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गुजरात से यूपी पहुंचे श्रमिक, मजदूरों का दर्द सुनकर आखों में आ जाएगा आंसू

गुरुवार को गुजरात के वड़ोदरा से चलकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन कन्नौज रेलवे स्टेशन पर पहुंची। इसमें यूपी के 58 जिलों के 1815 प्रवासी कामगार, बच्चे, महिलाएं आदि उतरे। सभी को जिला प्रशासन ने रोडवेज बसों से अपने-अपने जिलों में रवाना किया।

Dharmendra kumar
Published on: 14 May 2020 5:20 PM GMT
गुजरात से यूपी पहुंचे श्रमिक, मजदूरों का दर्द सुनकर आखों में आ जाएगा आंसू
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कन्नौज: गुरुवार को गुजरात के वड़ोदरा से चलकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन कन्नौज रेलवे स्टेशन पर पहुंची। इसमें यूपी के 58 जिलों के 1815 प्रवासी कामगार, बच्चे, महिलाएं आदि उतरे। सभी को जिला प्रशासन ने रोडवेज बसों से अपने-अपने जिलों में रवाना किया। इत्रनगरी उतरे यात्रियों, मजदूरों व प्रवासी कामगारों ने लॉकडाउन के बारे में बताया। दिक्कतों और अपने सफर को साझा किया।

टिकट लेकर आए हैं

फर्रुखाबाद जिले के घटिया निवासी आफताब ने बताया कि गुजरात में सब्जी की गाड़ी चलाते थे। लॉकडाउन में काम धंधा नहीं है। खाने-पीने को नहीं मिला। परिवार के चार लोग रहते थे। परेशानी हुई इसलिए वापस आना पड़ा है। घर पर जाकर कुछ न कुछ करना ही पड़ेगा। ट्रेन से 540 रुपए का टिकट लेकर आए हैं।

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मजदूर हैं, दिक्कतें हुईं

रायबरेली के लालगंज के फगुरा निवासी आबिर खान ने बताया कि गुजरात में टोकन मिला। लाइन लगाकर टिकट लिया है। जो रूल था, उसी हिसाब से कन्नौज उतरे हैं। वहां तो फंसे थे। घर जाने की मजबूरी थी, इसलिए टिकट खरीद ली। वहां पर फर्नीचर का करते थे। लॉकडाउन में काम बंद हो गया। मजदूर आदमी हैं दिक्कतें तो बहुत हुईं। गांव में खेती कर थोड़ा-बहुत जीवन चल जाएगा।

सरकार के सहयोग से आ सके

बदायूं के थाना औसावा ग्राम कलक्टरगंज निवासी संतोष ने बताया कि ट्रेन से आते समय रास्ते में नाश्ता-पानी मिला। टिकट लेने के लिए 660 रुपए दिए। हम अपने पहुंच रहे हैं, सरकार का सबसे बड़ा सहयोग है। लॉकडाउन में इससे बड़ा कुछ नहीं हो सकता। टिकट का रुपया हम दें चाहे गवर्नमेंट दे। गुजरात में डेयरी में काम करते थे। फिलहाल तो इतनी दूर नहीं जा सकता हूं। अभी 15 लोग आए हैं। परिणाम अच्छा रहेगा तो जाने की सोचेंगे। कुछ लोग रह गए हैं उनको भी बुलाना है।

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साहिल ने कहा, खेल नहीं पाया

कक्षा तीन में पढ़ने वाले जौनपुर निवासी छात्र साहिलगिरी ने बताया कि गुजरात में पापा टेलरी करते थे। मम्मी भी सिलाई करती थीं। वहां का इलाका रेड जोन में आ गया। मार्केट, स्कूल सब बंद हैं। लॉकडाउन में कहीं खेल भी नहीं पाए। कई दिनों से अच्छा नहीं लगा। अब घर जा रहे हैं।

घूमने गया था, लेकिन फंस गया

फोटो:20: रेलवे स्टेशन से जीटी रोड किनारे खड़ीं रोडवेज बसों की ओर जाते मोहम्मद अयूब।

रेलवे की ट्राई साइकिल से साथी के सहयोग से रोडवेज बस तक जा रहे दिव्यांग मोहम्मद अयूब ने बताया कि वह बिजनौर जा रहे हैं। गुजरात में लॉकडाउन के दौरान खाने-पीने की दिक्कत रही। घूमने के लिए वहां गए थे, लॉकडाउन में फंस गए। अब गाड़ी आई तो आ सके हैं। सरकार ने भिजवाने में मदद की है।

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गांव में खेती करेंगे इबरार

इबरार हुसैन ने बताया कि उनको बहराइच जाना है। रेलवे ने टिकट देकर बडोदरा से कन्नौज भेजा है। 560 रुपए का टिकट खरीदा था। दो महीने से गुजरात में कामबंद है। सेठ की तरह से खाना मिल रहा था तो गुजारा हो रहा है, अब घर पर खेतीवाड़ी करेंगे। वहां पर परिवार के सात लोग थे, जो वापस आ गए हैं। वहां की सरकार से मदद नहीं मिली। काफी अर्से से रह रहे थे। पूरा सामान ले आए हैं।

अभी कई लोग फंसे हैं

लोकनाथ पाल ने बताया कि वह 13 साल से गुजरात में रहकर रोटर का काम करते रहे हैं। मजबूरी है इसलिए आए हैं। मोती लाल पुर्वा में अपने घर पर बच्चों के साथ रहेंगे। गांव में खेती कर गुजारा करेंगे। लॉकडाउन में हर चीज की दिक्कत आई। खाना-पानी नहीं मिला। ऐसा समय कभी नहीं देखा। परिवार के पांच सदस्य वहां रहते थे। अभी काफी जानने वाले लोग फंसे हैं।

रिपोर्ट: अजय मिश्रा

Dharmendra kumar

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