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ये कैसा मिड डे मील? बच्चों से ज्यादा जानवरों को रहता है खाने का इंतजार

Newstrack
Published on: 2 Feb 2016 12:04 PM GMT
ये कैसा मिड डे मील? बच्चों से ज्यादा जानवरों को रहता है खाने का इंतजार
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देवरिया: यूपी में देवरिया के शाहपुर स्कूल का हाल सबसे जुदा है। यहां बच्चों को जानवरों के साथ 'मिड डे मील' दिया जाता है। सरकार की इस योजना का मकसद बच्चों को शिक्षा के साथ भोजन देना था। भोजन से कुपोषण दूर हो और इसी लालच में बच्चे स्कूल आएं। लेकिन यहां के हालत देखकर तो लगता है कि स्कूल प्रशासन बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर थोड़ा भी गंभीर नहीं है।

खाने के वक़्त आ जाते हैं जानवर

शाहपुर के प्राइमरी स्कूल में मिड डे मील के वक्त जानवर चले आते हैं और बच्चों के बीच बंटने वाले खाने का इंतजार करते हैं। आमतौर पर इस स्कूल में मिड डे मील की औपचारिकता पूरी की जाती है।

लापरवाही का आलम

-स्कूल में खाना मिलने के वक्त आ जाते हैं जानवर।

-स्कूल का वातावरण होता है दूषित।

-बच्चों के साथ हो रहा खिलवाड़।

हेडमास्टर की सफाई :

हेडमास्टर नितेश सिंह ने कहा 'स्कूल की बाउंड्री वॉल टूटी है इसीलिए जानवर स्कूल कैंपस में चले आते हैं'।

बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कहा:

बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कहा कि मिड डे मील देखना टीचर की जिम्मेदारी है। वैसे जांच करेंगे समस्या क्या है। मिड डे मील पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च करती है।

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