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प्रीपेड मीटर की कीमत कस्टमर से लिए जाने का होगा विरोधः उपभोक्ता परिषद
Revamp Scheme In UP: उपभोक्ताओं के घर लगने वाले स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कास्ट उपभोक्ताओं की बिजली दर में डालने व कैपिटल कॉस्ट पर हर माह जीएसटी वसूलने का विरोध शुरू हो गया है।
Lucknow: उत्तर प्रदेश में रेवेम्प योजना (Revamp Scheme in Uttar Pradesh) के तहत उपभोक्ताओं के घर लगने वाले स्मार्ट प्रीपेड मीटर (smart prepaid meter) की कास्ट उपभोक्ताओं की बिजली दर में डालने व कैपिटल कॉस्ट पर हर माह जीएसटी वसूलने की योजना का विरोध शुरू हो गया है। उप्र राज्य उपभोक्ता परिषद् (UP State Consumer Council) ने कहा है कि यह पूरी तरह से केंद्र सरकार (Central government) का उपभोक्ता विरोधी कानून है।
उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन रेवेम्प योजना के तहत पूरे प्रदेश में सभी घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं के घरों में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने की योजना है। जिसका टेंडर बिजली कंपनियों द्वारा जारी कर दिया गया है लेकिन सवाल इस बात का है कि उस पर आने वाले खर्च की भरपाई प्रदेश का उपभोक्ता क्यों करें ।
केंद्र अपनी नीति में बदलाव करे- उपभोक्ता परिषद
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की योजना के तहत यदि केंद्र चाहता है कि उपभोक्ताओं के घरों में इस योजना के तहत प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जाए तो उसका खर्च वह स्वयं वहन करें। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता परिषद की मांग है कि वह अपनी नीति में बदलाव करें और इस पर आने वाले खर्च की भरपाई स्वयं उठाएं क्योंकि इस समय उपभोक्ताओं के घरों में जो मीटर लगा है उसका मूल्य उपभोक्ताओं ने बिजली का कनेक्शन लेते वक्त दिया है और उसकी गारंटी भी 5 साल की होती है। ऐसे में केंद्र सरकार की नीति के तहत उपभोक्ताओं के घर में प्रीपेड स्मार्ट मीटर रूपी कोई भी बदलाव किया जाना और उसका मूल्य उपभोक्ताओं से लिया जाना संवैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन है जिसका उपभोक्ता परिषद हर स्तर पर विरोध करेगा ।
प्रीपेड स्मार्ट मीटर की कुल लागत रुपया 6000 आंका गया
उ.प्र. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा (Awadhesh Kumar Verma) ने कहा रेवमप योजना के तहत जारी स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट में साफ कहा गया है कि योजना में प्रीपेड स्मार्ट मीटर की कुल लागत रुपया 6000 आंका गया है जिसमें केंद्र सरकार द्वारा रुपया 900 का वहन करने और रुपया 5100 बिजली कम्पनियों को खर्च करना है।
उपभोक्ता परिषद् पहले ही इस पूरे मामले पर प्रदेश के ऊर्जामंत्री को अवगत करा चुका है जिस पर उनके द्वारा कार्यवाही का भरोसा दिया गया था ।उन्होंने कहाकि उपभोक्ता परिषद जनहित में प्रदेश सरकार पावर कार्पोरेशन प्रबंधन से यह मांग करती है कि केंद्रीय ऊर्जामंत्रालय को सरकार यह प्रस्ताव भेज कर अनुरोध करे की हर माह जो प्रति स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कैपिटल कॉस्ट पर जीएसटी वसूल की जाएगी उसे खत्म किया जाय ।
साथ ही उपभोक्ताओ पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने वाले खर्च की भरपाई उपभोक्ताओ से बिजली दर में न हो केंद्र सरकार प्रति स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर होने वाले रुपया 6000 को अनुदान में कन्वर्ट करे जिससे उसका भार प्रदेश के उपभोक्ताओ पर न पड़े ।