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Teachers Day: देश के ये दिग्गज नेता भी कभी रहे शिक्षक, इनके पढ़ाने की शैली को लेकर आज भी कायल हैं उनके शिष्य
Teachers Day: शिक्षक दिवस के अवसर पर हम आपको उन राजनेताओं से रूबरू कराएंगे जो कभी अपने समय में एक सफल शिक्षक भी हुआ करते थे। इनके पढ़ाने को लेकर उनके शिष्य आज भी उन्हें याद करते हैं।
Teachers Day: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संस्थापक व सूबे के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) कभी पहलवानों के सबसे मनपसंद गुरु हुआ करते थे।उनके बेहद करीब से जानने वाले लोग बताते हैं कि जब वे विद्यार्थी जीवन जी रहे थे,तब उनके पिता चाहते थे कि उनका बेटा मुलायम एक शानदार पहलवान बनें और काफी हद तक उन्होंने अपने पिता का सपना पूरा भी किया था।
जब अपने विद्यार्थी जीवन से जवानी की दहलीज पर मुलायम सिंह यादव कदम रख रहे थे, तभी वे अखाड़े में पहलवानों के गुरु बन चुके थे। मुलायम सिंह यादव को उस समय के पहलवान अपना गुरु इसलिये मानते थे क्योंकि वे पहलवानी के धोबी पाट व चरखा दांव के मंजे हुए खिलाड़ी हुआ करते थे और ये दोनों ही दांव पेंच उनसे सीखने के लिए पहलवान उनके पास आया करते थे। हालांकि राजनीति के अखाड़े में जब उन्होंने दंगल करना शुरू किया तो इन्हीं दोनों दांव पेंच के कारण उन्होंने बड़े-बड़े राजनीतिक दिग्गजों को चित किया है।
एक शानदार शिक्षक के रूप में भी पहचाने गए मुलायम
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जनपद के करहल कस्बे में स्थित जैन इंटर कॉलेज से 1959 में इंटर करने के बाद मुलायम सिंह यादव ने इसी कॉलेज में एक शिक्षक के तौर पर अपने करियर (Mulayam Singh Yadav Career) की शुरुआत की थी। तब उन्हें 120 रुपये मासिक वेतन मिलता था, फिर लगभग 11 वर्ष बाद इसी जैन इंटर कॉलेज में वर्ष 1974 में वे राजनीति शास्त्र के प्रवक्ता बना दिये गए।
मुलायम सिंह यादव की क्लास के विद्यार्थी बताते हैं कि वे रटकर विषय को कभी नहीं समझते थे। वे सब्जेक्ट को अपने स्टाइल से अपने क्लास के विद्यार्थियों को समझाया करते थे। उनके समय के उनके शिष्य बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव विषय को बेहद रोचक ढंग से पढ़ाने के लिए पूरे जैन इंटर कॉलेज में तत्कालीन विद्यार्थियों के बीच बेहद मशहूर थे।
उनके समय के इस कॉलेज के उनके शिष्य बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव बच्चों को कभी मारपीट के साथ नहीं पढ़ाते थे। उनका मानना था कि अपने शिक्षक के प्रति स्टूडेंट में यदि पिटने का डर बैठ गया तो फिर स्टूडेंट की बुद्धि का कौशल विकास नहीं हो सकता है। मुलायम सिंह यादव करहल के इसी जैन इंटर कॉलेज में सामाजिक विज्ञान व हिंदी भी पढ़ाया करते थे।
अन्य विद्यार्थी बताते हैं कि वे सब्जेक्ट को बेहद यथार्थ तरीके से समझाने का प्रयास करते थे। जिसके कारण उनके पढ़ाने के तरीके में काफी रोचकता आ जाती थी। उनके समय के उनके शिष्य बताते हैं कि वे अपने क्लास के विद्यार्थियों में एक्स्ट्रा टेलेंट को खोजने का प्रयास करते थे। फिर उसके उस टेलेंट को भी वे विकसित करने का प्रयास करते थे।
मैनपुरी जनपद के करहल में स्थित जैन इंटर कॉलेज के तत्कालीन शिक्षक बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव जितने बड़े आज राजनेता हैं उससे कई गुना बड़े व मंझे हुए शिक्षक भी हैं।उनके द्वारा शिक्षित किये गए विद्यार्थी आज भी शराब ,तम्बाकू पान मसाले के सेवन करने से दूरी बनाए हुए हैं।जैन इंटर कॉलेज का शिक्षण स्टाफ आज भी उनके अध्यापन काल का कायल हैं।
पूर्व सीएम कल्याण सिंह भी रहे हैं प्रायमरी के शिक्षक
उत्तर प्रदेश के दो बार रहे सीएम व राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह वर्मा ने भी अपने जीवन के करियर (Kalyan Singh Career) की शुरुआत एक प्रायमरी शिक्षक के रूप ने की थी। वे अलीगढ़ के अतरौली के एक प्राथमिक पाठशाला में शिक्षक के रूप में बच्चों के गुरु भी रह चुके थे।
फिर विगत 1962 में विख्यात राजनैतिक चिंतक पं0 दीनदयाल उपाध्याय से प्रेरित होकर उन्होंने राजनीति ने प्रवेश लिया था। एक शिक्षक के रूप में उनकी वाक शैली बेहद कर्णप्रिय थी। उनके नजदीकी लोग कहते है एक शिक्षक के रूप में जो वाक शैली उनकी रही थी,उसी वाकशैली का प्रयोग उन्होंने राजनैतिक मंचो में किया था,इसीलिए वे एक अच्छे वक्ता के रूप में भी राजनीति के मैदान में पहचाने गए थे।
पूर्व सीएम मायावती भी रहीं शिक्षक
बहुजन समाजवादी पार्टी (Bahujan Samajwadi Party) की राष्ट्रीय अध्यक्ष उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती (Mayawati) भी दिल्ली के एक स्कूल से बतौर शिक्षका के रूप में अपने जीवन के करियर (Mayawati Career) की शुरुआत की थी। उनकी माता तो अनपढ़ थीं लेकिन उनके पिता सरकारी कर्मचारी हुआ करते थे। उनकी मां रामरती खुद अनपढ़ होने के बावजूद भी उन्हें शिक्षा के महत्व का ज्ञान था, इसीलिए उन्होंने सभी बच्चों को शिक्षित बनाया।
सूबे की चार बार सीएम रह चुकीं बसपा प्रमुख मायावती बीएड व एलएलबी कर चुकीं हैं। उनके नजदीकी लोग बताते हैं कि एक समय मायावती ने भारतीय प्रशासनिक सेवा में अपना कैरियर बनाने के लिये मन में विचार किया था,तब उन्होंने इसकी परीक्षाओं की जमकर तैयारी भी की थी लेकिन 1977 में कांशीराम के सानिध्य में आने के बाद वे राजनीति के मैदान में आ डटी हैं।
देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी रहे हैं शिक्षक
भारत के रक्षामंत्री व सूबे के पूर्व सीएम राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) भी मिर्जापुर के. के. बी. पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में भौतिक विज्ञान के लेक्चरर (Physics Lecturer) रह चुके हैं।13 साल की उम्र से ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सँघ परिवार से जुड़ गए थे।शिक्षक बनने के बाद भी वे संघ परिवार से जुड़े रहे।
समय बीतने पर विगत वर्ष 1974 में वे भारतीय जनसंघ के सचिव बनाये गए। फिर बाद में वे सूबे के सीएम,देश के गृहमंत्री व अब भारत के रक्षामंत्री हैं। राजनाथ सिंह चन्दौली के एक छोटे से गांव के एक साधारण किसान परिवार में जन्म लिया था।उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएट किया है।