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जेपी के संपत्तियों की खरीद-फरोख्त पर लगी रोक, इंफ्राटेक का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर निलंबित
नोएडा : जेपी इंफ्राटेक अब अपने संपत्तियों की खरोद-फरोख्त नहीं कर पाएगा। साथ ही कोई नए फ्लैट की बुकिंग भी नहीं कर पाएगा। राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (नेशनल कंपनी लॉ र्टिब्यूनल) ने इस पर रोक लगाई है। जेपी इंफ्राटेक का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर को भी निलंबित कर दिया है।
बोर्ड ऑफ डायरेक्टर का सारा कामकाज आईआरपी अधिकरण की तरफ से नियुक्ति चार्टर्ड एकाउंटेंट अनुज जैन देखेंगे। उनके सहयोग के लिए कंसल्टेंट एजेंसी केपीएमसी भी सहयोग करेंगी। आईआरपी के अनुज जैन और केपीएमसी के रामकृष्ण शर्मा ने बुधवार को यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. अरुणवीर सिंह के साथ बैठक की। बैठक में उनके तरफ से सीईओ को एक पत्र भी सौंपा गया कि जेपी इंफ्राटेक सारा कामकाज आईआरपी करेगी। एनसीएलटी का आदेश आने तक प्राधिकरण जेपी इंफ्राटेक संपत्ति की लीज और डिविजन पर उसके बिना कोई फैसला न करें।
दिवालिया घोषित
गौरतलब है कि नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल इलाहाबाद ने आइडीबीआई बैंक की याचिका पर 9 अगस्त को जेपी इंफ्राटेक कंपनी को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था। अधिकरण ने चार्टर्ड एकाउंटेंट अनुज जैन को इसके लिए प्रस्ताव बनाने के लिए अधिकृत किया था। अधिकरण ने कहा था कि यह व्यवस्था 9 अगस्त से प्रभावी होगी और तब तक जारी रहेगी जब तक दिवालिया प्रस्ताव तैयार नहीं जाता या अधिकरण इस संबंध में कोई आदेश नहीं पारित करता है। हालांकि कंपनी को छह माह के अंदर जवाब देने को कहा गया है। इस दौरान कंपनी का बोर्ड ऑफ डॉयरेक्टर निलंबित कर दिया गया है।
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आईआरपी की जिम्मेदारी सौंपी
एनसीएलटी की तरफ से निुयक्ति अनुज जैन को आईआरपी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अनुज जैन जेपी इंफ्राटेक के परिसंपत्तियों का आकलन कर रहे हैं। यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के सीईओ डॉ अरूण वीर सिंह को अनुज जैन की तरफ से पत्र सौंपा गया जिसमें कहा गया कि जेपी इंफ्राटेक का बोर्ड ऑफ डॉयरेक्टर निलंबित कर दिया गया है।
जेपी नहीं करेगा हस्तक्षेप
एनसीएलटी का आदेश आने तक कंपनी में जेपी इंफ्राटेक का कोई हस्तक्षेप नहीं रहेगा। आईआरपी ही अब कंपनी का सारा कामकाज देखेगी और प्राधिकरण कंपनी से संबंधित कोई पत्राचार आईआरपी से करेगा। जेपी इंफ्राटेक अब अपने किसी भी संपत्ति का स्थानांतरण किसी को नहीं कर सकेगा इसके लिए उसे आईआरपी से अनुमति लेनी होगी।
बैठक में सीईओ ने कहा कि जेपी इंफ्राटेक की संपत्ति प्राधिकरण की लीज पर है। इसलिए लीज की संपत्ति की निलामी नहीं हो सकती है। अधिकरण के अधिकृत चार्टर्ड अकाउंटेंट अनुज जैन ने कहा कि अगर इंफ्राटेक के संपत्ति की निलामी होती है तो और बैंक संपत्ति लेता है तो उसे प्राधिकरण सब लीज करेगा। साथ ही निवेशकों के पूरे हितों का भी ख्याल आईआरपी करेगी।
आईआरपी की देखरेख में अन्य कार्य भी
इंफ्राटेक के सभी संपत्तियों की मेटीनेंस और अन्य कार्य भी आईआरपी की देखरेख में होगा। 165 किलोमीटर लंबे यमुना एक्सप्रेस-वे भी जेपी इंफ्राटेक के अधीन है। जेपी से एक्सप्रेस-वे का टोल टैक्स वसूल कर रहा है। ऐसे में आईआरपी टोल टैक्स वसूलने का अधिकार भी किसी दूसरे कंपनी को दे सकता है।
अनुज जैन का कहना है कि जेपी इंफ्राटेक में कंसटोडियम बोर्ड का भी हस्तक्षेप नहीं है। साथ ही 49 फीसदी शेयर कई कंपनियों का है उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है।