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SC के आदेश के जवाब में UP सरकार लाई विधेयक, पूर्व CM को आवास

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Published on: 29 Aug 2016 5:07 PM IST
SC के आदेश के जवाब में UP सरकार लाई विधेयक, पूर्व CM को आवास
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लखनऊ: पूर्व सीएम के आवास को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के जवाब में यूपी सरकार सोमवार को विधानसभा में उप्र मंत्री (वेतन, भत्ता और प्रकीर्ण उपबन्ध) संशोधन विधेयक, 2016 लाई है। इसमें यूपी के किसी पूर्व सीएम का उनके अनुरोध पर जीवनपर्यन्त कोई सरकारी आवास राज्य सम्पत्ति विभाग द्वारा आवंटित किया जाएगा और इसका समय-समय पर निर्धारित किए जाने वाले मासिक किराए के दर पर भुगतान किया जाएगा।

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इसके अलावा राज्य सम्पत्ति विभाग के नियंत्रणाधीन भवनों के आवंटन को नियमित करने के लिए भी विधेयक लाया गया है। इसके तहत पूर्व सीएम को टाइप 6 व 7 का आवास आवंटित करने का प्रावधान है। यह विधेयक विधानसभा में सोमवार को पारित भी हो गए।

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उप्र मंत्री (वेतन, भत्ता और प्रकीर्ण उपबन्ध) संशोधन विधेयक के तहत मुख्यमंत्री, मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री 40 हजार प्रति माह वेतन पाने के हकदार होंगे।

पत्रकार, सोसाइटी, मान्यता प्राप्त संघों को टाइप—4 आवास

राज्य सम्पत्ति विभाग के नियंत्रणाधीन भवनों के आवंटन विधेयक, 2016 में प्रावधान किया गया है कि राज्य सरकार के अधीन कार्यरत समूह ख के अधिकारी, न्यायिक सेवा के अधिकारी, पत्रकार, सोसाइटी व मान्यता प्राप्त संघों को टाइप—4 के आवास दिए जा सकेंगे।

मंत्री, राज्य मंत्री को टाइप-5 का आवास

इसके अलावा मंत्री, राज्य मंत्री, उपमंत्री, न्यायिक सेवा के अधिकारी और राज्य सरकार के अधीन कार्यरत समूह के अन्य अधिकारी और प्रदेश में कार्यरत सोसाइटी और राज्य सरकार के अधीन विभिन्न सांविधिक आयोगों के अध्यक्ष और सदस्य को टाइप—5 के मकान दिए जा सकेंगे।

-राज्य सरकार के अधीन कार्यरत समूह-घ के कर्मचारियों को टाइप-1 का आवास।

-राज्य सरकार के अधीन कार्यरत समूह-ग के अराजपत्रित कर्मचारी।

-राज्य सरकार के अधीन कार्यरत समूह ग के राजपत्रित कर्मचारी।

-इस अधिनियम के तहत भवनों का किराया न्यास और सोसाइटी के मामले में बाजार दर से लिया जाएगा।

-सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों, राजनैतिक दलों, पूर्व सीएम, कर्मचारी संघ और पत्रकारों को मौजूदा दर से ही किराया देय होगा।

-ट्रस्टों से अलग अन्य आवेदकों केा भवन का आवंटन दो वर्ष के लिए किया जाएगा और राज्य सरकार द्वारा उसके नवीनीकरण पर एक बार में एक वर्ष की अवधि के लिए आवंटन पर विचार किया जाएगा।



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