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पंचायत चुनाव में शिक्षकों की मौत से नाराजगी, अकेले झांसी में ही 10 की गई जान

पंचायत चुनाव में शिक्षकों की मौत की गलत जानकारी देने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गयी है।

Shreedhar Agnihotri
Written By Shreedhar AgnihotriPublished By Ashiki
Published on: 19 May 2021 7:12 PM IST (Updated on: 21 May 2021 7:30 AM IST)
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पंचायत चुनाव में ड्यूटी करते शिक्षक (Photo-Social Media)

लखनऊ: राज्य सरकार द्वारा कोरोना से मृत्यु का शिकार हुए तीन के आंकड़े से नाराज कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी एवं पेंशनर्स अधिकार मंच, उ.प्र.के नेताओं ने गलत जानकारी देने वाले अधिकारियों के खिलाफ सरकार से कार्रवाई की मांग करते हुए अपनी मंशा स्पष्ट करने की मांग की है। मंच ने कहा कि कोरोना काल में मृत्यु का शिकार हुए शिक्षकों के परिजनों के आंसू पोछने की जगह कतिपय अधिकारी सरकार के सामने अपने नम्बर बढ़ाने के लिए जो आंकड़े दे रहे है उससे प्रदेश के शिक्षक कर्मचारी आक्रोशित है।

मंच के नेताओं ने कहा कि अगर शिक्षक कर्मचारी के मृत्यु बाजी में इस तरह की आंकड़ेबाजी का खेल किया गया तो आन्दोलन और न्यायालय जाना मंच की मजबूरी होगा। इस दौरान कर्मचारी नेता हरिकिशोर तिवारी ने कहा कि अगर किसी मंत्री, सांसद और विधायक को किसी दौरे के दौरान मृत्यु पर पाॅच करोड़ मिलेगा कहा जाए तो क्या वह उस दौरे को करेगा? उन्होंने कहा कि जो शिक्षकों की मृृत्यु का आंकड़ा शासन ने जारी किया है उसे केवल झाॅसी के जिलानिर्वाचन अधिकारी द्वारा झाॅसी में कोरोना से मृत्यु का शिकार हुए कर्मचारी शिक्षकों की सूची ही झूठा साबित कर रही है। आठ मई को जारी इस सूची में जिला निर्वाचन अधिकारी ने मृतक शिक्षको की संख्या दस बताई है। इसी तरह 6 मई को सोनभद्र जिले की शिक्षकों की मृत्यु की अधिकारिक रिपोर्ट फिर कल 3 की सूचना कैसे दी गई।

आज वर्चुअल प्रादेशिक संवाद उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा. दिनेश चन्द्र शर्मा, कलेक्ट्रेट मिनिस्टिीरियल संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार त्रिपाठी, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी, राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष कमलेश मिश्रा, इन्दिरा भवन जवाहर भवन कर्मचारी महासंघ और

राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सतीश कुमार पाण्डेय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रामराज दुबे सहित अन्य कई संगठनों के नेताओं ने सरकार को इस संक्रमण काल में सेवाा करने के दौरान मृत्यु का शिकार हुए कर्मचारी शिक्षकों के मामले में संवेदनशीलता से विचार करने और इस सम्बंध में हाईकोर्ट के आदेश के अनुरूप मुआवजा देने तथा गलत सूचना देने वाले अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है।

वर्चुअल संवाद में हरि किशोर तिवारी ने कहा कि सरकार के आधिकारिक तौर पर शिक्षा विभाग द्वारा कोरना के कारण पंचायत चुनाव ड्यूटी मैं पूरे प्रदेश में शिक्षकों की संख्या तीन दिखाई गई है। इस प्रकार के आंकड़े देने वाले अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समाज के लिए संवेदनशील नहीं माने जा सकते हैं। ऐसा लगता है कि इन अधिकारियों को लगाकर सरकार मृतकों को किए गए आदेशों का भी लाभ इन अधिकारियों द्वारा नहीं दिलाना चाहती है।

उन्होंने कहा जबकि हम लोगों के पास सूचना उपलब्ध है इसके लिए हम संगठनों को एकजुट होकर सरकार से और इन अधिकारियों से दो टूक भाषा में लड़ना होगा और मृतकों को संवेदनशीलता के साथ हक दिलाना होगा। उन्होंने बताया कि एक लिस्ट झांसी की मृत्यु के कर्मचारियों और शिक्षकों की हमारे पास है जो 8 मई को जारी हुई है जिसमें 10 शिक्षक ऐसे हैं जो ऑन ड्यूटी सरकारी तंत्र ने माने हैं कि उनकी मृत्यु हुई है जबकि आज की तारीख में संख्या बहुत अधिक होगी फिर कल जारी सूची में पूरे प्रदेश में 3 लोगों को मानकर एक हास्यास्पद स्थिति पैदा की गई है ।



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Ashiki

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