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Syed Modi Murder Case: HC के फैसले ने दिलाई सैयद मोदी की याद, एक ऐसा शटलर जो विश्व को कर सकता था रूल
Syed Modi Murder Case: बैडमिंटन खिलाड़ी रहे सैयद मोदी के हत्यारे जेल में बंद भगवती सिंह उर्फ पप्पु की अपील बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है।
Syed Modi Murder Case: सैयद मोदी (Syed Modi) भारतीय खेल जगत में वो नाम है, जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है। बैडमिंटन के खेल की दुनिया में वे एक ऐसे खिलाड़ी थे, जिन्होंने तमाम उपलब्धियां अपने नाम कीं और अपनी मौत तक इस सिलसिले को बरकरार रखा। वे अपने करियर में और पुरस्कार जीत सकते थे, लेकिन एक षड्यंत्र के कारण मात्र 28 साल की उम्र में उन्हें इस दुनिया से विदा होना पड़ा। 28 जुलाई, 1988 को उनकी मौत की खबर ने समूचे बैडमिंटन जगत को गहरा सदमा दे दिया था।
दरअसल आज हम राष्ट्रीय स्तर के बैडमिंटन खिलाड़ी रहे सैयद मोदी (National level badminton player Syed Modi) की बात इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि उनके हत्या के आरोप में जेल में बंद भगवती सिंह उर्फ पप्पु की अपील बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। अदालत ने सेशन कोर्ट की तरफ से सुनाई गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है। इस फैसले के बाद सैयद मोदी हत्याकांड (Syed Modi Murder Case) एकबार फिर सुर्खियों में है। तो आइए एक नजर उनके जीवन पर डालते हैं।
छोटे शहर से सफर की शुरूआत
बैडमिंटन के मशहूर खिलाड़ सैयद मोदी (National level badminton player Syed Modi) का जन्म 31 दिसंबर 1962 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हुआ था। सैयद मोदी (National level badminton player Syed Modi) का असली नाम कुछ और था, इसकी कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। उनका असली नाम सैयद मेहदी हसन जैदी है। कहा जाता है कि गोरखपुर के अंग्रेजी माध्यम स्कूल में उनका दाखिला करवाया गया तो शिक्षक ने उनका नाम सैयद मोदी लिख दिया, क्योंकि उन्हें मेहदी शब्द पता ही नहीं था। इसके बाद न तो उसके परिवार ने और न ही उन्होंने कभी इस गलती को ठीक करने की कोशिश की और यह नाम उनके जिंदगी के अंत तक जुड़ा रहा।
सैयद मोदी का सफर
सैयद मोदी (National level badminton player Syed Modi) को उस समय काफी सुर्खियां मिलीं, जब उन्होंने देश के टॉप के बैडमिंटन खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण (badminton player prakash padukone) को 1980 में विजयवाड़ा नेशनल में हरा दिया था। उस समय उनकी उम्र महज 18 साल थी। इसके बाद उन्हें देश के बैडमिंटन खिलाड़ियों में टॉप रैंकिंग मिली थी। बता दें कि देश के शीर्ष बैडमिंटन खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण ने इस मुकाबले से कुछ माह पहले ही ऑल – इंग्लैंड बैडमिंटन का खिताब जीता था औऱ 1971 – 1979 तक नेशलन चैंपियन रहे थे। प्रकाश पादुकोण (badminton player prakash padukone) को हराकर नेशनल चैंपियन बने सैयद मोदी अपनी मौत तक चैंपियन बने रहे।
मोदी आठ बार (1980-87) राष्ट्रीय चैंपियन बने थे। 1982 में कॉमनवेल्थ गेम्स (Commonwealth Games in 1982) में बैडमिंटन सिंगल्स का गोल्ड जीता था। उसी साल कुछ माह बाद एशियाई खेलों में कांस्ट पदक अपने नाम किया था। उनका शानदार खेल को देखते हुए 1981 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया था। उन्हें उत्तर – पूर्व रेलवे में नौकरी भी मिल गई थी। सैयद मोदी के प्रमुख अतंरराष्ट्रीय खिताब 1983 और 1984 में दो बार आस्ट्रियन ओपन और 1985 में एकबार यूएसएसआर ओपन थे। मोदी की हत्या जिस समय हुई उस दौरान उनका करियर उभार पर था। देश को उनसे काफी उम्मीदें थीं। यही कारण था कि उनकी हत्या की खबर सामने आने के बाद देश में बवाल मच गया था।
सैयद मोदी का प्रेम विवाह
साल 1978 में सैयद मोदी (Syed Modi) जूनियर नेशनल चैंपियन थे, उनका चयन बीजिंग में एक इंटरनेशनल टूर्नामेंट के लिए हुआ। उस टीम में एक महिला खिलाड़ी भी थीं। उनका नाम अमिता कुलकर्णी था। इस दौरान दोनों के बीच नजदीकियां परवान चढ़ने लगी। आखिरकार साल 1984 में महाराष्ट्र से आने वाली अमिता कुलकर्णी के साथ उन्होंने विवाह कर लिया। बताया जाता है कि इस शादी के लिए परिवार राजी नहीं था। दोनों की शादी अमेठी के राजा और तब कांग्रेस के रसूखदार नेताओं में गिने जाने वाले संजय सिंह के घर पर हुई थी। बताया जाता है उसी दौरान संजय सिंह और अमिता कुलकर्णी के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी। दोनों के बीच कथित अफेयर की अफवाह उन दिनों काफी थी।
सैयद मोदी की हत्या
शादी के कुछ ही समय बाद सैयद मोदी (Syed Modi)और अमिता कुलकर्णी मोदी के रिश्ते खराब होने शुरू हो गए थे। अमिता ने करियर का बहाना देकर मां बनने से इनकार कर दिया था। इस बीच मोदी को अमिता की एक डायरी हाथ लगी, जिसमें अमिता और संजय सिंह के बीच चल रहे प्रेम – संबंध की जानकारी थी। उन्हें इस बात का पहले ही शक था, जो अब यकीन में तब्दिल हो चुका था। साल 1988 में अमिता कुलकर्णी ने एक बेटी को जन्म दिया, जिसके बाद दोनों के संबंध और खराब हो गए क्योंकि सैयद को शक था कि ये उनका बच्चा नहीं है। इसके दो माह के भीतर ही सैयद मोदी की हत्या हो गई।
मोदी की हत्या (Syed Modi Murder) 28 जुलाई 1988 को लखनऊ में उस वक्त हुई, जब वह केडी सिंह बाबू स्टेडियम (KD Singh Babu Stadium) में प्रैक्टिस करने के बाद घर के लिए निकल रहे थे। बाहर पहले से ही घात जमाए बैठे हमलावरों ने उनपर तोबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। उनपर आठ गोलियां दागी गईं। शुरूआती जांच के बाद मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया। नवंबर 1988 में सीबीआई ने इस केस में चार्जशीट दाखिल की थी जिसमें कुल सात लोगों को आरोपी बनाया गया था. आरोपियों में संजय सिंह, अमिता मोदी, जितेंद्र सिंह, भगवती सिंह, अखिलेश सिंह, अमर बहादुर सिंह और बलई सिंह शामिल थे।
एक – एक कर बरी होते गए आरोपी
संजय सिंह और अमिता मोदी ने सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ दायर चार्जशीट को अदालत में चुनौती दी, जहां फैसला उनके पक्ष में आया। साल 1990 के सितंबर माह में पुख्ता सबूत के अभाव में सेंशन कोर्ट ने दोनों का नाम केस से अलग कर दिया। 1996 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अन्य अहम आरोपी अखिलेश सिंह को भी बरी कर दिया। आरोपी जितेंद्र सिंह को भी बेनिफिट ऑफ डाउट देकर रिहा कर दिया गया। इस केस में सात में से चार आरोपी तो पहले ही रिहा हो गए, बाकी बचे अमर बहादुर सिंह का संदिग्ध हालत में मर्डर हो गया और एक अन्य आरोपी बलई सिंह की भी मौत हो गई। सैयद मोदी मर्डर केस के आखिरी आरोपी भगवती सिंह उर्फ पप्पु को लखनऊ के सेशन कोर्ट ने दोषी करार दिया और उम्रकैद की सजा सुनाई, जिसे कल यानि बुधवार को प्रयागराज हाईकोर्ट (Prayagraj High Court) ने भी बरकरार रखा है।