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अजीत सिंह हत्याकांड: मुख्तार के करीबी को मारने वाले ने दी सरेंडर एप्लीकेशन
अजीत सिंह एक माफिया और अपराधी था। इसके खिलाफ 17-18 मुकदमें दर्ज थें। जिसमें से पांच हत्या के थें। इसको हाल ही में 31 दिसंबर को जिला मजिस्ट्रेट ने जिला बदर किया था। बताया जा रहा है कि उसे पुलिस एनकाउन्टर का भय सता रहा था।
लखनऊ। पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पॉश इलाके गोमती नगर में रात हुए गैंगवार में मऊ के पूर्व ब्लॉक प्रमुख और बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के करीबी और अजीत सिंह हत्याकांड के आरोपित वाराणसी के इनामी शूटर कन्हैया विश्वकर्मा उर्फ गिरधारी उर्फ डॉक्टर ने सरेंडर एप्लीकेशन दी है। लखनऊ के विभूतिखण्ड में हुई अजीत सिंह की हत्या में गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ डॉक्टर नामजद है।
अजीत सिंह हत्याकांड
आपको बता दें कि अजीत सिंह एक माफिया और अपराधी था। इसके खिलाफ 17-18 मुकदमें दर्ज थें। जिसमें से पांच हत्या के थें। इसको हाल ही में 31 दिसंबर को जिला मजिस्ट्रेट ने जिला बदर किया था। बताया जा रहा है कि उसे पुलिस एनकाउन्टर का भय सता रहा था। वाराणसी से लेकर आजमगढ़ तक कई वारदातों को अंजाम दे चुका गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ डॉक्टर लखनऊ के विभूतिखण्ड में हुई अजीत सिंह की हत्या में नामजद है।
लखनऊ पुलिस ने दर्ज किया इन आरोपियों के नाम
राजधानी लखनऊ में हुए इस गैंगवार में घायल मोहर सिंह के तहरीर पर लखनऊ पुलिस ने धु्रव सिंह कुंटू, अखंड प्रताप सिंह और वाराणसी के इनामी शूटर कन्हैया विश्वकर्मा उर्फ डॉक्टर उर्फ गिरधारी के नाम मुकदमा दर्ज किया है। कन्हैया विश्वकर्मा उर्फ गिरधारी उर्फ डॉक्टर एक बेहद खतरनाक शूटर है। मऊ जिले का पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह भी बुलेटप्रूफ वाहन से चलता था। इसके बावजूद भी उसने ताबडतोड फायरिंग कर उसकी हत्या कर दी।
अंधाधुंध फायरिंग कर दिनदहाड़े हुई हत्या
इससे पहले 30 सितंबर 2019 को वाराणसी के सदर तहसील परिसर में बुलेटप्रूफ वाहन में बैठने जा रहे असलाहधारी सारनाथ थाने के हिस्ट्रीशीटर नीतेश सिंह उर्फ बबलू पर अंधाधुंध फायरिंग कर दिनदहाड़े हत्या की गई थी। उसके बाद पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीम ने लगातार गिरधारी उर्फ डॉक्टर की गिरफ्तारी के लिए बिहार तक छापेमारी की लेकिन गिरधारी को पुलिस नहीं पकड़ सकी। पूर्वांचल के एक बाहुबली पूर्व सांसद की सरपरस्ती में सनसनीखेज वारदात को अंजाम देने के लिए कुख्यात चोलापुर थाने के हिस्ट्रीशीटर गिरधारी का नाम वाराणसी में पहली बार वर्ष 2001 में जैतपुरा क्षेत्र में लूट के मामले में सामने आया था।
रिपोर्ट : श्रीधर अग्निहोत्री
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