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नेमप्लेट के कर्णधार, पैगंबर पर टिप्पणी...जानिए कौन हैं स्वामी यशवीर?
Swami Yashveer Maharaj: स्वामी यशवीर दावा करते हैं कि हमें हिंदू देवी देवताओं के नाम पर मुसलमान मालिकों के ढाबों के बारे में जानकारियां मिल रही थीं। ऐसे ढाबों पर हिंदुओं को गुमराह किया जाता है
Swami Yashveer Maharaj ( Social- Media- Photo)
Swami Yashveer Maharaj: अपने बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहने वाले स्वामी यशवीर सिंह एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार वे मुज़फ़्फ़रनगर में प्रशासन के ढाबों, होटलों, चाय की दुकानों और खाद्य सामग्री बेचने वाली दुकानों के मालिकों को अपने नाम बड़े-बड़े अक्षरों में अंकित करने का आदेश देने के बाद से चर्चा में हैं। स्वामी यशवीर ने ही प्रशासन से ये क़दम उठाने की मांग की थी। उन्होंने अपनी मांग न माने जाने पर आंदोलन करने की चेतावनी भी दी थी। उन्होंने धमकी दी थी कि अगर सरकार यह काम नहीं करवा पाएगी तो वे ख़ुद ऐसा करवाएंगे। हालांकि रविवार को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के इस आदेश पर रोक लगा दी है।
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मुसलमान ढाबा मालिकों के खिलाफ़ आंदोलन
बीबीसी रिपोर्ट के अनुसार स्वामी यशवीर ने मुज़फ़्फ़रनगर में हिंदू नामों से संचालित ढाबों और होटलों के मुसलमान मालिकों के खिलाफ़ साल 2023 में कांवड़ यात्रा से पहले आंदोलन शुरू किया था। स्वामी यशवीर दावा करते हैं कि हमें हिंदू देवी देवताओं के नाम पर मुसलमान मालिकों के ढाबों के बारे में जानकारियां मिल रही थीं। ऐसे ढाबों पर हिंदुओं को गुमराह किया जाता है। हमने ठाना कि ऐसे सभी ढाबों को बंद कराना है। मुज़फ़्फ़रनगर में हम कामयाब हो गए हैं, अब हमें अपनी इस मुहिम को राज्य और देश में विस्तार देना है। वे कहते हैं कि वो चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुहिम का समर्थन करें और देश भर में दुकानों और होटलों पर मालिकों और कर्मचारियों के नाम लिखे जाएं।
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दो दशक पहले की थी आश्रम की स्थापना
मुज़फ़्फ़रनगर से क़रीब 15 किलोमीटर दूर बघरा गाँव में आम के बाग़ों से घिरे योग साधना यशवीर आश्रम में स्वामी यशवीर सिंह रहते हैं। आश्रम में उनके अलावा सिर्फ़ उनके शिष्य ब्रह्मचारी स्वामी मृगेंद्र ही रहते हैं। स्वामी यशवीर सिंह पहले इस आश्रम में आसपास के लोगों को योग सिखाया करते थे और योग को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से ही इस आश्रम की स्थापना हुई थी।
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योगी ने किया था शिलान्यास
स्वामी यशवीर ने क़रीब दो दशक पहले बघरा गांव में इस आश्रम की स्थापना की थी। आश्रम में 2015 में बने महंत अवैद्यनाथ भवन का शिलान्यास उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था।ये पहली बार नहीं है, जब स्वामी यशवीर का नाम चर्चा में हैं। इससे पहले भी वो कई बार सुर्खियों में आ चुके हैं। लेकिन बड़ी बात यह रही है कि हर बार वो विवादों से ही चर्चाओं में आए।
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जाट परिवार में हुआ जन्म
स्वामी यशवीर का जन्म मुज़फ़्फ़रनगर के ही एक जाट परिवार में हुआ था। अपने जीवन के बारे में स्वामी यशवीर सिर्फ़ यही बताते हैं कि उन्होंने बचपन में ही अपना घर परिवार छोड़ दिया था और अब परिवार से उनका अधिक संपर्क नहीं हैं। बघरा गांव में आश्रम की स्थापना करने से पहले वो हरियाणा में कई जगहों पर रहे और योग सीखा।
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पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी कर आए थे चर्चा में
स्वामी यशवीर सबसे पहले साल 2015 में पैग़ंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी करने के बाद चर्चा में आए थे। मुज़फ़्फरनगर से सटे शामली ज़िले के कांधला थाना इलाक़े की एक हिंदू युवती के एक मुसलमान युवक के साथ चले जाने के बाद आयोजित हिंदू पंचायत में यशवीर ने पैग़ंबर मोहम्मद पर मंच से विवादित टिप्पणी की थी। पंचायत में भारतीय जनता पार्टी के कई स्थानीय नेता भी शामिल हुए थे।
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साढ़े सात महीने जेल में रहे
कांधला थाने में स्वामी यशवीर पर धार्मिक भावनाएं भड़काने और समाज में द्वेष फैलाने के आरोपों के तहत मुक़दमा दर्ज हुआ था। 28 दिसंबर 2015 को स्वामी यशवीर को गिरफ़्तार करके जेल भेजा गया था। उन पर आईपीसी की धारा 153, 153ए, 120बी और 295 के तहत मुक़दमा दर्ज हुआ था। इस मामले में स्वामी यशवीर क़रीब साढ़े सात महीने जेल में रहे थे। स्वामी यशवीर को 19 मार्च 2016 को ज़मानत मिल गई थी।
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रासुका लगाने पर जमकर हुआ था विरोध
तब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। प्रशासन ने उन्हें जेल से छूटने से रोकने के लिए उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (रासुका) की धाराएं भी जोड़ दी थीं, जिस वजह से उन्हें जेल में ही रहना पड़ा। तब उन पर रासुका लगाए जाने का हिंदूवादी कार्यकर्ताओं और बीजेपी नेताओं ने विरोध किया था। अगस्त 2016 में प्रशासन द्वारा रासुका हटाने के बाद उनकी जेल से रिहाई हुई थी।
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हिंदूवादी कार्यकर्ताओं ने किया था जोरदार स्वागत
स्वामी यशवीर जब जेल से रिहा हुए तो हिंदूवादी कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया था। इस दौरान बीजेपी नेताओं ने भी उन्हें मालाएं पहनाई थीं।
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घर वापसी का दावा
स्वामी यशवीर का दावा है कि वो अब तक एक हज़ार से अधिक मुसलमानों की सनातन धर्म में घर वापसी करा चुके हैं। उन्होंने हिंदू धर्म छोड़कर मुसलमान बनने वाले लोगों के खि़लाफ़ आंदोलन भी चलाया था। स्वामी यशवीर घर वापसी करने वाले लोगों के लिए आश्रम में शुद्धीकरण हवन भी करते हैं। उनका दावा है कि वो ऐसे हज़ारों लोगों के संपर्क में हैं जो घर वापसी करना चाहते हैं।
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प्रभु की इच्छा होगी तो राजनीति में भी आएंगे
स्वामी यशवीर अपनी राजनीतिक पहुँच भी ज़ाहिर कर देते हैं। वे कहते हैं कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुझे भरोसा दिया है कि वो पूरे प्रदेश में नाम लिखने की इस मुहिम को लागू करेंगे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से भी मेरी बात हुई है, वो भी हमारे साथ हैं। स्वामी यशवीर की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं भी छुपी नहीं हैं। 2022 यूपी विधानसभा चुनावों में उन्होंने चरथावल विधानसभा सीट से टिकट लेने का भरसक प्रयास किया था। आगे चुनाव लड़ने की संभावनाओं पर वे कहते हैं कि अगर प्रभु की इच्छा होगी तो राजनीति में भी आएंगे।
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इनके खिलाफ खोला था मोर्चा
फ़रवरी 2023 में उन्होंने जमीअत उलेमा ए हिंद के अरशद मदनी और महमूद मदनी के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया था। जमीयत के अध्यक्ष अरशद मदनी के एक बयान को उन्होंने हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं भड़काने वाला बताते हुए देवबंद में बहस करने की चुनौती दे दी थी। हालांकि देवबंद दारुल उलूम की तरफ़ कूच कर रहे स्वामी यशवीर को पुलिस ने मुज़फ़्फ़रनगर के शिव चौक पर कार्यकर्ताओं के साथ ही रोक दिया था। पुलिस के रोकने पर स्वामी सड़क पर ही धरने पर बैठ गए थे।
देश भर में अभियान चलाने का इरादा
स्वामी यशवीर दावा करते हैं कि वो मुसलमानों के विरोध में नहीं बल्कि हिंदू धर्म की शुद्धता और पवित्रता के लिए आंदोलन चला रहे हैं। नाम लिखवाने के लिए चलाई गई मुहिम को सही ठहराते हुए वो कहते हैं, हम बस ये चाहते हैं कि मुसलमान हमारे देवी-देवताओं का नाम इस्तेमाल कर हिंदुओं को गुमराह ना करें।
स्वामी यशवीर की इस मुहिम के बाद कई मुसलमानों को काम से हटाया गया है और कई मुसलमान ढाबा संचालकों को कारोबार बंद करना पड़ा है। अपने क़दम को सही ठहराते हुए वो कहते हैं, हमें उनके रोज़गार को नहीं बल्कि अपने धर्म की पवित्रता और शुद्धता को देखना है। हमारी ये मुहिम मुज़फ़्फ़रनगर में ही नहीं रुकेगी बल्की इसे हमें देश भर में लेकर जाएंगे। देश में लाखों मुसलमान हिंदुओं की आस्था को चोट पहुंचा रहे हैं। हम हिंदू देवी देवताओं के नाम पर मुसलमानों के होटलों और ढाबों को बंद करवाकर ही रहेंगे। हालांकि वो ये भी कहते हैं कि वो किसी से मुसलमानों का बहिष्कार करने के लिए नहीं कह रहे हैं बल्कि वो सिर्फ़ हिंदुओं में जागरूकता फैला रहे हैं।