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Lok Sabha Election: स्वामी प्रसाद मौर्य ने बनाई नई पार्टी RSSP, लोकसभा चुनाव को लेकर किया बड़ा ऐलान
Lok Sabha Election 2024: आज स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में अपने समर्थकों के मध्य अपनी नई पार्टी को लॉन्च किया, जिसका नाम है ‘राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी’।
Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश की सियासत में एक और नए राजनीतिक दल का उदय हो गया है। प्रदेश की तीनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों बसपा, भाजपा और सपा में वक्त गुजार चुके कद्दावर ओबीसी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने अब अपनी नई पार्टी बना ली है। आज उन्होंने दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में प्रदेश भर से आए अपने समर्थकों के मध्य अपनी नई पार्टी को लॉन्च किया, जिसका नाम है – ‘राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी’ ।
गुरूवार को तालकटोरा स्टेडियम में पार्टी के पहले प्रतिनिधि सम्मेलन में आगामी लोकसभा चुनाव और फिर उसके बाद 2027 का विधानसभा चुनाव पूरी ताकत के साथ लड़ने का निर्णय लिया गया। पार्टी की ओर पूरे प्रदेश में सघन प्रचार अभियान चलाया जाएगा। प्रतिनिधि सम्मेलन में आए लोगों ने स्वामी प्रसाद मौर्य को एक दिन देश का प्रधानमंत्री बनने तक की भविष्यवाणी कर डाली ।
सपा पर लगाया था भेदभाव का आरोप
70 वर्षीय स्वामी प्रसाद मौर्य ने 13 फरवरी को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया था। मौर्य सपा के सवर्ण नेताओं की ओर से किए जा रहे हमले और हाईकमान की उस पर चुप्पी से नाराज थ। उन्होंने भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा था कि अन्य राष्ट्रीय महासचिव का बयान सपा का आधिकारिक बयान माना जाता है लेकिन उनके बयान को निजी विचार कह खारिज कर दिया जाता है।
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के उदासीन रवैये के बाद मौर्य ने विधान परिषद सदस्य और पार्टी के प्राथमिक सदस्यता से भी त्यागपत्र दे दिया। जाते-जाते स्वामी प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव पर समाजवादी विचारधार से भटकने का आरोप भी लगा दिया। उन्होंने कहा कि उनके पिता स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव हनुमान के भक्त थे और उनसे कहीं अधिक पूजा-पाठ करते थे लेकिन वो इस तरह कभी सार्वजनिक रूप से मंदिर जाकर पूजा – पाठ करते थे।
1996 में पहली बार विधायक बने थे मौर्य
अपने सनातन विरोधी बयानों को लेकर अक्सर विवादों में रहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य का सियासी सफर 1980 में लोकदल से शुरू हुआ। उसके बाद उन्होंने बहुजन समाज पार्टी का दामन थामा और यहां लंबे समय तक टिके रहे। 1996 में बसपा के टिकट पर ही विधायक बने और मायावती की सरकार में मंत्री पद भी मिला। 2017 में विधानसभा चुनाव से ऐन पहले उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा और चुनाव जीतने के बाद कैबिनेट मंत्री भी बने। पांच साल बाद 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले एकबार फिर उनका मन डोला और अबकी बार उन्होंने सपा का दामन थामा।
मौर्य ने कुशीनगर की फाजिलनगर सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें बीजेपी उम्मीदवार ने 26 हजार वोटों के भारी अंतर से चुनाव हरा दिया। चुनाव हारने के बावजूद सपा ने उन्हें एमएलसी बनाया। मौर्य पांच बार विधायक और एकबार एमएलसी रह चुके हैं। वर्तमान में उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य बदायूं से लोकसभा सांसद हैं। उनका टिकट कटेगा या नहीं इस पर सस्पेंस बना हुआ है। बदायूं से अखिलेश ने अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव का टिकट काटकर चाचा शिवपाल यादव को मैदान में उतारा है।