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सपा-बसपा गठबंधन की गणित खराब कर सकते हैं पूर्वांचल के ये कद्दावर नेता

सपा-बसपा गठबंधन में सीट के बंटवारे के बाद कई क्षेत्रों में समीकरण बिगड़ रहे हैं। खासतौर पर गोरखपुर के आसपास के जिलों में जिन कद्दावर नेताओं के सामने टिकट ना मिलने का खतरा उत्पन्न हुआ है। वह दूसरे दलों में टिकट पाने की कोशिश में जुट गए हैं। भाजपा व कांग्रेस इस बिगड़े समीकरण का लाभ उठा सकती है।

Aditya Mishra
Published on: 27 Feb 2019 4:28 PM IST
सपा-बसपा गठबंधन की गणित खराब कर सकते हैं पूर्वांचल के ये कद्दावर नेता
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गोरखपुर: सपा बसपा गठबंधन में सीट के बंटवारे के बाद कई क्षेत्रों में समीकरण बिगड़ रहे हैं। खासतौर पर गोरखपुर के आसपास के जिलों में जिन कद्दावर नेताओं के सामने टिकट ना मिलने का खतरा उत्पन्न हुआ है। वह दूसरे दलों में टिकट पाने की कोशिश में जुट गए हैं। भाजपा व कांग्रेस इस बिगड़े समीकरण का लाभ उठा सकती है।

वहीं भाजपा ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की तैयारी में है। जिनका अपना भी जनाधार हो उन क्षेत्रों में गहन पड़ताल चल रही है। जहां बीते 2 वर्षों में सांसद के विरोधी सुर निकले हैं। इसके अलावा जनता में लोकप्रिय हो चुके सांसदों के टिकट पर भी तलवार लटक गई है। वहीं बस्ती, संतकबीर नगर ,महाराजगंज की तीन सीटों में एक सपा तो 2 बसपा के खाते में जाने से शीर्ष नेतृत्व से नाराज पार्टी के कद्दावर नेता कभी भी सपा -बसपा का साथ छोड़ सकते हैं।

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आपको बता दें कि हरैया से तीन बार के विधायक और सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके राज किशोर सिंह बसपा के खाते में जाने से शीर्ष नेतृत्व से नाराज हैं वह कभी भी समाजवादी पार्टी छोड़ सकते हैं। इनके कांग्रेस अथवा भाजपा में जाने की चर्चा है।

जब राज किशोर सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सपा कार्यकर्ता मंडल की सभी सीटें बसपा को दिए जाने से नाराज हैं। आगे वह क्या कदम उठाएंगे के सवाल पर उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। हालांकि समर्थकों के रायशुमारी से राजकिशोर सिंह कैंप कार्यालय में अपने अलग अलग समर्थकों के साथ रायशुमारी कर रहे हैं।

एक समय था जब समाजवादी पार्टी में राज किशोर की खूब चलती थी। इनकी मजबूती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है, कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में वह योगी आदित्यनाथ के गढ़ में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी को जीता कर अपने राजनीतिक कला कौशल का लोहा मनवा चुके हैं।

लेकिन पार्टी में उन्हें इनाम मिलने की जगह उनका कद छोटा करने की साजिश की जाने लगी। एमएलसी चुनाव में पार्टी ने उनके भाई डिंपल का टिकट काटा और बाद में राज किशोर की ही मंत्रिमंडल से छुट्टी कर दी। शिवपाल के बगावत करने और अलग दल बनाने के बाद भी वह अखिलेश यादव के साथ जुड़े रहे। चुनाव में टिकट मिलने की उम्मीद थी तो पार्टी ने इस सीट को बसपा की झोली में डाल दिया।

वहीं संतकबीर नगर किस सीट बसपा के झोली में जाने से सपा के कद्दावर नेता व पूर्व सांसद भालचंद्र यादव भी सपा शीर्ष नेतृत्व से नाराज हैं।

लोकसभा चुनाव में पूर्व सांसद भालचंद यादव को सपा से टिकट न मिलने के बाद पूर्व सांसद के समर्थन में हजारों से अधिक लोग उनके समर्थन में उनके घर पर पहुँच गए। समर्थकों ने पुनः भालचंद यादव को प्रत्याशी बनाने को लेकर जमकर नारेबाजी की और अपनी ताकत का एहसास सपा मुखिया को कराया। भीड़ का समर्थन देख भालचंद यादव फफक कर रोने लगे।

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बताते चले कि संतकबीरनगर जिले में सपा के पूर्व सांसद भालचंद यादव पब्लिक के काफी करीबी नेता माने जाते हैं, वहीं सपा और बसपा गठबंधन में संतकबीरनगर जिले में सपा के प्रत्याशी को टिकट न मिलकर बसपा के पूर्व सांसद कुशल तिवारी को प्रत्याशी बनाया गया है।

सपा-बसपा गठबंधन में सपा के पूर्व सांसद भालचंद यादव को प्रत्याशी न बनाये जाने पर पूर्व सांसद के समर्थक और आम पब्लिक के सपा के नीतियों के खिलाफ काफी रोष देखने को मिल रहा है। लोगों ने कयास लगाना शुरू कर दिया है कि भालचंद जल्द ही बीजेपी में जा सकते हैं। हालांकि भालचंद ने अभी ऐसी कोई बात नहीं कही है लेकिन आने वाले दिनों में कुछ कहा नहीं जा सकता।

भालचंद यादव और मुख्यमंत्री योगीआदित्यनाथ के संबंध बहुत ही अच्छे हैं। खुद भालचंद यादव अपनी सुरक्षा की गुहार लगाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले थे और उन्होंने मीडिया से कहा भी था कि हमारी दोस्ती काफी पुरानी है। जब पहली बार सांसद बनकर योगी जी आए तो वह हमारे साथ बहुत ज्यादा बात चीत और समय बिताते थे। हालांकि बीते दिनों में पूर्व सांसद संतकबीरनगर के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिल चुके हैं ,कयास यही लगाया जा रहा है कि बीजेपी की नजर भालचंद यादव पर बनी हुई है।

वहीं महाराजगंज लोक सभा सीट सपा के खाते में है। यहाँ से सपा ने इस सीट से निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद को प्रत्याशी बनाया है। बसपा से पूर्व एमएलसी व विधान परिषद के पूर्व उपसभापति रह चुके गणेश शंकर पांडेय का टिकट काटने से उनके समर्थक काफी नाराज है।आप को बता दे पूर्वांचल के बाहुबली नेता पंडित हरिशकर तिवारी के भांजे है। हरिशंकर तिवारी का हर दलों से अच्छा खासा संबंध है।हालांकि गणेश शंकर पांडेय ने अभी तक टिकट कट जाने पर कोई भी प्रतिक्रिया नही दी है। लेकिन समर्थकों में काफी रोष है।

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Aditya Mishra

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