Balarampur News: इस प्राचीन मंदिर की शक्ति को अंग्रेजों ने भी किया था महसूस, रेलवे लाइन की बदल दी थी दिशा

Balarampur News: शहर के बहराइच मार्ग पर झारखंडी शिव मंदिर स्थित है। मंदिर के नाम से ही झारखंडी रेलवे स्टेशन भी है। सड़क से सटे मंदिर परिसर में शिव बाबा का दरबार है।

Sanskar Yadav
Published on: 14 July 2023 11:23 AM GMT (Updated on: 14 July 2023 4:39 PM GMT)
Balarampur News: इस प्राचीन मंदिर की शक्ति को अंग्रेजों ने भी किया था महसूस, रेलवे लाइन की बदल दी थी दिशा
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Balarampur News: शहर के बहराइच मार्ग पर झारखंडी शिव मंदिर स्थित है। मंदिर के नाम से ही झारखंडी रेलवे स्टेशन भी है। सड़क से सटे मंदिर परिसर में शिव बाबा का दरबार है। साथ ही बजरंगबली, मां दुर्गा, सांई बाबा, नरसिंह भगवान, राधा-कृष्ण का भी मंदिर है। लेकिन मुख्य दरबार शंकर भगवान का ही है। यहां साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है। सावन में हर रोज तथा साल भर सोमवार को जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है।

राजपरिवार ने 1885 में कराई थी भोलेनाथ के दिव्य मंदिर की स्थापना

झारखंडी शिव मंदिर अपने अलौकिक महत्व व इतिहास को समेटे है। मंदिर के प्रमुख पुजारी बाबा सोनू गिरि बताते हैं कि 1885 ई. में अंग्रेजों के जमाने में रेल पटरी बिछाई जा रही थी। खुदाई के दौरान काम करने वालों को शाम के समय शिवलिंग मिला। अंग्रेज अधिकारी की तबियत खराब थी। उसने खुद के स्वस्थ होने की शिवलिंग से प्रार्थना की। आश्चर्यजनक रूप से वो सुबह पूरी तरह स्वस्थ्य हो गया। जिस कारण अंग्रेज अधिकारी ने इस जगह को छोड़कर रेल लाइन करीब 50 मीटर दूर बिछवाने का निर्णय किया और रेल लाइन बिछाई। इसके बाद निकले शिवलिंग की स्थानीय लोग पूजा-अर्चना करने लगे। इसकी सूचना लोगों ने राज परिवार के तत्कालीन राजा दिग्विजय सिंह को दी। राज परिवार ने यहां मंदिर बनवाने का निर्णय लिया और रियासत ने मंदिर बनवाकर प्राण-प्रतिष्ठा कराई।

इस वजह से पड़ा झारखंडी शिव मंदिर नाम

पहले यहां पर जंगल और झाड़ियां थी और इस बीच मिले शिवलिंग के कारण इस मंदिर का नाम झारखंडी शिव मंदिर पड़ा। सावन भर और महाशिवरात्रि व कजरी तीज पर इस मंदिर में मेला लगता है। आजकल सावन माह को लेकर मंदिर परिसर में विशेष साफ-सफाई की व्यवस्था की गई है। मंदिर कमेटी श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए विशेष व्यवस्था करती है। जलाभिषेक में भक्तों की भीड़ होने पर पुरुष व महिलाओं की कतार अलग लगती है। इससे श्रद्धालुओं को पूजन में किसी प्रकार की परेशानी न हो। सावन को लेकर शिव मंदिर को सजाया गया है। मंदिर परिसर में ही बेलपत्र व फूल समेत अन्य पूजन सामग्री की दुकानें भक्तों की सुविधा के लिए सजती हैं। झारखंडी शिव मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है। सावन, मलमास, महाशिवरात्रि, कजरीतीज व सोमवार के दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है। भक्त जलाभिषेक कर भोलेबाबा का पूजन अर्चन करते हैं।

आदिशक्ति मां भगवती की होती है आराधना

मंदिर परिसर में आदिशक्ति के साथ कई अन्य देवी-देवताओं की मूर्ति स्थापित होने से यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है। मंदिर का सुंदर वातावरण लोगों को आकर्षित करता है। नवरात्रि में यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है। अन्य मांगलिक कार्यक्रमों की शुरुआत में भी भक्त यहां आकर मत्था टेकते हैं। दुर्गा मंदिर के पुजारी बाबा बुद्धि सागर तिवारी बताते हैं कि लगभग 100 वर्ष पूर्व बरुआ बाबा मंदिर वाले स्थान पर आदिशक्ति मां भगवती की आराधना किया करते थे। तब इस परिसर में सिर्फ भोलेनाथ का ही मंदिर था। बाबा ने यहां आने वाले भक्तों की मदद से परिसर में मां दुर्गा की छोटी मूर्ति की स्थापना की। कुछ दिनों बाद स्थानीय निवासी स्वर्गीय गयादत्त त्रिपाठी ने मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार कराया। तभी से भक्त यहां 365 दिन मां दुर्गा के दिव्य स्वरूप की आराधना करते हैं।

मंदिर की सरोवर पर दूसरे समुदाय का अवैध कब्जा!

मंदिर से सटी हुई लगभग तीन बीघे की झारखंडी मंदिर सरोवर पर धीरे-धीरे दूसरे समुदाय के कुछ दबंग लोग स्थानीय प्रतिनिधियों के सहयोग से कब्जा करते जा रहे हैं। साथ ही मंदिर सरोवर का प्रशासन व पालिका द्वारा सफाई न होने से पानी काफी गंदा हो गया है और स्थानीय प्रशासन की उपेक्षा का शिकार हो रहा है। साथ ही तालाब का आकार सिकुड़ता जा रहा है। स्थानीय लोगों और पुजारी ने बताया कि राज परिवार ने इस तालाब की जमीन को मंदिर सरोवर के नाम सैकड़ों साल पहले दान किया था। किन्तु कुछ वर्ष पूर्व मुस्लिम समुदाय के शिया और सुन्नी में ताजिया दफनाने को लेकर मारपीट हो गई थी। जिस कारण तत्कालीन राजपरिवार ने सुन्नी समुदाय को मंदिर के दूसरी तरफ ताजिया दफनाने के लिए कुछ जमीन दी थी, परन्तु अब मुस्लिम समुदाय के कुछ दबंग पूरी सरोवर पर अधिकार जमाते हुए कब्जा करने की कोशिश में लगे हैं। हालांकि वर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष डॉ. धीरेन्द्र बहादुर सिंह ने सरोवर की साफ-सफाई जल्द कराने को मंदिर कमेटी को आश्वस्त किया है।

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