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Sunil Bhai Ojha: क्या भाजपा से बाहर होंगे सुनील ओझा, गड़ौली धाम आश्रम विवाद में शीर्ष नेतृत्व का कड़ा तेवर, पार्टी में लगने लगे कयास
Sunil Bhai Ojha: भाजपा के प्रदेश सह प्रभारी (काशी क्षेत्र) सुनील भाई ओझा के मिर्जापुर में बन रहे गड़ौली धाम आश्रम में भाजपा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के जाने पर रोक लगा दी गई है।
Sunil Bhai Ojha: भाजपा में कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफी करीबी माने जाने वाले वरिष्ठ नेता सुनील भाई ओझा के सितारे इन दिनों गर्दिश में डूबते दिखाई दे रहे हैं। भाजपा के प्रदेश सह प्रभारी (काशी क्षेत्र) सुनील भाई ओझा के मिर्जापुर में बन रहे गड़ौली धाम आश्रम में भाजपा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के जाने पर रोक लगा दी गई है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने इस बाबत क्षेत्रीय अध्यक्ष महेश श्रीवास्तव को फोन पर निर्देश दिए हैं।
जानकार सूत्रों के मुताबिक प्रदेश नेतृत्व की ओर से यह निर्देश शीर्ष नेतृत्व की ओर से कड़ा संदेश मिलने के बाद दिया गया है। शीर्ष नेतृत्व के इस कड़े तेवर को देखते हुए सुनील ओझा के सियासी भविष्य को लेकर भी अटकलें लगाई जाने लगी हैं। पार्टी में यहां तक कहा जाने लगा है कि सुनील भाई ओझा को जल्द ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।
आखिर क्या है गड़ौली धाम आश्रम का विवाद
इस मामले में सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आखिरकार गड़ौली धाम आश्रम से जुड़ा विवाद क्या है जिसकी आंच सुनील भाई ओझा तक पहुंच गई है। गड़ौली धाम आश्रम की शुरुआत ओएस बालमुकुंद फाउंडेशन ने की थी जिसके अगुवा सुनील भाई ओझा हैं। यह आश्रम वाराणसी की सीमा पर मिर्जापुर जिले में बन रहा है। इस आश्रम के निर्माण में काशी क्षेत्र के कई नेताओं ने सहयोग दिया है।
जानकारी का कहना है कि काशी क्षेत्र में लोकसभा और निकाय चुनाव में टिकट के दावेदार गड़ौली धाम आश्रम में आर्थिक सहयोग के जरिए अपनी सियासी राह आसान करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उन्हें लगता है कि इस मदद के जरिए वे आगे चलकर भाजपा का टिकट पाने में कामयाब हो सकते हैं। आश्रम के निर्माण में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की ओर से आर्थिक मदद दिए जाने की शिकायत भाजपा के शीर्ष नेतृत्व तक भी पहुंची है।
फीडबैक के बाद शीर्ष नेतृत्व का तीखा तेवर
जानकार सूत्रों के मुताबिक पिछले महीने की 12 तारीख को आश्रम का स्थापना दिवस मनाया गया था। स्थापना दिवस के सिलसिले में पांच दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसके तहत सामूहिक रुद्राभिषेक, खेल महोत्सव और 1008 सामूहिक विवाह आदि कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। इन आयोजनों में सुनील भाई ओझा की ओर से सरकार के कई मंत्रियों, विधायकों, पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया गया था।
प्रदेश के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, राज्य सरकार के कई और मंत्री, कई प्रमुख पदाधिकारी और अन्य नेता हाल के दिनों में आश्रम में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए पहुंच चुके हैं। टिकट के दावेदारों के लिए इस आश्रम के नया पावर सेंटर बनने की चर्चाओं के बीच शीर्ष नेतृत्व ने काशी क्षेत्र के अन्य नेताओं से फीडबैक लिया है। जानकारों के मुताबिक इस फीडबैक के बाद ही पार्टी के शीर्ष नेताओं ने प्रदेश नेतृत्व को स्पष्ट संदेश दिया है कि इस आयोजन से पार्टी व सरकार का कोई मतलब नहीं है।
प्रदेश अध्यक्ष ने जारी किया निर्देश
शीर्ष नेतृत्व की ओर से संदेश मिलने के बाद ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने क्षेत्रीय अध्यक्ष महेश श्रीवास्तव को फोन पर निर्देश दिया है कि पार्टी के सभी पदाधिकारियों को सूचित कर दिया जाए कि कोई भी अब गड़ौली धाम आश्रम नहीं जाएगा और न तो आश्रम में किसी भी प्रकार का सहयोग प्रदान करेगा। क्षेत्रीय अध्यक्ष श्रीवास्तव का कहना है कि प्रदेश नेतृत्व का आदेश मिलने के बाद सभी पदाधिकारियों को फोन करके इस बाबत जानकारी दे दी गई है।
भाजपा प्रदेश नेतृत्व के आदेश के बाद काशी क्षेत्र में भाजपा कार्यकर्ताओं और अन्य प्रतिनिधियों ने गड़ौली धाम आश्रम से दूरी बना ली है। काशी क्षेत्र के कुछ भाजपा पदाधिकारी इस पर नजर बनाए हुए हैं कि पार्टी के फरमान के बाद भी आखिर कौन-कौन गड़ौली धाम आश्रम की गतिविधियों में हिस्सा ले रहा है।
सियासी भविष्य को लेकर लगने लगे कयास
पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से कड़ा तेवर अपनाए जाने के बाद भाजपा के प्रदेश प्रभारी सुनील भाई ओझा के सियासी भविष्य को लेकर भी अटकलबाजियों का दौर शुरू हो गया है। सियासी जानकारों का मानना है कि शीर्ष नेतृत्व की ओर से उठाए गए कदम से साफ संकेत है कि आने वाले दिनों में सुनील ओझा के खिलाफ और भी बड़ा कदम उठाया जा सकता है। उन्हें पार्टी से बाहर किए जाने तक की चर्चाएं सुनी जाने लगी है। हालांकि पार्टी का कोई पदाधिकारी इस मुद्दे पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं है।
आश्रम विवाद पर सुनील ओझा की सफाई
दूसरी ओर सुनील भाई ओझा ने यह बात स्वीकार की है कि वे गड़ौली धाम आश्रम ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। उनका कहना है कि आश्रम का पूरा निर्माण बैंक चेक के जरिए किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस आश्रम के निर्माण के लिए किसी से भी आर्थिक सहयोग नहीं मांगा गया है। उन्होंने कहा कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की ओर से इस तरह का आदेश क्यों दिया गया है,इसे आदेश देने वाला ही स्पष्ट तौर पर बता सकता है।
पीएम मोदी के करीबी हैं सुनील भाई ओझा
वैसे सुनील भाई ओझा के प्रति पार्टी नेतृत्व के इस कड़े तेवर पर हैरानी भी जताई जा रही है। इसका कारण यह है कि मूल रूप से गुजरात के रहने वाले सुनील ओझा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काफी करीबी माना जाता है। वे वाराणसी में प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र की जिम्मेदारी भी संभालते रहे हैं।
वे भाजपा के टिकट पर गुजरात के भावनगर से दो बार विधायक भी रह चुके हैं। तीसरी बार टिकट न मिलने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। हालांकि तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद मोदी से उनकी दूरियां बढ़ गई थीं।
मोदी के चुनाव संचालन में निभाई बड़ी भूमिका
बाद में उन्होंने भाजपा से इस्तीफा देकर महागुजरात जनता पार्टी के नाम से अलग पार्टी भी बनाई थी। बाद में फिर सियासी हालात बदले और वे फिर मोदी के करीब आ गए। इसके बाद उन्हें गुजरात भाजपा के प्रवक्ता की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी की सियासी पिच पर बैटिंग करने के लिए उतरे तो सुनील भाई ओझा को गुजरात से काशी भेजा गया था। उसके बाद से सुनील ओझा काशी में ही डटे रहे हैं।
अमित शाह को यूपी का भाजपा का प्रभारी बनाए जाने के बाद सुनील ओझा को सह प्रभारी बनाया गया था। 2019 में पीएम मोदी के वाराणसी से दोबारा चुनाव लड़ने के दौरान भी उन्होंने चुनाव संचालन में बड़ी भूमिका निभाई थी। काशी क्षेत्र में उनका काफी दबदबा माना जाता रहा है मगर आश्रम को लेकर पैदा हुए विवाद के बाद उनके सितारे गर्दिश में जाते दिख रहे हैं। अब सबकी निगाहें उनके सियासी भविष्य पर लगी हुई हैं।