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साइकिल पर सवार होने से अजित सिंह का इनकार, मुलायम से टूटी बातचीत

Rishi
Published on: 30 May 2016 11:35 PM IST
साइकिल पर सवार होने से अजित सिंह का इनकार, मुलायम से टूटी बातचीत
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Yogesh Mishra योगेश मिश्र

लखनऊः मुलायम सिंह एक बार फिर सख्त हो गए हैं। इसके साथ ही राष्ट्रीय लोकदल के साथ समाजवादी पार्टी की सियासी साझेदारी शुरु होने से पहले ही खत्म हो गई है। अजित सिंह और मुलायम के बीच समझौते और बाद में विलय की बात अब टूट चुकी है। अजित सिंह इससे पहले मुलायम से दिल्ली में मिले थे। उस वक्त उन्हें राज्यसभा भेजने पर करीब-करीब सहमति बन गयी थी। यह माना जा रहा था कि समाजवादी पार्टी या तो अपना एक उम्मीदवार कम करेगी या फिर किसी जोड़-जुगत से अजित को संसद में पहुंचाएगी।

क्यों टूटी बातचीत?

वैसे मुलायम इस बात पर पहले राजी हो गए थे कि अजित को राज्यसभा भेजा जाए। बातचीत की कमान अमर सिंह और शिवपाल सिंह यादव के हाथ में थी, लेकिन नेताजी ने अपने राजनैतिक अनुभव के तुरुप का पत्ता चल दिया। उन्होंने अजित के दल रालोद के सपा में विलय की शर्त रख दी। इस शर्त पर अजित राजी नहीं हुए और बातचीत टूट गई।

क्यों रखी थी नेता जी ने शर्त?

नेताजी यानी मुलायम यूं ही अजित को लेकर सख्त नहीं हुए। उन्हें पता है कि अजित कई राजनैतिक घाटों का पानी पी चुके है। वो कांग्रेस की सरकार में भी मंत्री थे और बीजेपी की भी। सपा से भी हाथ मिलाया और बीएसपी से भी बातचीत की पींगें बढ़ाई हैं। इस बातचीत से पहले अजित सिंह ने नीतीश कुमार के साथ मिलकर फ्रंट पर हामी भरी थी, पर बाद में बीजेपी से गलबहियां कर ली थीं। वह बीएसपी से भी संपर्क कर चुके थे। इसके साथ ही नेताजी यह जानते हैं कि जिससे भी अजित मिले हैं, फायदा हमेशा अजित सिंह का ही हुआ है। वहीं, वक्त का मिजाज उनकी सियासी चाल को हर बार बदल देता है। ऐसे में साफ है कि नेताजी ने अजित की पार्टी के विलय की शर्त को उनकी सियासी दिलफेक अंदाज पर काबू की कोशिश की तरह इस्तेमाल किया। बहरहाल, इस बार तो राज्यसभा का चैप्टर अजित के लिए बंद ही दिख रहा है।



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Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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