×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

संघ के लिए राममंदिर से बड़ा मुद्दा आतंकवाद, प्रतिनिधि सभा में चुनावी रणनीति पर होगी चर्चा

देश में होने वाले हर चुनावों से पूर्व राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ता। अब जब देश की सबसे बड़ी पंचायत (लोकसभा) के चुनाव का समय नजदीक आ रहा है तो देश के सबसे बड़े प्रदेश में भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एक बार फिर तैयारी में है।

Dharmendra kumar
Published on: 25 Feb 2019 3:19 PM IST
संघ के लिए राममंदिर से बड़ा मुद्दा आतंकवाद, प्रतिनिधि सभा में चुनावी रणनीति पर होगी चर्चा
X

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: देश में होने वाले हर चुनावों से पूर्व राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ता। अब जब देश की सबसे बड़ी पंचायत (लोकसभा) के चुनाव का समय नजदीक आ रहा है तो देश के सबसे बड़े प्रदेश में भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एक बार फिर तैयारी में है। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में अगले महीने 9 मार्च से होने वाली तीन दिवसीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में अन्य प्रदेशों के अलावा सबसे अधिक फोकस यूपी को लेकर होना है।

बैठक के दौरान जहां एक ओर संघ के विभिन्न संगठनों के आगामी एक वर्ष के क्रिया कलापों पर मंथन होगा तो वहीं लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीत के मुहाने तक कैसे पहुंचाया जाए इस पर भी गंभीरता से चिंतन होगा। देश में आतंकवाद और पुलवामा की घटना के बाद जनता को सरकार पर भरोसा पैदा करने की रणनीति पर भी विचार किया जाएगा। संघ को लग रहा है कि बदलते माहौल में अब राममंदिर से बडा मुददा आतंकवाद हो चुका है। बैठक के दौरान किसी भी एक दिन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और संगठन महामंत्री राष्ट्रीय रामलाल के अलावा यूपी के संगठन मंत्री सुनील बंसल को भी आमंत्रित किए जाने की संभावना है।

यह भी पढ़ें.....पगडंडी से तय किया सात समंदर पार का सफर, अब ऑस्कर में गूंजेगी इस लड़की की कहानी

माना जा रहा है कि मार्च महीने में मध्य प्रदेश के ग्वालियर में होने जा रही प्रतिनिधि सभा की बैठक में आरएसएस के लगभग 15 सौ प्रतिनिधियों की उपस्थिति में लोकसभा चुनाव के विषय पर मंथन होना तय है। लोकसभा चुनाव के पूर्व संघ की यह सबसे बड़ी बैठक है। संघ के एक पदाधिकारी ने बताया कि बैठक में देश के अन्य विषयों पर जहां विचार विमर्श किया जाएगा। मुख्य रूप से देश में आतंकवाद और पुलवामा की घटना के बाद जनता को सरकार पर भरोसा पैदा करने की रणनीति पर भी विचार किया जाएगा। क्योंकि संघ को पता है कि बदलते माहौल में अब राममंदिर से बड़ा मुद्दा देश में की सीमाओं पर बढता आतंकवाद है।

यह भी पढ़ें.....एक ही परिवार के 3 लोगों की गला रेतकर हत्या, भारी फोर्स तैनात

वहीं इस बात पर भी मंथन हो सकता है कि स्वयंसेवक मोदी सरकार के किन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएं। संघ इस बात को लेकर चिंतित है कि जनता के मूड को भांपना बेहद कठिन काम होता है, क्योंकि 2004 में अटल सरकार के फीलगुड की चारों तरफ सराहना होने के बाद भी अटल विहारी वाजपेयी को सत्ता से हाथ धोना पडा था। उसे पता है कि आने वाले लोकसभा चुनाव और पूर्व के लोकसभा चुनाव में काफी अंतर आ चुका है। अब 2019 में 2014 जैसा माहौल नहीं है। बेशक मोदी सरकार ने आर्थिक सुधारों से लेकर देशहित के कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। किंतु इस बार एकजुट विपक्ष के चलते संघ को भाजपा की चुनावी वैतरणी पार लगाने के लिए मैदान में उतरना ही होगा।

यह भी पढ़ें.....कानपुर में बालाजी के दर्शन कर बोले राष्ट्रपति, कहा- दर्शन करने से मिलती है शांति

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ इस बात को लेकर बेहद चिंतित है कि मध्यप्रदेश छत्तीसगढ और राजस्थान में बेहतर काम के बावजूद भाजपा के हाथ से सत्ता कैसे निकल गयी? इन राज्यों में हुए चुनावों के बाद संघ की यह सबसे बडी बैठक होनी है। उधर भाजपा को भी लग रहा है कि बिना संघ के सहयोग के लोकसभा चुनाव में उसकी वैतरणी पार होना मुश्किल है। क्योंकि इन राज्यों में हुए चुनावों में संघकाडर की गतिविधियां पूर्व के चुनाव के मुकाबले निष्क्रिय थी। जबकि इन राज्यों में संघ की स्थिति बेहद मजबूत कही जाती हैं।



\
Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

Next Story