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Sonbhadra News: राजस्व बंदी गृह में बैंक डिफॉल्टर की संदिग्ध मौत से सनसनी, तहसीलकर्मियों पर लगा उत्पीड़न आरोप

आरोप है कि,राजस्व संग्रह के लिए सुधाकर को बार-बार उत्पीड़ित किया जाता रहा था। जिससे उनकी मौत हो गई। मामले में मानवाधिकार हनन और अमानवीय कृत्य बताते हुए कार्रवाई की गुहार लगाई गई है।

Kaushlendra Pandey
Report Kaushlendra PandeyNewstrack aman
Published on: 20 May 2022 12:30 PM GMT
suspicious death of bank defaulter lodged in revenue prison house in sonbhadra
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suspicious death 

Sonbhadra News : यूपी के सोनभद्र जिले से एक सनसनीखेज खबर आ रही है। राजस्व बंदी गृह में 10 लाख से अधिक बकाए मामले में एक बकाएदार 4-5 दिनों से बंद था। इसी दौरान बंद रहने के क्रम में बंदी की अचानक तबीयत बिगड़ गई। इलाज के लिए ले जाने के क्रम में उसकी मौत हो गई। संदिग्ध हालत में बिगड़ी तबियत और इसके बाद मौत को लेकर जिले के डीएम से मजिस्ट्रेटी जांच की गुहार लगाई गई है।

बंदीगृह में रहने के दौरान लगातार उत्पीड़न और इसके चलते मौत होने का आरोप लगाया गया है। 'पीपुल्स युनियन फॉर सिविल' की ओर से इस सम्बन्ध में एक पत्र भी जिलाधिकारी को भेजा गया है। उनसे मामले की मजिस्ट्रेट जांच कराकर संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।

क्या है मामला?

बताया जा रहा है कि, धर्मशाला चौक राबटर्सगंज निवासी सुधाकर दूबे पुत्र राधेश्याम दूबे को 10 लाख रुपए से अधिक बैंक बकाया मामले में पकड़कर तहसील लाया गया था। उन्हें यहां बंदीगृह में कैद रखा गया था। गुरुवार की शाम परिवार के लोगों को सूचना मिली, कि उनकी तबियत बिगड़ गई है। परिजन तहसील पहुंचे। इस बीच तहसील प्रशासन की तरफ से बकाएदार को जिला अस्पताल भेजा जा चुका था। वहां से बीएचयू के लिए रेफर किया गया। मगर, इलाज के लिए ले जाने के क्रम में उसने दम तोड़ दिया।

तहसीलकर्मियों पर उत्पीड़न का आरोप

बंदी की मौत के लिए भीषण गर्मी के बीच उसे बगैर किसी व्यवस्था के बंदीगृह में रखे जाने को माना जा रहा है। वहीं, तहसीलकर्मियों पर लगातार उत्पीड़न का आरोप भी लगाया जा रहा है। मामले को लेकर पीयूसीएल के प्रदेश संगठन सचिव विकास शाक्य की तरफ से एक पत्र जिलाधिकारी को भेजा गया है। साथ ही, मामले की मजिस्ट्रेट जांच की मांग भी की गई है। आरोप लगाया गया है कि राजस्व बंदीगृह में भीषण गर्मी और उससे बचाव के लिए कोई इंतजाम नहीं था। और न ही जीवनरक्षक सुविधाओं की व्यवस्था किए बिना, सुधाकर को कई दिन तक बंद रखा गया।

हुआ मानवाधिकार हनन

आरोप है कि, राजस्व संग्रह के लिए सुधाकर को बार-बार उत्पीड़ित किया जाता रहा था। जिससे उनकी मौत हो गई। मामले में मानवाधिकार हनन और अमानवीय कृत्य बताते हुए कार्रवाई की गुहार लगाई गई है।

तहसीलदार ने खारिज किए आरोप

तहसीलदार बृजेश सिंह ने इन आरोपों को गलत बताया। फोन पर बातचीत में उन्होंने कहा, कि 'यूनियन बैंक से 10.21 लाख रुपए बकाए की आरसी जारी की गई थी। इसी मामले में सुधाकर चार-पांच दिन से बंदी गृह में कैद था। गुरुवार की शाम 4 बजे सूचना मिली, कि उसकी तबियत बिगड़ गई। जिसके बाद उन्हें लोढ़ी स्थित जिला अस्पताल ले जाया गया। जहां इलाज किया गया। वहां से उन्हें बीएचयू के लिए रेफर किया गया। रास्ते में उनके मौत हो गई। तहसील प्रशासन की तरफ से कोई लापरवाही या उत्पीड़न की कार्रवाई नहीं की गई है। ना ही बंदीगृह में बंद रहने के दौरान उनकी मौत हुई।' इस मामले में विशेष जानकारी के लिए एसडीएम राजेश सिंह के सीयूजी नंबर पर संपर्क साधने की कोशिश की गई, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुई।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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