दबिश देने पहुंची पुलिस की असंवेदनहीनता, गर्भवती को दौड़ाया, जच्चा-बच्चा की मौत

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Published on: 30 Oct 2017 6:55 AM GMT
दबिश देने पहुंची पुलिस की असंवेदनहीनता, गर्भवती को दौड़ाया, जच्चा-बच्चा की मौत
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बाराबंकी: खाकी वर्दी की करतूत वैसे तो अक्सर ही सुर्खियों में रहती है। फिर चाहे वो अपराधियों से साठ-गांठ की बात हो या फिर थाने आए पीड़ित से दुर्व्यवहार की। अक्सर पुलिस घटना पर लगाम ना लगा पाने से ज़्यादा अपने व्यवहार और कार्यशैली को लेकर चर्चित नज़र आती है। लिहाज़ा इस बार भी पुलिस का कुछ ऐसा हो चेहरा सामने आया है, जिसने एक परिवार से उसका सबकुछ छीन लिया।

क्या है पूरा मामला

यूपी के बाराबंकी में भी कुछ ऐसा मामला सामने आया है, जिसने एक बार फिर खाकी को शर्मसार कर दिया है। इस बार ख़ाकी वालों की शर्मसार कर देने जैसी हरकतों ने खाकी के दामन पर एक बार फिर दाग लग दिया है। ताजा मामला असंद्रा थाना क्षेत्र के अंतर्गत मानपुर मकोहिया गांव का है, जहां पर कच्ची शराब बनने की सूचना मिलने पर दबिश के लिए गए पुलिसकर्मियों पर एक गर्भवती महिला की मौत का आरोप लगा है।

मृतकों के परिजनों की मानें ने तो दबिश देने आई पुलिस से घबराकर घर के लोग भाग गए। लेकिन गर्भवती महिला रुचि पेट में गर्भ होने की वजह से भाग न सकी। पुलिसकर्मियों को गर्भवती महिला पर शक हुआ कि कहीं उसने अपने पेट के आगे कच्ची शराब तो नहीं छुपा रखी है। बस फिर क्या था पुलिसकर्मियों ने दौड़ाया, तो महिला भी भागी। परिजनों का पुलिस पर आरोप है कि पुलिस के छापे के दौरान कुछ ख़ाकीधारियों ने मृतिका को दौड़ाते हुए लात मारी, जिससें गर्भवती रुचि जमीन पर गिर पड़ी और कुछ देर तड़पने के बाद उसकी मौत हो गई। महिला की मौत के बाद असंद्रा पुलिस मामले को दबाने में जुट गई।

मीडिया में खबर फैलने पर अधिकारियों में हड़कंप मच गया और देर रात घटनास्थल पर पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे। घटना पर लीपापोती करने की कोशिश की गई। लेकिन ग्रामीणों के विरोध और परिजनों द्वारा शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने से इनकार करने पर पुलिसकर्मी कार्यवाही करने के लिए तैयार हुए। लेकिन इस पूरे मामले पर रामसनेहीघाट सर्किल के सीओ सुशील कुमार सिंह और एसडीएम राहुल यादव इस पूरे प्रकरण में पुलिस कर्मियों की गलती मानने से इनकार करते रहे परंतु काफ़ी मशक्कत के बाद पुलिस अधिकारियों ने मृतिका के परिजनों से तहरीर के आधार पर आगे की कार्रवाई करने की बात कही है।

हालांकि पुलिस असंवेदनहीनता का यह पहला मामला नहीं, जिससे ख़ाकी शर्मसार हुई हो। ऐसे और भी कई मामले हैं, जिसकी वजह से समाज ख़ाकी वर्दी वालों को हीन भावना से देखता है और इसका सबसे उचित उदाहरण असन्दरा पुलिस है, जो कि अपने अधिकारियों की नज़रों के सामने अवैध शराब के अड्डों का भंडाफोड़ करने में इतनी अंधी हो चुकी है कि वो ऐसी असंवेदनहीनता पर उतारू हो गई है। ऐसे में यह एक बेहद गंभीर सवाल है कि ऐसे पुलिस कर्मियों पर पुलिस के आला अधिकारी किस तरह की कार्रवाई करेंगे?

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