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Deoria : सर्वे में खुलासा- चंदे के पैसों से चलता है मदरसा, बच्चे हिंदी-अंग्रेजी नहीं पढ़ पाए

Deoria News: उत्तर प्रफेश शासन के निर्देश पर जनपद देवरिया में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे शुरू हुआ। सर्वे के पहले दिन दो मदरसों तथा आज दूसरे दिन एक मदरसे का सर्वे किया गया।

Shailesh Kumar Mishra
Published on: 22 Sep 2022 10:10 AM GMT
On the instructions of the government, the survey of madrasas started in Deoria, a total of three madrasas were investigated
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देवरिया: शासन के निर्देश पर देवरिया में मदरसों का सर्वे हुआ शुरू

Deoria News: उत्तर प्रफेश शासन के निर्देश पर जनपद देवरिया में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों (Unrecognized Madrasas in Deoria) का सर्वे शुरू हुआ। सर्वे के पहले दिन दो मदरसों तथा आज दूसरे दिन एक मदरसे का सर्वे (survey of madrasas) किया गया। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के नेतृत्व में बनी टीम द्वारा जिले के गैर मान्यता प्राप्त 3 मदरसों की जांच पड़ताल शुरू की गयी है।

बता दें कि जिले में दर्जनों गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की सूची बनी है जहां पर अधिकारी टीम बनाकर जांच कर रहे हैं सबसे अधिक मदरसे देवरिया जिले के देसही और पथरदेवा विकास खंड में संचालित हो रहे हैं। जब जांच करने वाली टीम सबसे पहले देसही देवरिया के मदरसा "अरबिया ऐसा अतुल इस्लाम" बरवा मीरछापर पहुंची तो जांच में यह खुलासा हुआ कि इस मदरसे के हॉस्टल में कुल 30 बच्चे रहते हैं। जिसमें सबसे ज्यादा 17 बच्चे बंगाल के रहने वाले हैं। बाकी बच्चे बिहार और उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और इसके संचालक भी बंगाल के हैं।

मदरसों का पूरा संचालन चंदे के पैसे से होता है

इस मदरसे में उर्दू, अरबी, हिंदी, अंग्रेजी, की पढ़ाई होती है वहीं यहां के संचालक ने बताया कि मदरसों का पूरा संचालन चंदे के पैसे से होता है और गांव के आसपास के लोग इन्हें राशन और खाने पीने का सामान भी उपलब्ध कराते हैं और साल में तकरीबन लाखों रुपयों का चंदा मिलता है। इसी से यहां का पूरा इंतजाम किया जाता है।

वहीं जब इसी ब्लॉक के दूसरे मदरसा "कासिम उल उलूम" कौलाछापर मदरसे की जांच की गई तो यह मदरसा काफी बड़ा था और यहां 100 से अधिक बच्चे हॉस्टल में मिले इस मदरसे पर केवल उर्दू में नाम लिखा था हिंदी और अंग्रेजी में नहीं लिखा था। जांच के दूसरे दिन आज जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी गौरीबाज़ार ब्लॉक में मदरसा जमीयतुल अतलडीहा का सर्वे हुआ है। जिसमे कुल 16 बच्चे हॉस्टल में दिनी शिक्षा लेने वाले मिले, जिसमे 9 देवरिया जिले के तथा 7 बिहार प्रान्त के अररिया जिले रहने वाले है।


दीनी शिक्षा लेने वाले बच्चे हिंदी-अंग्रेजी नही पढ़ पाए

जांच के दौरान अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने मदरसे में पढ़ने वाले कई बच्चों का जब टेस्ट हिंदी और अंग्रेजी में लिया तो कोई बच्चे नहीं बता पाए, वहीं उर्दू में सभी सवालों का जवाब दिए।

वहीं मदरसे के उप प्रबंधक ने बताया कि यह मदरसा चंदा के भरोसे चलता है हर वर्ष 35 लाख रूपये से अधिक चंदा मिल जाता है जिससे इस मदरसे का पूरा खर्चा चलता है इस मदरसे में 14 शिक्षक यहां बच्चों को तालीम देते हैं उनको भी वेतन इन्हीं पैसों से दिया जाता है खाने पीने का सामान भी लोगों से चंदे में मिल जाता है।

जांच कर रहे अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने बताया कि शासन के निर्देश पर मदरसों की जांच की जा रही है। यह मदरसे जो जांच किए गए हैं। यह गैर मान्यता प्राप्त है। 12 बिंदुओं पर जांच की जा रही है। इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। इनके फंडिंग के बारे में भी जांच कराया जाएगा शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी।

बिहार और पश्चिम बंगाल के बच्चे गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में ग्रहण कर रहे हैं दीनी शिक्षा

उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद में सर्वे के आज दूसरे दिन एक मदरसे तथा पहले दिन 2 मदरसों का सर्वे किया गया । तीनो मदरसों में दिनी शिक्षा लेने वाले कुल 146 बच्चों में बिहार के 20 बच्चे, पश्चिम बंगाल के 17 बच्चे शेष उत्तर पदेश के बच्चे पढ़ाई कर रहे है।

Shashi kant gautam

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