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Gorakhpur News: सड़क पर काटने को दौड़ा रहे स्ट्रीट डॉग, नसबंदी के लिए सर्जरी का इंतजाम नहीं

Gorakhpur News: नगर निगम से लेकर पशुपालन विभाग के पास स्ट्रीट डॉग को लेकर कोई आकड़ा नहीं है। अनुमान के मुताबिक नगर निगम क्षेत्र में 25 हजार से अधिक खतरनाक कुत्ते हैं।

Purnima Srivastava
Published on: 19 Sept 2022 12:22 PM IST
Street dogs
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सड़क पर काटने को दौड़ा रहे स्ट्रीट डॉग (photo: social media )

Gorakhpur News: स्ट्रीट डॉग लगातार खतरनाक हो रहे हैं, लेकिन नगर निगम, पशुपालन विभाग से लेकर जिला प्रशासन के जिम्मेदार निजात को लेकर लेटर-लेटर खेल रहे हैं। स्ट्रीट डॉग की संख्या पर नियंत्रण को लेकर नगर निगम से लेकर पशुपालन विभाग के पास कोई कार्ययोजना नहीं है। कुत्तों की नसबंदी के लिए नगर निगम नगर निगम दो बार टेंडर निकाला लेकिन किसी एजेंसी ने इसमें रूचि नहीं ली। अब जब कुत्तों के काटने की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है तो विभागीय अधिकारी बयानों से राहत दे रहे हैं।

वैसे तो नगर निगम से लेकर पशुपालन विभाग के पास स्ट्रीट डॉग को लेकर कोई आकड़ा नहीं है। अनुमान के मुताबिक नगर निगम क्षेत्र में 25 हजार से अधिक खतरनाक कुत्ते हैं। तारामंडल, पुराना गोरखपुर, गोरखनाथ क्षेत्र, सूरजकुंड, इलाहीबाग, तिवारीपुर, बिछिया कैंप, रेलवे कालोनी, राप्तीनगर, बशारतपुर, घोसीपुरवा समेत शहर के सभी 2000 से अधिक मोहल्लों में कुत्तों का जबरदस्त आतंक हैं। आम नागरिकों की तरफ से नगर निगम से लेकर पशुपालन विभाग के पास 100 से अधिक पत्र लिखे गए हैं। लेकिन जिम्मेदारों ने इसे रद्दी की टोकरी में डाल दिया है।

नगर निगम से लेकर पशुपालन विभाग द्वारा कोई भी कुत्ता बाड़ा या आश्रय स्थल नहीं बनाया गया है। जिला मुख्य पशु चिकित्साधिकारी भूपेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं कि नगर निगम के पास बीमार स्ट्रीट डॉग्स को रखने, हमलावर डॉग्स के लिए बाड़ा या आइसोलेशन सेंटर या आश्रय स्थल तक का कोई इंतजाम नहीं है। नगर आयुक्त अविनाश सिंह का कहना है कि नगर निगम ने स्ट्रीट डॉग की नसबंदी के लिए दो बार टेंडर निकाला लेकिन किसी संस्था ने रूचि नहीं दिखाई। अब नये सिरे से टेंडर निकाला जाएगा। कुत्ता पालने वालों से अपील की जा रही है कि वे पूरी सुरक्षा के साथ निकलें। कुत्ता आम नागरिक को काटता है तो मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।

आश्रय स्थल के लिए जमीन चिन्हित, बनेगा डॉग हॉस्टल

संवाद कार्यक्रम में मौजूद सहायक नगर आयुक्त मणि भूषण त्रिपाठी ने कुत्तों को लेकर नगर निगम की कार्ययोजना पर विस्तार से जानकारी दी। एसएनए ने बताया कि कुत्तों के आश्रय स्थल के लिए शहर के बाहर एक जमीन चिन्हित कर ली गई है। जहां चिकित्सकों की भी तैनाती की जाएगी। यहां बीमार कुत्तों का इलाज होगा। इसके साथ ही कुत्तों से जुड़ी सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। एनिमल बर्थ कंट्रोल के तहत कुत्तों की नसबंदी के लिए नगर निगम की तरफ से टेंडर निकाला गया था। एक बार फिर नये सिरे से टेंडर निकाला जाएगा। इसके साथ ही जो लोग पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन नहीं करा रहे हैं, उनसे 5000 रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा। इसके लिए सर्च कमेटी का भी गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि पीपीपी के तहत नगर निगम कुत्तों के लिए हॉस्टल की सुविधा भी मुहैया कराएगा। जिससे लोग बाहर जाएं तो अपने कुत्तों को सुरक्षित यहां छोड़ सकें।

ठंडे बस्ते से प्रमुख सचिव का आदेश

पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के अधीन पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) की नियमावली 2001 में ही बनी थी। इसी आदेश के क्रम में चार साल पहले प्रमुख सचिव नगर विकास प्रदेश के सभी नगर निगमों को पत्र भेजकर कुत्तों की जनसंख्या नियंत्रण को लेकर प्रभावी कदम उठाने को निर्देशित किया था। निर्देश था कि 11 सदस्यीय कमेटी सभी जिलों के नगर निगम, नगर पंचायत और नगर पालिका में कुत्तों के बर्थ कंट्रोल के लिए कार्ययोजना तैयार करेगी। इसी कमेटी को जिले स्तर पर डाग पापुलेशन मैनेजमेंट लिए जिला स्तरीय योजना बनाने का दायित्व सौंपा जाएगा। लेकिन सब कुछ ठंडे बस्ते में चल गया।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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