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Mahakumbha 2025: कुम्भ जैसा दुनिया में कोई आयोजन नहीं

Mahakumbha 2025: विश्व इतिहास और विभिन्न संस्कृतियों की परम्पराओं में भी कुम्भ जैसे आयोजन की एक भी झलक देखने को नहीं मिलती है तथा समस्य संसार के राजतन्त्र, गणतन्त्र, लोकतन्त्र, अधिनायक तन्त्र और साम्यवादी व्यवस्थाओं के समस्त इतिहास में भी ऐसा एक भी उद्धरण नहीं मिलता, जिसे कुम्भ पर्व के समकक्ष रखा जा सके।

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Newstrack Network
Published on: 21 Nov 2024 5:15 PM IST
Mahakumbha 2025 ( Pic- Social- Media)
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Mahakumbha 2025 ( Pic- Social- Media)

Mahakumbha 2025: सम्पूर्ण विश्व की मानव जाति के उपलब्ध समस्त ज्ञान के आधार पर यह कहा जा सकता है कि पूरे विश्व में कहीं भी कुम्भ जैसा कोई आयोजन नहीं होता है। विश्व इतिहास और विभिन्न संस्कृतियों की परम्पराओं में भी कुम्भ जैसे आयोजन की एक भी झलक देखने को नहीं मिलती है तथा समस्य संसार के राजतन्त्र, गणतन्त्र, लोकतन्त्र, अधिनायक तन्त्र और साम्यवादी व्यवस्थाओं के समस्त इतिहास में भी ऐसा एक भी उद्धरण नहीं मिलता, जिसे कुम्भ पर्व के समकक्ष रखा जा सके।


एकमात्र भारतवर्ष ही ऐसा देश है, जहां पर अपनी तरह का यह अनूठाआयोजन होता है। सैकड़ों वर्षों से सभी जातियों, भिन्न सामाजिक स्तरों, विचारधाराओं के लोग कुम्भ मेला आयोजन में सम्मिलित होते रहे हैं। कुम्भपर्व मानव समूह को अमरत्व एवं अमृत कथा के इस तथ्य से अवगत कराता है कि प्राणियों का शरीर नश्वर है, जो क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा अर्थात् पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु इन पाँच तत्वों से मिलकर बना है. जिसके अन्दर आत्मा का निवास होता है तथा आत्मा अमर है अर्थात् कुम्भ जीवित प्राणियों की आत्मा की अमरता और पंचतंत्वों से बने शरीर (देह) की नश्वरता की ओर ध्यान इंगित कराता है।


कई निर्धारक तत्व एक साथ मिलकर कुम्भ पर्व का संयोग बनाते हैं, जिसका वास्तविक दृश्यांकन कुम्भ मेले के रूप में देखने को मिलता है।ग्रह संयोग, धर्म, आस्था, पवित्र नदियां, वृक्ष, साधु-संन्यासी, श्रद्धालु, तीर्थयात्री तथा मेला, स्नान सभी कुम्भ पर्व में समाए हुए हैं। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि कुम्भ मानवता के ऐसे समूह के लिए सार्वजनिक खुला मंच है, जो जन्म और मरण के अनवरत चलने वाले चक्र से अपने को मुक्त करना चाहता है।कुम्भ मेले को विश्व के सबसे बड़े ऐसे धार्मिक जनसमूह या आस्तिकों की भीड़ के रूप में देखा जा सकता है, जहां सम्पूर्ण देश के विभिन्न प्रदेशों से, विभिन्न भाषाएं बोलने वाले और विभिन्न मतों के लोग एक साथ एकत्रित होते हैं।


इस पर्व के आयोजनों को देखने के लिए सम्पूर्ण विश्व से बहुत से लोग, रिपोर्टर, मीडिया आदि आते हैं। यदि इसमें भाग लेने वाले श्रद्धालुओं कीसंख्या भी देखी जाए तो यह विश्व के किसी भी मेले में उपस्थित होने वालेलोगों से सर्वाधिक है।कुम्भ ज्योतिषीय गणना पर आधारित होता है जिसे एक स्नान पर्व, एक मेला तथा एक तीर्थयात्रा के रूप में जाना जाता रहा है।

( उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग से प्रकाशित पुस्तक कुम्भ-2019

प्रयागराज से साभार।)



Shalini Rai

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