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Suar Assembly Bypolls: रामपुर के बाद अब स्वार में भी खिलेगा कमल? जीत का गुणा-भाग तेज

Suar Assembly Upchunav: 15 साल पुराने में मामले में अब्दुल्ला आजम की छिनी विधायकी, निर्वाचन आयोग जल्द घोषित करेगा उपचुनाव की अधिसूचना। अब्दुल्ला की सदस्यता रद्द होते ही भाजपा समर्थक गुणा-भाग में जुट गये हैं।

Hariom Dwivedi
Written By Hariom Dwivedi
Published on: 16 Feb 2023 9:14 AM IST (Updated on: 16 Feb 2023 6:30 PM IST)
Azam Khan and his son
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Azam Khan and his son (Image: Social Media)

Suar Assembly Seat: समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम की विधानसभा सदस्यता फिर से खत्म कर दी गई है। एमपीएमएलए कोर्ट ने 15 साल पुराने मामले में अब्दुल्ला आजम को दो साल की सजा सुनाई है। उन पर सरकारी काम में बाधा पहुंचाने का आरोप है। बुधवार को विधानसभा सचिवालय की तरफ से अधिसूचना जारी कर बताया गया कि स्वार टांडा सीट रिक्त कर दी गई है। अब चुनाव आयोग इस सीट पर उपचुनाव कराएगा।

अब्दुल्ला की सदस्यता रद्द होते ही भाजपा समर्थक गुणा-भाग में जुट गये हैं। पार्टी की कोशिश होगी कि जिस तरह से रामपुर में हुए उपचुनाव में बीजेपी कैंडिडेट ने जीत दर्ज की थी, अब स्वार में भी कमल खिलाया जाए। वहीं, समाजवादी पार्टी उपचुनाव में हर हाल में जीत दर्ज करना चाहेगी। गौरतलब है कि स्वार विधायक को सजा के मिलने के बाद बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना ने प्रमुख सचिव विधानसभा को पत्र लिखकर अब्दुल्ला आजम को अयोग्य घोषित करने की मांग की थी।

ऐसा दूसरी बार हुआ है जब अब्दुल्ला आजम अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं। 16 दिसंबर 2019 को फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में उन्हें दोषी करार दिया गया था, तब भी उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी। अब 15 साल पुराने मामले में उन्हें सजा सुनाई गई है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 31 दिसंबर 2007 की रात यूपी के रामपुर स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (आरपीएफ) कैंप सेंटर पर आतंकी हमला हुआ था। इसके बाद से पुलिस अभियान चलाकर वाहनों की तलाशी ले रही थी। 29 जनवरी 2008 को आजम का भी काफिला रोका गया था, जिसके बाद नाराज आजम हरिद्वार राजमार्ग पर धरने पर बैठ गए और हंगामा किया।

एमपीएमएलए कोर्ट की न्‍यायाधीश स्मिता गोस्वामी ने आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को सरकारी काम में बाधा पहुंचाने का दोषी माना और दोनों को दो-दो साल की सजा और तीन-तीन हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। कानून के जानकारों के मुताबिक, पिता-पुत्र की जोड़ी के पास उच्च न्यायालय में अपील करने के लिए 60 दिनों का समय होगा।

क्या कहता है जनप्रतिनिधित्व अधिनियम

जनप्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 151ए कहती है कि दो साल या उससे अधिक की सजा पाने वाले किसी भी व्यक्ति को सजा मिलने की तारीख से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं जेल में समय बिताने के छह साल तक उसकी अयोग्यता बरकरार रहेगी। जनप्रतिनिधित्‍व अधिनियम के अनुसार, निर्वाचन आयोग को सदन में खाली सीटों की रिक्ति के छह माह के भीतर ही उपचुनाव कराना होगा, बशर्ते रिक्ति से जुड़े किसी सदस्य का शेष कार्यकाल एक वर्ष या फिर उससे अधिक हो।



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Preeti Mishra

Preeti Mishra

Content Writer (Health and Tourism)

प्रीति मिश्रा, मीडिया इंडस्ट्री में 10 साल से ज्यादा का अनुभव है। डिजिटल के साथ-साथ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी काम करने का तजुर्बा है। हेल्थ, लाइफस्टाइल, और टूरिज्म के साथ-साथ बिज़नेस पर भी कई वर्षों तक लिखा है। मेरा सफ़र दूरदर्शन से शुरू होकर DLA और हिंदुस्तान होते हुए न्यूजट्रैक तक पंहुचा है। मैं न्यूज़ट्रैक में ट्रेवल और टूरिज्म सेक्शन के साथ हेल्थ सेक्शन को लीड कर रही हैं।

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