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सहारनपुर में घट रहा गन्ने का उत्पादन, टिकाऊ नहीं है नई प्रजातियों के गन्ने

raghvendra
Published on: 14 Jan 2019 9:55 AM GMT
सहारनपुर में घट रहा गन्ने का उत्पादन, टिकाऊ नहीं है नई प्रजातियों के गन्ने
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महेश कुमार शिवा

सहारनपुर: इस साल गन्ने के उत्पादन में गत वर्ष के मुकाबले 8 से 10 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की जा रही है जिसे लेकर किसानों में बैचेनी है। दरअसल किसान की लागत निरंतर बढ़ती जा रही है जबकि गन्ने के भाव स्थिर बने हुए हैं। ऐसे में अगर उत्पादन में भी कमी दर्ज की जा रही है तो बैचेनी स्वाभाविक है। किसान को न तो समय पर गन्ना मूल्य भुगतान मिल रहा है और न ही देरी से भुगतान पर ब्याज। किसान को अपना काम साहूकार व बैंक से महंगे ब्याज पर कर्ज लेकर चलाना पड़ रहा है।

इस साल खाद, तेल और बिजली, सभी के दाम अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है जबकि कृषि में इस्तेमाल होने वाली मशीनरी और लेबर आदि सभी कुछ महंगा हो रहा है। ऐसे स्थिति में दो ही चीजें किसान को उभारती हैं कि या तो फसल का भाव बढ़े या उत्पादन बढ़े। गत वर्ष उत्पादन में उछाल था तो गन्ना विभाग व सरकार तक ने खूब श्रेय लूटा लेकिन इस बार स्थितियां विपरीत हैं।

गन्ना विभाग ने नवीनतम प्रजातियों के विकास के साथ ट्रेंच विधि से बुवाई आदि तकनीकी अपनाने को किसानों को खूब प्रेरित किया था। यही नहीं, विभागीय लोगों ने किसानों के बीच खड़े होकर बुवाई कराई थी। नतीजतन गन्ना उत्पादन में उछाल तो आया लेकिन गन्ने की नई प्रजतियां पहले जितनी टिकाऊ साबित नहीं हो पा रही हैं। नई प्रजातियां दो ही फसल दे पा रही हैं जबकि पहले तीन से पांच तक फसल मिल जाती थी।

गन्ना विभाग के क्रॉप कटिंग के आंकड़ों में इस साल 8 से 10 प्रतिशत तक की गिरावट की बात कही जा रही है। गन्ना अधिकारियों के अनुसार, गत वर्ष गन्ना उत्पादन 732 कुंतल प्रति हेक्टेयर था जो इस साल घटकर पौने सात सौ-सात सौ कुंतल तक सिमटने के आसार हैं। हालांकि गन्ना अधिकारी इसके लिए प्राकृतिक कारणों को जिम्मेवार मानते हैं।

जिला गन्ना अधिकारी के.एम. मणि त्रिपाठी बताते हैं कि अभी पेडी की क्रॉप कटिंग होनी है लेकिन गिरावट तो है ही। पिछले दिनों बारिश और ओलावृष्टि के साथ तेज हवाओं के चलते फसल का गिर जाना भी इसका बड़ा कारण है। उत्पादन में 8-9 प्रतिशत की कमी है।

भाकियू नेता अरुण राणा और कृषक समाज के संयोजक प्रीतम चौधरी कहते हैं कि उत्पादन में गिरावट का मतलब सीधने तौर पर किसान को नुकसान है। भारतीय किसान संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष श्यामवीर त्यागी कहते हैं कि उत्पादन में कमी की भरपाई के लिए सरकार को मांगपत्र सौपे जाएंगे।

चीनी मिलों पर बढ़ता जा रहा बकाया

सहारनपुर मंडल में गन्ने बकाए का ग्राफ लगातार चढ़ता जा रहा है। नया-पुराना बकाया मिलाकर 1500 करोड़ रुपए के पार जा पहुंचा है। 5 जनवरी 2019 के विभागीय आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष अब तक चीनी मिलों द्वारा 1725 करोड़ रुपए की गन्ना खरीद की जा चुकी है जबकि भुगतान चार सौ करोड़ रुपए का भी नहीं हो सका है। कुल बकाए में 14 दिन पुराना बकाया 1269 करोड़ रुपए का है।

गत वर्ष का भी मंडल में 213 करोड़ रुपए का बकाया है। मंडल की पांच चीनी मिलों ने अभी गत वर्ष का भुगतान नहीं किया है। इनमें जिले की दया शुगर मिल पर 13 करोड़, बजाज गांगनौली पर 56 करोड़, मुजफ्फरनगर की बजाज भैसाना पर 47 करोड़ तथा शामली में बजाज थानाभवन पर 16.5 करोड़ व शामली मिल पर 80 करोड़ रुपए का गत वर्ष का बकाया है।

इस साल की बात करें तो जिले में 471 करोड़ की गन्ना खरीद हो चुकी है जबकि भुगतान 104 करोड़ रुपए का हुआ है। मुजफ्फरनगर में 908 करोड़ की गन्ना खरीद के सापेक्ष 292 करोड़ तथा शामली में 346 करोड़ रुपए की गन्ना खरीद के सापेक्ष भुगतान शून्य है। इसके अलावा गत वर्ष का करीब 148 करोड़ व इस साल में देरी से भुगतान पर 8 करोड़ का ब्याज हो गया है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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