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Jeth Ka Teesara Bada Mangal: जेठ का तीसरा मंगल, दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर में हुआ विशाल भंडारा

Jeth Ka Teesara Bada Mangal: राजधानी में जेठ महीने के सभी मंगलवार को कोई भूखा नहीं रहता है। तपती दोपहरी में लखनऊ के हर चौक चौराहों पर आपको भंडारा चलता मिल जाएगा।

Rahul Singh Rajpoot
Published on: 31 May 2022 7:37 PM IST (Updated on: 31 May 2022 7:42 PM IST)
Jeth Ka Teesara Bada Mangal
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Jeth Ka Teesara Bada Mangal (Photo Credit: Newstrack)

Lucknow: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजधानी में जेठ महीने के सभी मंगलवार को कोई भूखा नहीं रहता है। तपती दोपहरी में लखनऊ के हर चौक चौराहों पर आपको भंडारा चलता मिल जाएगा। जहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस भंडारे से ऐसे हजारों लोगों का दोनों टाइम पेट भरता हैं जो दो जून की रोटी के लिए भटकते हैं। जेठ माह के सभी मंगल को पूरे शहर में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिशाल भी दिखाई देती है। जाति-धर्म के भेदभाव को भुलाकर हर कोई बजरंगबली का प्रसाद ग्रहण करता है। इस आयोजन में छोटे से बड़ा हर आदमी अपनी भागीदारी दिखाता है।

आज जेठ के तीसरे मंगल पर लक्ष्मण जी की नगरी में अखिलेश दास फाउंडेशन (Akhilesh Das Foundation) की ओर से हजरतगंज के दक्षिण मुखी मंदिर (South facing Hanuman temple of Hazratganj) पर विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। बीबीडी समूह की चेयरपर्सन अलका दास व विराज सागर दास की देखरेख में विशाल भण्डारे का आयोजन हुआ।

भंडारे का शुभारम्भ बीबीडी समूह की चेयरपर्सन अलका दास व विराज सागर दास ने विधिपूर्वक बजरंगबली की पूजा अर्चना के साथ किया। ऐसे भंडारे का आयोजन पूरे लखनऊ में सैकड़ों स्थानों पर किया गया। जहां हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। इस आयोजन से लखनऊ में आपसी भाईचारा की बड़ी मिशाल भी दिखाई देती है। जहां बिना किसी राग द्वेष के इतना बड़ा आयोजन होता है होता है।


400 साल पुराना है बड़ा मंगल का इतिहास

लखनऊ में बड़ा मंगल की परंपरा करीब 400 वर्ष पहले की है। अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर की स्थापना (Establishment of Hanuman Mandir) नवाब शुजाउद्दौला की बेगम और दिल्ली की मुगलिया खानदान की बेटी आलिया बेगम ने करवाई थी। 1792 से 1802 के बीच मंदिर का निर्माण हुआ था। कथानक है कि बेगम के सपने में बजरंगबली आए थे। बजरंगबली ने सपने में एक टीले में प्रतिमा होने का हवाला दिया था।

बड़ी बेगम ने टीले को खोदवाया और बजरंगबली की प्रतिमा को हाथी पर रखकर मंगाया। गोमती पार प्रतिमा स्थापित करने की मंशा के विपरीत हाथी अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर से आगे नहीं बढ़ सका। उत्सव के साथ मंदिर की स्थापना की गई।


मंदिर के गुंबद पर चांद का निशान एकता और भाईचारे का प्रतीक

मंदिर के गुंबद पर चांद का निशान एकता और भाईचारे की मिसाल पेश करता है। स्थापना काल के दो तीन वर्षों के बाद फैली महामारी को दूर करने के लिए बेगम ने बजरंगबली का गुणगान किया तो महामारी समाप्त हो गई। तभी ये प्रथा चली आ रही है।



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Shashi kant gautam

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