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भुगतान को लेकर गन्ना किसानों का धरना, कहा- मांगें नहीं पूरी हुईं तो कर लेंगे धर्म परिवर्तन

उत्तर प्रदेश के शामली जिले में पिछले 5 दिनों से धरने पर बैठे हैं। कलेक्ट्रेट पर बैठे किसानों का कहना है कि सरकार उनकी बात को नहीं सुन रही है। कल किसानों ने गन्ने से लदी ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर शहर में पहुंचे और जाम लगा दिया। इससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

Dharmendra kumar
Published on: 20 Jan 2019 10:29 AM IST
भुगतान को लेकर गन्ना किसानों का धरना, कहा- मांगें नहीं पूरी हुईं तो कर लेंगे धर्म परिवर्तन
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शामली: उत्तर प्रदेश के शामली जिले में पिछले 5 दिनों से किसान धरने पर बैठे हैं। कलेक्ट्रेट पर बैठे किसानों का कहना है कि सरकार उनकी बात को नहीं सुन रही है। कल किसानों ने गन्ने से लदी ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर शहर में पहुंचे और जाम लगा दिया। इससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। मिल अधिकारियों के साथ किसानों की वार्ता विफल रही।

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किसानों ने की नमाज अदा

इस दौरान किसानों ने केंद्र और प्रदेश सरकार की आलोचना करते हुए नमाज अदा की। चेतावनी दी कि 20 जनवरी तक उनकी मांग को पूरा नहीं किया गया, तो किसान धर्म परिवर्तन करने को मजबूर हो जाएंगे। शनिवार को किसान यूनियन कार्यकर्ताओं का कलेक्ट्रेट में बेमियादी धरना जारी रहा। धरना स्थल पर दोपहर दो बजे सरकार को निष्क्रिय मानते हुए नमाज अदा की गई।

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सरकार को दी धर्मपरिवर्तन की धमकी

गन्ना किसानों की मांग है कि पिछले साल के गन्ने की फसल के 80 करोड़ रुपये और इस साल की राशि का भुगतान किया जाए। किसानों ने भुगतान राशि नहीं मिलने पर बड़ी संख्या में धर्म परिवर्तन करने की बात कही है। इसके साथ चीनी मिल पिछले 3 दिन से बंद है। मिल में गन्ने की पिराई बंद पड़ी है। मिल प्रशासन ने बंदी तक किसानों को गन्ना लेकर आने से मना कर दिया है। मिल के गेट पर नाराज किसानों ने ताला लगा दिया है।

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नियम के मुताबिक 14 दिन में करना होता है किसानों का भुगतान

दरअसल, सरकार के नियम के मुताबिक 14 दिन में किसानों को गन्ना की राशि भुगतान करना होता है और इससे लेट होने पर मिल मालिक किसानों से ब्याज वसूलना शुरू कर देते हैं। हालांकि, अभी तो किसानों को ब्याज तो दूर पिछले साल का मूल भी नहीं मिला है जिसकी वजह से किसान धरने पर बैठे हैं। सरकार के ध्यान को अपनी ओर खींचने के लिए किसान कई प्रकार तरीके भी अपनाते दिखे रहे है। हालांकि, इसके बावजूद भी उनकी नहीं सुनी जा रही है।

Dharmendra kumar

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