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Sultanpur: पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह हुए रिहा, बोले- मुझे न्याय पर पूरा भरोसा
Sultanpur: पूर्व विधायक चन्द्रभद्र सिंह उर्फ सोनू सिंह ने जेल से रिहा होने पर कहा कि जिस मामले में सजा हुई थी उसको मौके पर जाकर खुद देख लीजिए मैं कितना सही था कितना गलत था।
Sultanpur News: पूर्व विधायक चन्द्रभद्र सिंह उर्फ सोनू सिंह ने जेल से रिहा होने पर कहा कि मैं पहले भी गलत नहीं था। आज भी गलत नहीं हूं। उन्होंने कहा जिस मामले में सजा हुई थी उसको मौके पर जाकर खुद देख लीजिए मैं कितना सही था कितना गलत था। उन्होंने कहा ये संघर्ष है और संघर्ष हमेशा जारी रहेगा। जब मेरे पापा (पूर्व विधायक स्व. इंद्रभद्र सिंह) नहीं थे तब मेरी उम्र 22 साल थी। तब से हम संघर्ष ही कर रहे हैं। जेल जाना पड़े नहीं जाना पड़े इसके लिए कोई डर की बात नहीं है। बता दें कि लोकसभा चुनाव के चंद पहले चन्द्रभद्र सिंह सोनू ने समाजवादी पार्टी का दामन थामा था और गठबंधन प्रत्याशी रामभुआल निषाद के पक्ष में बड़ी सभा कर मेनका गाँधी को बड़ी चुनौती दी थी। जिसके बाद चुनाव में मेनका को हार का सामना करना पड़ा था।
कभी वरुण के रहे सारथी तो 2019 के चुनाव में मेनका को दी थी कड़ी टक्कर
बता दें कि इसौली के पूर्व बाहुबली विधायक जब पहली बार वरुण गाँधी सुल्तानपुर से सांसद बने थे तो उनके सारथी के तौर पर नज़र आये थे। बाद में कुछ तल्खियां बढ़ी तो दूरियां बन गईं। जब मेनका गांधी अपने बेटे वरुण गाँधी के स्थान पर चुनाव लड़ने सुल्तानपुर आई तो सपा बसपा और कांग्रेस के गठबंधन से चन्द्रभद्र सिंह सोनू में कड़ी टक्कर दी थी। महज़ 14 हज़ार वोटों से मेनका गाँधी सांसद बनी थी। पाँच साल के कार्यकाल के दौरान मेनका सार्वजनिक मंच से सोनू सिंह और उनके भाई मोनू सिंह पर निशाना साधती रहीं।
बहरहाल जमानत स्वीकृत होने के बाद उच्च न्यायालय का आदेश सोमवार को एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट के न्यायालय में दाखिल हुआ तो पूर्व विधायक चंद्रभद्र सोनू सिंह व दो सह आरोपियों को रिहा करने का परवाना जेल भेजा गया। उनके साथ रुखसार व अंशु उर्फ सूर्य प्रकाश को 10 हजार की जमानत व मुचलके पर रिहा करने का आदेश है। विशेष लोक अभियोजक वैभव पांडे ने बताया कि इस घटना की एफआईआर बनारसी लाल कसौंधन निवासी ग्राम मायंग ने लिखाई थी।
उनके अनुसार 25 फरवरी 21 को सुबह आठ बजे की है। उनके गांव के पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू, उनके भाई मोनू सिंह, सिंटू जेसीबी लेकर और घर में घुस गए असलहे दिखाकर उन्हें व बेटे अनिल को मारापीटा। जब उनके बेटे व भतीजे डर के मारे भग गए तो इन लोगों ने उनके मकान की दीवार व गेट जेसीबी व हाथ से गिरा दिया था। विवेचना में मोनू की नामजदगी गलत पाई गई। जबकि सोनू, सिंटू व जेसीबी चालक अमेठी निवासी रुक्सार पर मुकदमा चला।
अभियोजन के 9 गवाह परीक्षित हुए थे। जिनके आधार पर तीनों को मजिस्ट्रेट योगेश यादव ने 6 जुलाई 2023 को सजा सुनाने के बाद जमानत पर रिहा कर दिया था। उसी आदेश के विरुद्ध अपील दायर की गई थी। जो निरस्त हुई और सजा बहाल हुई तो उनके अधिवक्ता रूद्र प्रताप सिंह मदन ने समर्पण के लिए अवसर मांगा जिसे विशेष जज एकता वर्मा ने निरस्त कर गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। सूर्य प्रकाश उर्फ अंशु व सोनू सिंह ने अधिवक्ता के माध्यम से 10 जून को समर्पण कर दिया था। उच्च न्यायालय से 20 जून को जमानत का आदेश पारित हुआ था।