदा रहने के लिए उधार की सांसें लेनी पड़ रही हैं।

आगे की स्लाइड में जानें क्या है कर्मचारी राज्य बीमा योजना?...

क्या है कर्मचारी राज्य बीमा योजना?

कर्मचारी राज्य बीमा योजना एक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली है जो संगठित क्षेत्र में कार्यरत कामगारों को आकस्मिक परिस्थितियों जैसे बीमारी, प्रसूति तथा मृत्यु या चोट के कारण अपंगता आदि स्थिति में सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है। कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 10 या उससे अधिक व्यक्तियों को नियुक्त करने वाले कारखानों तथा व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर अनिवार्य रूप से लागू होता है।

एक बार कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम के तहत पंजीकृत होने के बाद नियोक्ता अपने कामगारों के यात्रा दुर्घटना के साथ बीमारी, रोजगार चोट और आकस्मिक मृत्यु के उत्तरदायित्व से सुरक्षित है। अधिनियम के तहत कारखानों/प्रतिष्ठानों को पंजीकृत कराने की जिम्मेदारी नियोक्ता की है। नियोक्ता कामगारों का पंजीकरण कराता है।

सोसाइटी करेगी श्रम चिकित्सा सेवाओं का संचालन

अब कर्मचारी राज्य बीमा योजना श्रम चिकित्सा सेवाएं को उत्तर प्रदेश इम्प्लाइज स्टेट इन्श्योरेन्स मेडिकल सॢवसेज सोसाइटी के रूप में बदला जा रहा है। साफ है कि श्रम चिकित्सा सेवाओं का संचालन इसी सोसाइटी के जरिए होगा। कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं।

उनका कहना है कि सभी कर्मचारियों की भर्ती विभाग में सरकार की कर्मचारी सेवा नियमावली व शर्तों के अधीन हुई है। सोसाइटी के गठन होने पर कर्मचारियों की सेवा शर्तों में परिवर्तन हो रहा है। कर्मचारियों को उनकी सहमति के बिना डीम्ड डेपुटेशन पर भेजा जा रहा है जिसका स्टेटस निर्धारित नहीं किया गया है।

ईएसआई श्रम चिकित्सा सेवाएं कर्मचारी संघर्ष समिति के संयोजक उदय राज सिंह का कहना है कि कर्मचारियों का वेतन ट्रेजरी के बजाय सोसाइटी के खाते से मिलेगा। इससे भविष्य में पेंशन व अन्य देयकों के भुगतान में परेशानी होगी। ईएसआईएस के निदेशक एसएमए रिजवी का कहना है कि भले ही ईएसआईसी के सेवाओं का संचालन सोसाइटी के जरिए होगा मगर सभी कर्मचारियों को सभी सुविधाएं राज्य सरकार की ही मिलेंगी। डीम्ड डेपुटेशन का मतलब डेपुटेशन ही माना जाएगा। अब तक इस स्कीम में केंद्र और राज्यांश के जरिए धनराशि आती थी। अब इसमें पूरी सहायता राशि केंद्र सरकार ही देगी। इसके अलावा निगम के तमाम मुद्दों का हल सोसाइटी की गवॄनग बॉडी निकाल लेगी।

tiwarishalini

tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

Next Story