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Swami Prasad Maurya: अब बुरा फंसे स्वामी प्रसाद मौर्य, धार्मिक आस्था मामले में जारी हुआ अरेस्ट वारेंट
Swami Prasad Maurya: भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा देने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हो गया है।
Swami Prasad Maurya: बड़ी खबर आ रही है। भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा देने वाले यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हो गया है। इस गिरफ्तारी वारंट के चलते सुलतानपुर में एमपीएमलए कोर्ट के दंडाधिकारी योगेश यादव ने पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य को 24 जनवरी को पेश होने का आदेश दिया है।
दरअसल देवी देवताओं पर आपत्ति जनक टिप्पणी करने के मामले में बुधवार को पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य अदालत मे हाजिर नही हुए। अपर मुख्य दण्दाधिकारी एमपी-एमएलए ने आरोपित पूर्व केन्द्रीय श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या के खिलाफ पूर्ववत जारी गिरफ्तारी वारंट को जारी करने का आदेश दिया है।24-1-2022को होगी सुनवाई। अधिवक्ता अनिल तिवारी ने देवी देवताओ पर अभद्र टिप्पणी करने के मामले में पूर्व श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या के खिलाफ परिवाद दायर किया था ।
विचारधीन परिवाद के मामले में भाजपा के कद्दावर पूर्व केंद्रीय श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या के खिलाफ कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट चल रहा था ।अधिवक्ता अनिल तिवारी के मुताबिक लखनऊ बेंच ने सन् 2016 मे कार्यवाही पर रोक लगा दिया था । 6जनवरी को एमपी-एमएलए कोटे ने 12 जनवरी को कोर्ट मे हाजिर होने का आदेश दिया था । बुधवार को आरोपित मंत्री के अदालत में हाजिर न होने के कारण मामले की सुनवाई कर रहे। अपर मुख्य दण्डाधिकारी एम पी एम एल ए ने पूर्ववत गिरफ्तारी वारंट को जारी करने का आदेश दिया है।
गौरतलब है कि कल मंगलवार को स्वामी प्रसाद मौर्य योगी कैबिनेट से इस्तीफा देकर भाजपा से अपना नाता तोड़ लिया था। अब वह समाजवादी पार्टी में शामिल होने जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि 14 जनवरी को वह समाजवादी पार्टी का दामन थामेंगे लेकिन उससे पहले उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य के बारे में
जानकारी देते हुए आपको बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्या मूल रुप से प्रतापगढ़ जिले के बिहार ब्लॉक अंतर्गत बाघराय थाना क्षेत्र के बाबागंज के निवासी हैं। दरअस्ल उनका इलाका रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के अंतर्गत आता है इसलिए यहां खुद को पनपता नहीं देख उन्होंने रायबरेली जिले को अपनी कर्मस्थली बनाया।
वो इसलिए कि उनके गांव की सीमा रायबरेली से जाकर मिलती है। स्वामी प्रसाद ने रायबरेली की डलमऊ सीट से 1996 में पहली बार चुनाव जीता और विधानसभा पहुंचे। वो मायावती सरकार में मंत्री बने।
इस सीट से पहले ओबीसी विधायक ही नहीं बल्कि मंत्री बनने वाले पहले नेता बने। इसके बाद वो 2002 चुनाव में दोबारा विधायक चुने गए। 2007 में भी उन्होंने इस सीट से भाग्य आजमाया लेकिन वो हार गए। साल 2008 में परिसीमन के बाद डलमऊ का नाम खत्म हो गया। डलमऊ का कुछ हिस्सा सरेनी विधानसभा सीट में चला गया और बाकी हिस्से को मिलाकर इस सीट को ऊंचाहार विधानसभा का नाम दे दिया गया।
ऊंचाहार सीट पर अभी तक दो बार 2012 और 2017 में चुनाव हुए हैं। दोनों बार यहां से सपा उम्मीदवार के तौर पर मनोज पांडेय ने जीत दर्ज की है जबकि योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे उत्कृष्ट मौर्य मामूली वोटों से दो बार से हारे हैं।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 115 किलोमीटर जबकि इलाहाबाद से 85 किलोमीटर की दूरी पर ऊंचाहार विधानसभा सीट स्थित है। जबकि ऊंचाहार रायबरेली के जिला मुख्यालय से 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस विधानसभा सीट पर सबसे अधिक दलित मतदाता हैं। उसके अलावा यादव, मौर्या, ब्राह्मण, राजपूत और अन्य ओबीसी वोटर्स भी बड़ी संख्या में हैं।