TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

कम्पनी से लोन वसूली के मामले में हाईकोर्ट ने कही ये बड़ी बात

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि कम्पनी समापन प्राक्रिया में है तो उसके खिलाफ लोन वसूली के लिए सिविल वाद दायर नहीं किया जा सकता। कम्पनी के देनदारी सहित सभी मामले कम्पनी न्यायाधीश द्वारा तय किये जायेंगे।

Aditya Mishra
Published on: 12 July 2019 9:12 PM IST
कम्पनी से लोन वसूली के मामले में हाईकोर्ट ने कही ये बड़ी बात
X
दक्षिण कोरिया: इस मामले को लेकर न्यायाधीश को बर्खास्त करने की उठी मांग

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि कम्पनी समापन प्राक्रिया में है तो उसके खिलाफ लोन वसूली के लिए सिविल वाद दायर नहीं किया जा सकता। कम्पनी के देनदारी सहित सभी मामले कम्पनी न्यायाधीश द्वारा तय किये जायेंगे।

ये भी पढ़ें...इलाहाबाद हाईकोर्ट: एलटी पेपर लीक मामले में फैसला सुरक्षित

गारंटर अपनी जवाबदेही से मुक्त नहीं

कोर्ट ने अधीनस्थ न्यायालय द्वारा कम्पनी एक्ट की धारा 446 के अंतर्गत सिविल वाद को बाधित मानते हुए खारिज करने को सही करार दिया है। किन्तु इसका आशय यह नहीं है कि गारंटर अपनी जवाबदेही से मुक्त हो गया।

लोन लेने वाले से वसूली में विफल होने पर उसका दायित्व कम नहीं होगा। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने अलीगढ़ के खालिद मुख्तार की प्रथम अपील को खारिज करते हुए दिया है।

याचिका पर अधिवक्ता अंकिता जैन ने बहस की। खालिद मुख्तार ने अलीगढ़ में दावा दायर किया जिसमें कहा गया कि मेसर्स प्रादेशीय औद्योगिक एवं इन्वेस्टमेंट कार्पोरेशन ने मेसर्स बके बैटरीज प्रा.लि. लोन दिया।

ये भी पढ़ें...तेज बहादुर यादव ने पीएम मोदी के चुनाव की वैधता को हाईकोर्ट में दी चुनौती

इसलिए नहीं दायर किया जा सकता वाद

लोन अदा न करने पर अपीलार्थी गारंटर के खिलाफ वसूली कार्यवाही के विरुद्ध निषेधाज्ञा के लिए वाद दायर किया गया। 1983 में 30 लाख के लोन वसूली गारंटर से नहीं की जा सकती। कोर्ट ने कहा कम्पनी का समापन हो रहा है। इसलिए वाद दायर नहीं किया जा सकता।

गारंटर का कहना था कि जितना उसका दायित्व है उतनी ही जवाबदेही होगी। वैसे 3 साल बाद वसूली कार्यवाही काल बाधित है। कोर्ट ने कहा कि अपीलार्थी ने कम्पनी जज से अनुमति नहीं ली गयी।

अपीलार्थी का कहना था कि पहले लोन लेने वाली कम्पनी से वसूली की जाय। यह अर्जी कम्पनी जज ने निरस्त कर दी तो वाद दायर किया गया था।

ये भी पढ़ें...कलकत्ता हाईकोर्ट ने ममता सरकार से पूछा- डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए क्या किया?



\
Aditya Mishra

Aditya Mishra

Next Story