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इस दीवाली चाइनीज लाइटों का बहिष्कार, टेराकोटा शिल्पकारों के लिए गोल्डन चांस
गोरखपुर: जिला उद्योग एवम उद्यम प्रोत्साहन केन्द्र द्वारा आयोजित हस्त शिल्प मेले का आयोजन इन्दिरा बाल बिहार पार्क में किया गया है, जिसमें दो दर्जन से ज्यादा शिल्पकारों ने स्टॉल के माध्यम से अपनी अपनी कला प्रदर्शन कर रहे है और साथ में अपनी कला से लोगो को आकर्षित कर पैसे भी कमा रहे है। विभिन्न प्रकार की टेरेकोटा की मूर्तियों इस हस्त शिल्प मेले में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। इसके साथ ही दीपावली को ध्यान में रखते हुए रंग-बिरंगे दीपक, गणेश लक्ष्मी की मुर्तिया, हाथी, घोड़े, फ्लावर स्टैण्ड, फ्लावर पॉट, झूमर, पंच दीप, ऊंट, कलश, दीप कुंजी, कोसा दिप सहित कई कलाकृतिया इस मेले में कम मूल्य में लोग खरीद रहे हैं। इसके साथ ही चाइनीज लाइटों के बहिष्कार से इस मेले में हस्त शिल्पियों को सुनहरा मौक़ा प्रदान कर रही है।
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टेराकोटा के कई शिल्पी मौजूद
इस सम्बन्ध में औद्योगिक पर्वेक्षक जनार्दन सिंह ने बताया की औरंगाबाद टेरेकोटा के नाम से प्रसिद्ध है. टेरेकोटा के नाम से कई गांव में हस्त शिल्पी हमारे है, जैसे औरंगाबाद, एकला नंबर 2, भरवलिया, गुलहरिया, हाफिजनागर, पादरीबाजार, बेलवारायपुर है इन सभी गावो के सारे हस्त शिल्पी बिखरे हुए है| जिले में एक जनपद एक उत्पाद के नाम से इनको प्रोत्साहित किया गया है, कि लोग जान सके और इसी नाम से ये प्रसिद्ध भी हुआ है टेराकोटा| टेराकोटा को इसीलिए हम लोग बढ़ावा दे रहे है क्योकि ये हस्त शिल्पी बाहर निर्यात नहीं कर पाते है, इस लिए ऐसे मेले का आयोजन किया जाता है जिसमे इन्हे कला के बदले पैसे भी मिल सके| विभाग इनकी मदद इस रूप में करता है ये लोग जहा भी जाते है चाहे वो चेन्नई, कलकत्ता, लखनऊ, दिल्ली जाते है तो किराया और स्टॉल का खर्चा अधिकतम 10 हजार रुपये इन्हे शासन की तरफ से मिलता है| वही जबसे चायनीज लाइटों को बहिष्कार हुआ है तबसे इनकी बिक्री और बढ़ गई है साथ ही दीपको की डिमांड भी काफी बढ़ गई है।
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शिल्प्कला पुश्तैनी कार्य
वही शिल्पकार पन्नेलाल प्रजापति ने बताया की ये शिल्पकला हमारा पुस्तैनी कार्य है और ये हमारी तीसरी पीढ़ी है जो इस कार्य को कर रही है. टेराकोटा में सभी चीजों का निर्माण हाथो से किया जाता है और हर एक चीज हम बनाते है| वही जिला उद्योग एवम उद्यम प्रोत्साहन केन्द्र से हमे काफी प्रोत्साहित किया जाता है साथ ही हम जहा भी स्टॉल लगाते है वहा के आने और जाने का किराया हमे विभाग की तरफ से मिलता है| इस बार दीपक की डिमाण्ड सबसे ज्यादा है क्योकि दीपावली का समय है और चायनीज लाइटों का लोग बहिष्कार कर रहे है जिससे हमलोगो के लिए ये एक सुनहरे अवसर से कम नहीं है हम लोगो की डिमाण्ड ही पूरी नहीं कर पा रहे है लोग रंग - बिरंगे दीपक खरीद रहे है।