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Shamli News: टूट रहा है छात्रों का डॉक्टर और पुलिस बनने का सपना, पुरानी-फटी किताबों से पढ़ने को मजबूर छात्र-छात्राएं
Shamli News: एक-एक किताब से कई-कई बच्चे एक साथ बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। जबकि कुछ बच्चे तो पढ़ लिखकर डॉक्टर बनना चाहते हैं तो कुछ पुलिस में जान चाहते हैं।
Shamli News: "आओ स्कूल चलें हम" यह स्लोगन तो आपने खूब सुना होगा और स्कूल की दीवारों पर लिखा हुआ भी देखा होगा। लेकिन अब यही स्लोगन बच्चों के भविष्य के लिए दीवारों पर लिखा हुआ महज़ एक वाक्य ही रह गया है। क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार (Government of Uttar Pradesh) द्वारा कक्षा एक से कक्षा 8 तक के स्कूलों में वर्ष 2022-23 की शिक्षा प्रणाली (education system) के लिये अभी तक भी किताबें नहीं भेजी गई है। जिसके चलते सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र छात्राएं पुरानी फटी हुई किताबों से ही पढ़ने को मजबूर हैं।
इतना ही नहीं एक-एक किताब से कई-कई बच्चे एक साथ बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। जबकि कुछ बच्चे तो पढ़ लिखकर डॉक्टर बनना चाहते हैं तो कुछ पुलिस में जाना चाहते हैं। लेकिन स्कूल में पढ़ने वाले इन बच्चो का भविष्य बिना किताबों के अंधकार की ओर बढ़ता जा रहा है। जनपद शामली में जब कक्षा एक से कक्षा 8 तक के बच्चों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हम डॉक्टर बनना चाहते हैं, हम पुलिस में जाना चाहते हैं। लेकिन हमारा यह सपना टूट रहा है। वहीं बच्चों ने उत्तर प्रदेश सरकार से गुहार लगाते हुए कहा है कि वह जल्दी से जल्दी स्कूल में किताबे भेजें और हमारे सपनों को पूरा करें।
बच्चों के पास पढ़ने के लिए किताबें ही उपलब्ध नहीं
दरअसल, कक्षा एक से कक्षा 8 तक के बच्चों की पढ़ाई 1 अप्रैल से शुरू हो गई है। जिसके चलते उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2022-23 के लिए स्कूल में बच्चों के नामांकन पर काफी जोर भी दिया गया है। वहीं प्रदेश सरकार के दिशा निर्देश के बाद जिला प्रशासन ने कई जगह कैंप आदि लगाकर बच्चों को सरकारी स्कूल में एडमिशन लेने की प्रक्रिया भी शुरू की थी जिसके चलते काफी बच्चों ने अपना नाम भी पंजीकरण कराया है लेकिन अब ऐसे में सवाल उठता है कि जो बच्चे स्कूल में पढ़ने के लिए आ रहे हैं उनके पास पढ़ने के लिए किताबें ही उपलब्ध नहीं है कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक के स्कूल में बच्चे फटी पुरानी किताबों से ही पढ़ने को मजबूर है। वही एक किताब से ही कई-कई बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं।
बच्चों के भविष्य के लिए स्कूल में शिक्षकों द्वारा बोर्ड पर भी लिखकर पढ़ाया जा रहा है ताकि बच्चे एक साथ पढ़ सके और शिक्षा से वंचित न रह सके। लेकिन महज बोर्ड पर पढ़ा कर ही बच्चों को शिक्षित नहीं किया जा सकता उसके लिए बच्चो को दिया हुआ होमवर्क भी पूरा करना पड़ता है। लेकिन बच्चों को जो होमवर्क दिया जाता है वह होमवर्क बिना किताबों के अधूरा ही रह जाता है। अब ऐसे में शिक्षकों के सामने भी मजबूरी पैदा हो गई है कि वह बच्चों को कैसे शिक्षित करें, कैसे उनके भविष्य को अंधकार की ओर जाने से रोके। क्योंकि फटी पुरानी किताबों से बच्चों को पढ़ाना यह भविष्य के साथ एक प्रकार से खिलवाड़ ही है। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार को कदम उठाना चाहिए कि वह शीघ्र से शीघ्र सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के लिए नई किताबें उपलब्ध कराएं।
पुरानी किताबें हैं वह भी फटी हुई
शामली जनपद के गांव सिंभालका स्थित प्राइमरी स्कूल में जब हमने बच्चों से बात की तो उन्होंने कहा कि हमारे पास नई किताबें नहीं है। पुरानी किताबें हैं वह भी फटी हुई हैं। जिनसे हम आपस में एक दूसरे से शेयर कर अपना होमवर्क करते हैं और पढ़ाई को पूरा करने का प्रयास करते हैं लेकिन बिना किताबों के हमारी पढ़ाई पूरी नहीं हो रही है। वही ऐसे में हमारे शिक्षक हमें बोर्ड पर पढ़ाते है ताकि हमारा भविष्य अंधकार की ओर ने बढ़े, फिर भी हमारा होमवर्क किताबो बिना पूरा नहीं हो पाता है जिसकी वजह से हमारी पढ़ाई अधूरी हो रही है।
वहीं जब सिंभालका गांव के ही जूनियर हाई स्कूल में हमने छात्र छात्राओं से बात की तो उन्होंने कहा कि हम सब एक किताब को आपस में शेयर करते हैं और उसी से अपनी पढ़ाई को पूरा करते हैं। हम डॉक्टर बनना चाहते हैं, हम पुलिस में जाना चाहते हैं लेकिन जब हमारे पास किताबें ही नहीं है तो हमारा डॉक्टर बनने का और पुलिस में जाने का सपना कैसे पूरा होगा ऐसे में हमारी सरकार से मांग है गुजारिश है कि वह शीघ्र से शीघ्र स्कूल में किताबों को उपलब्ध कराएं ताकि हम पढ़ लिख कर अपना भविष्य बना सके और अपने सपनों को पूरा कर सके।
स्कूल में कक्षा एक से कक्षा 8 तक किताबें पूरी उपलब्ध ना होने पर जब हमने वहां मौजूद वाईस प्रधानाचार्य और शिक्षिकाओं से बात की तो उन्होंने कहा कि हमारे स्कूल के बच्चे आईएएस बनना चाहता है, आईपीएस बनना चाहता है लेकिन अभी तक इनके पास नई किताबें उपलब्ध नहीं है। वैसे हमारे इस स्कूल के काफी बच्चे सरकारी नौकरी में जा चुके हैं लेकिन अब ऐसे में किताबें उपलब्ध ना होना इन बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
हमारी मजबूरी है कि हमें बच्चो को पुरानी किताबों से ही पढ़ाना पढ़ रहा है। स्कूल में बने बोर्ड पर हम बच्चों को पढ़ते है और इसके माध्यम से ही होमवर्क देते हैं ताकि ग्रुप में इकट्ठे होकर यह बच्चे बिना किताबों के पढ़ सके। लेकिन बोर्ड पर पढ़ाया हुआ और होमवर्क देना ही काफी नहीं है इसके लिए किताबें होना भी जरूरी है ऐसी स्थिति में हमारी सरकार से मांग है कि वह स्कूल में शीघ्र से शीघ्र किताबें भेजे ताकि सभी छात्र-छात्राएं अच्छे से पढ़ लिख सके।