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तीन फीसदी छात्रों पर पचास फीसदी खर्च

raghvendra
Published on: 17 Aug 2018 6:56 AM GMT
तीन फीसदी छात्रों पर पचास फीसदी खर्च
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नीलमणि लाल

लखनऊ: उच्च शिक्षा पर केंद्र सरकार जितना खर्च करती है उसका आधा यानी ५० फीसदी देश के मात्र तीन फीसदी छात्रों पर खर्च होता है। ये वो छात्र हैं जो आईआईएम, आईआईटी और एनआईटी जैसे संस्थानों में पढ़ते हैं। बाकी ९७ फीसदी छात्र देश के ८६५ उच्च शिक्षा संस्थानों में पढ़ते हैं। इन संस्थानों में आधे ही हैं जिन्हें सरकारी फंडिंग होती है। सरकार के खर्च का आधा पैसा ही इन सभी संस्थानों के हिस्से में आता है। इन संस्थानों में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस और १० इंडियन इंस्टीट्यूट्स ऑफ साइंस एजूकेशन एंड रिसर्च शामिल हैं। ध्यान रहे कि देश में मात्र ९७ आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी और आईआईआईटी हैं।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा हाल में संसद में दिए गए आंकड़ों के अनुसार सरकारी फंडिंग का सबसे बड़ा शेयर(२६.९६ फीसदी) आईआईटी के हिस्से में गया है जहां मात्र १.१८ फीसदी छात्र पढ़ते हैं। १७.९९ फीसदी हिस्सा एनआईटी के हिस्से में गया जहां १.३७ फीसदी छात्र पढ़ते हैं। ३.३५ फीसदी फंड आईआईएम के पास गया जहां ०.१२ फीसदी छात्र पढ़ते हैं और २.२८ फीसदी पैसा आईआईआईटी को मिला जहां ०.०५ फीसदी छात्र पढ़ते हैं। उच्च शिक्षा के लिए केंद्र सरकार के पैसे में से बाकी का ४८.९ फीसदी देश के अन्य ८६५ संस्थानों के पास गया जहां ९७.४ फीसदी छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं।

आईआईटी-आईआईएम पर ज्यादा ध्यान

ये सरकारी आंकड़े तीन साल के हैं, लेकिन हमेशा से ऐसा ही रहा है। फंड के अलावा जहां तक नीति बनाने का सवाल है, आईआईटी और आईआईएम को पर ही सरकार का सर्वाधिक ध्यान रहता है। हाल ही में मुम्बई और दिल्ली के आईआईटी को ही इंस्टीट्यूट ऑफ इमिनेंस की सूची में स्थान मिला है और अब उन्हें और भी ज्यादा ग्रांट मिलेगी ताकि ये विश्व रैंकिंग में ऊंचे पहुंच सकें। इंस्टीट्यूट ऑफ इमिनेंस का प्रस्ताव फाइनल होने के पहले सरकार ने ‘प्रोजेक्ट विश्वजीत’ चलाया था जिसका भी फोकस आईआईटी को और ज्यादा ग्रांट देने पर था ताकि ये संस्थान विश्वस्तरीय बन सकें।

आईआईटी के अलावा सरकार के अजीज आईआईएम का भी खूब ध्यान रखा जाता है। एक तो ये संस्थान स्वायत्त हैं जिसकी वजह से इनको अपने हिसाब से फीस लेने, फैकल्टी रखने और अपना कामकाज अपने हिसाब से चलाने की आजादी रहती है। सरकार का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं रहता है।

कुछ आंकड़े

  • ३३३३० करोड़ था उच्च शिक्षा के लिए केंद्र सरकार का २०१७-१८ का बजट।
  • ४४४.७१ अरब रुपए (६.५४ बिलियन डॉलर) खर्च किए अमेरिका में पढ़ रहे भारतीय छात्रों ने २०१६-१७ में।
  • ८८४ अरब रुपए (१३ बिलियन डॉलर) खर्च किए अमेरिका में भारतीय टूरिस्टों ने २०१६ में।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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