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Swami Prasad Maurya: विवादित बयान देना स्वामी प्रसाद मौर्य की पुरानी आदत, इन बयानों को लेकर पैदा हुआ विवाद, फिर भी नहीं मांगी माफी
Swami Prasad Maurya: समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए अपने इस्तीफे की जानकारी दी। उन्होंने पोस्ट के जरिए सपा मुखिया अखिलेश यादव और पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल को भी टैग किया।
Swami Prasad Maurya: समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए अपने इस्तीफे की जानकारी दी। उन्होंने पोस्ट के जरिए सपा मुखिया अखिलेश यादव और पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल को भी टैग किया। इसके साथ ही उन्होंने सपा के राष्ट्रीय महासचिव पद से अपने इस्तीफा के कारणों को भी स्पष्ट किया है। हालांकि उन्होंने अभी सपा से इस्तीफा नहीं दिया है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा मुखिया अखिलेश यादव को लंबा चौड़ा पत्र लिखकर अपने इस्तीफे की जानकारी दी है। इस पत्र की भाषा में स्वामी प्रसाद मौर्य की नाराजगी साफ तौर पर झलक रही है। स्वामी प्रसाद मौर्य लंबे समय से विवादित बयान देते रहे हैं और उनके इस बयानों का सपा के कुछ नेता खुलकर विरोध भी करते रहे हैं। अपने विवादित बयानों के कारण स्वामी प्रसाद मौर्य लंबे समय से विवादों में बने रहे हैं।। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने समय-समय पर वे कौन से बयान दिए जिन्हें लेकर काफी विवाद पैदा हुआ।
प्राण प्रतिष्ठा पर बोले-फिर मुर्दे क्यों नहीं चल सकते
स्वामी प्रसाद ने अयोध्या में हाल में हुए भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर एक विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा कि पत्थर में प्राण प्रतिष्ठा करने से वह सजीव हो सकता है तो फिर मुर्दे क्यों नहीं चल सकते। उन्होंने यह बयान कर्पूरी ठाकुर के जन्मशताब्दी कार्यक्रम की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम में दिया।
उनका कहना था कि देश में बेरोजगारी पर चर्चा से दूर भगाने के लिए इस तरह का ड्रामा किया जा रहा है। राष्ट्रपति ने भी इस कार्यक्रम से दूरी बनाई क्योंकि उनको भी दिल्ली में हुए अपने अपमान की याद थी।
उन्होंने कहा कि भगवान राम तो हजारों साल से पूजे जा रहे हैं और जिसकी पूजा हजारों साल से करोड़ों लोग कर रहे हैं तो उसके अंदर प्राण प्रतिष्ठा करने की जरूरत क्या है। आज सत्ता में बैठे हुए लोग अपने पाप को छिपाने के लिए इस तरह के ड्रामा का सहारा ले रहे हैं।
हिंदुओं के विवाह और तीन तलाक पर विवादित बयान
बहुजन समाज पार्टी में रहते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2014 में ऐसा विवादित बयान था दिया था जिसे लेकर उनकी काफी आलोचना हुई थी। हिंदुओं की विवाह परंपरा पर हमला करते हुए उन्होंने कहा था कि हिंदुओं के विवाह में गौरी-गणेश की पूजा नहीं की जानी चाहिए। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया था कि इसके जरिए हिंदुओं को गुलाम बनाया जाता है।
2017 में तीन तलाक को लेकर भी उन्होंने विवादित बयान दिया था और इस बयान को लेकर मुस्लिम समुदाय ने भी तीखी प्रतिक्रिया जताई थी। तीन तलाक का जिक्र करते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना था कि मुस्लिम समुदाय के लोग हवस मिटाने के लिए तीन तलाक का प्रयोग करते हैं। इसके जरिए वे अपनी बीवियों बदलते हैं और उनकी इस बयान की भी तीखी आलोचना की गई थी।
रामचरित मानस को बताया बकवास
स्वामी प्रसाद मौर्य ने पिछले साल जनवरी में रामचरितमानस को लेकर ऐसी विवादित टिप्पणी की थी जिसे लेकर तमाम लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया जताई थी। स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना था कि देश में कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते। सब बकवास है, जिसे तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है।
सरकार को रामचरितमानस के आपत्तिजनक अंश हटाने चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए। हालांकि बयान को लेकर बाद में विवाद बढ़ने पर उन्होंने सफाई भी दी और कहा कि मेरा मतलब लोगों की भावनाएं आहत करना नहीं था। उन्होंने कहा कि पुस्तक में जो आपत्तिजनक अंश हैं, बस उन्हें हटा देना चाहिए।
ब्राह्मण समाज पर विवादित टिप्पणी
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने पिछले दिनों हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी करने के साथ ही ब्राह्मण समाज को लेकर भी ऐसा बयान दिया था जिसे लेकर काफी नाराजगी पैदा हुई थी। एक्स पर अपनी पोस्ट में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि समाज में सारी विषमता की जड़ ब्राह्मणवाद ही है और इसकी जड़ें काफी गहरी है।
उन्होंने हिंदू धर्म को धोखा तक बता डाला था। उनका कहना था कि सही मायने में जो ब्राह्मण धर्म है, उसी को हिंदू धर्म बताकर देश के दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों को धर्म के मकड़जाल में फंसाने की साजिश रची गई है।
हिंदू धर्म को बताया धोखा
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने पिछले दिसंबर महीने में हिंदू धर्म को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया था। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म एक धोखा है। वैसे भी सर्वोच्च न्यायालय ने 1995 में अपने एक आदेश में कहा था कि हिंदू धर्म कोई धर्म नहीं बल्कि लोगों के जीवन जीने की शैली है। मौर्य ने कहा कि सबसे बड़े धर्म के ठेकेदार बनने वाले संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी एक नहीं बल्कि दो बार कहा कि हिंदू धर्म नामक कोई धर्म नहीं है बल्कि यह जीवन जीने की कला है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस तरह की बात कह चुके हैं जबकि भाजपा के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी ने भी कुछ समय पूर्व इस तरह की टिप्पणी की थी। इन लोगों के कहने से लोगों की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचती मगर जब स्वामी प्रसाद मौर्य इस बात को कहते हैं कि हिंदू धर्म कोई धर्म नहीं बल्कि धोखा है तो लोगों की भावनाओं को चोट पहुंचने लगती है।
पीएम मोदी के बयान से भावनाएं आहत नहीं होती
मिशन जय भीम के बैनर तले जंतर मंतर पर आयोजित राष्ट्रीय बौद्ध और बहुजन अधिकार सम्मेलन में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि जिसे हम सभी हिंदू धर्म कहते हैं,दरअसल वह कुछ लोगों के लिए धंधा है। जब हम सच्चाई बताते हुए इसे कुछ लोगों के लिए धंधा बताते हैं तो देश में भूचाल आ जाता है। जब यही बात मोहन भागवत, पीएम मोदी और गडकरी की ओर से कही जाती है तो लोगों की भावनाएं आहत नहीं होती मगर मेरी टिप्पणी पर लोगों की नाराजगी दिखने लगती है।
धर्म के सत्यानाश की कामना
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक इंटरव्यू के दौरान यह भी कहा था कि धर्म का सत्यानाश हो। उन्होंने सवर्णों का जिक्र करते हुए कहा- ब्राह्मण भले ही दुराचारी, अनपढ़ या गंवार हो, लेकिन वह ब्राह्मण है। उसको पूजनीय कहा गया है, लेकिन शूद्र कितना भी पढ़ा-लिखा या ज्ञानी हो,उसका सम्मान मत करो...क्या यही धर्म है? जो धर्म हमारा सत्यानाश चाहता है, उसका सत्यानाश हो।
ऐसा लगता है मोदी ने राम को पैदा किया
मैनपुरी में लोकसभा उपचुनाव के दौरान एग्जाम सभा को संबोधित करते हुए भी स्वामी प्रसाद मौर्य ने विवादित बयान दिया था। उनका कहना था कि भाजपा के समर्थक नारा दे रहे हैं कि मोदी जी आए हैं, राम को लाए हैं। ऐसा लगता है कि मोदी ने राम को पैदा किया है। इनके आने के बाद ही राम जी का जन्म हुआ है। जो पार्टी राम का सौदा करती है, वह आपका भी सौदा कर सकती है। इसलिए लोगों को भाजपा से पूरी तरह सतर्क रहना चाहिए।
मौर्य ने एक बार कहा था कि हिंदू धर्म में सूअर को वराह भगवान कहकर सम्मान दे सकते हैं, गधे को भवानी, चूहे को गणेश, उल्लू को लक्ष्मी की सवारी कहकर पूज सकते हैं, लेकिन शूद्र को सम्मान नहीं दिया जाता। उनके इस बयान को लेकर भी खासा विवाद पैदा हुआ था।