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Moradabad News: काले मटके का कमाल, हासिल हुआ पद्म श्री पुरस्कार, दिलशाद हुसैन ने बताया अपने सफर का किस्सा

Moradabad News: जब दादा का इंतकाल हो गया और दिलशाद बड़े हुए, तो उन्होंने अपने चाचा कल्लू उर्फ अंसार से काम सीखा, वो कहते है अंसार चाचा ने उनको हुनर बंद बनाया। दिलशाद हुसैन ने प्रथम बार 2004 में स्टेट अवार्ड के लिए लखनऊ में स्टाल लगाए और उनकी कला को स्टेट अवार्ड भी मिला।

Sudhir Goyal
Published on: 1 May 2023 7:12 PM IST
Moradabad News: काले मटके का कमाल, हासिल हुआ पद्म श्री पुरस्कार, दिलशाद हुसैन ने बताया अपने सफर का किस्सा
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पद्म श्री पुरस्कार दिलशाद हुसैन अपनो के साथ (फोटो: न्यूज नेटवर्क)

Moradabad News: मुरादाबाद के 75 वर्षीय दिलशाद हुसैन का का जन्म लगभग 1951 में हुआ था। दिलशाद हुसैन ने बताया की पूरी तरह तो याद नहीं पर हां मैं अब 75 वर्ष के ऊपर हूं। अभी दिलशाद हुसैन को पद्म श्री 2022 में मिला है। वह पीएम मोदी के बहुत प्रशंसक भी है। दिलशाद हुसैन का नक्काशी का काम खानदानी है। दीपशाद हुसैन जब दस से बारह वर्ष के तब वो खेल खेल में अपने दादा के पास बैठ जाते और दादा को नक्काशी करते देखते रहते थे।

जब दादा का इंतकाल हो गया और दिलशाद बड़े हुए, तो उन्होंने अपने चाचा कल्लू उर्फ अंसार से काम सीखा, वो कहते है अंसार चाचा ने उनको हुनर बंद बनाया। दिलशाद हुसैन ने प्रथम बार 2004 में स्टेट अवार्ड के लिए लखनऊ में स्टाल लगाए और उनकी कला को स्टेट अवार्ड भी मिला। उन्होंने सन 2012 से अब तक सात बार फार्म भरा और अब आठवीं बार में पद्म श्री मिला है। उन्होंने बताया की इंदिरा गांधी मैदान लखनऊ में स्टाल लगाया था। उस समय पीएम मोदी भी वहां आए थे।

मेरे स्टाल पर बहुत आइटम थे परंतु एक काला घड़ा भी था, मोदी जी ने उसे देखा फिर चलें गए। अगले दिन एक फोन आता है कि दिलशाद हुसैन बोल रहे हो मैने कहा जी, तो उधर से कहा गया की प्रधानमंत्री जी को आपके स्टाल पर रखा काले रंग के नक्काशी वाला घड़ा पसंद है। उसे भिजवा दो और बिल साथ में भेज देना जर्मनी के पीएम आ रहे है उनको भेंट देना है। ये मामला 2017 का है, हमने उसी वक्त घड़ा पैक करके भिजवा दिया और पीएमओ को हमने कहा बिल हम नही लेंगे ये हमारी तरफ से भारत सरकार को उपहार है।

25 जनवरी 2017 को हमको फोन आया की आप किसी को रात आठ बजे तक कुछ नही बताएंगे की आपको इनाम मिला है। मैंने किसी को नाही बताया बस बच्चों से कहा की हलवा बनाओ और सबको बांट दो, बच्चो ने कहा की अब्बा आज कोई त्योहार नही है, फिर क्यों ? मैंने कहा की बस यू ही दिल कर रहा है, कुछ अच्छा होने वाला है। जिसके अगले दिन सुबह से ही फोन आने शुरू हो गए, इतने बधाई और शुभकामना संदेशों के बाद घर में खुशी का माहौल हो गया था। दिलशाद हुसैन के परिवार में दो बेटी उजमा खातून और तयीबा खातून है।

यह दोनों भी नक्काशी में स्टेट अवार्ड विनर है। उनके दो बेटे शहजाद आली और अरशद अली भी स्टेट अवार्ड विनर है। उनकी बेटे की बीबी भी स्टेट अवार्ड विनर है। दिलशाद हुसैन की पत्नी भी आवर्ड विजेता है। दिलशाद हुसैन का पूरा परिवार स्टेट अवार्ड विजेता है, जबकि दिलशाद हुसैन खुद पद्म श्री से सम्मानित हस्ती बन चुके है। 30 अप्रैल को गांधी सम्मृति भवन में आरएसएस की शाखा राष्टीय मुस्लिम मंच की और से दिलशाद हुसैन को अंतरराष्ट्रीय ईद मिलन समारोह में भी बुलाया गया था। जिसमे टर्की के राजदूत ने उनसे मुलाकात की थी। जिस कार्यक्रम में आरएसएस के इंद्रेश कुमार भी मौजूद थे।



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Sudhir Goyal

Sudhir Goyal

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