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Lucknow University में चल रहा तृतीय राष्ट्रीय समाज कार्य सप्ताह, दूसरे दिन 'आपराधिक न्याय व्यवस्था' पर हुआ वेबिनार

Lucknow University: कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनूप कुमार भारतीय ने इस आयोजन की रूपरेखा बताते हुए अतिथि वक्ताओं एवं प्रतिभागियों का औपचारिक स्वागत किया।

Shashwat Mishra
Published on: 16 Aug 2022 8:27 PM IST
Third National Social Work Week going on in Lucknow University webinar
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Third National Social Work Week going on in Lucknow University webinar (Image: Newstrack)

Lucknow University: राजधानी के लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) के समाज कार्य विभाग व नेशनल एसोसिएशन ऑफ प्रोफेशनल सोशल वर्कर्स इन इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में तृतीय राष्ट्रीय समाज कार्य सप्ताह का आयोजन 15-21 अगस्त के बीच में किया जा रहा है। जिसका मुख्य विषय 'समाज कार्य शिक्षा एवं व्यवसाय @2030' है। मंगलवार को समाज कार्य सप्ताह के दूसरे दिन समाज कार्य व्यवसाय एवं आपराधिक न्याय व्यवस्था विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें इस क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिए।

'समाज कार्य शिक्षा एवं व्यवसाय @2030'

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनूप कुमार भारतीय ने इस आयोजन की रूपरेखा बताते हुए अतिथि वक्ताओं एवं प्रतिभागियों का औपचारिक स्वागत किया। समन्वयक डॉ ओमेंद्र कुमार यादव ने मुख्य विषय का सूक्ष्म परिचय देते हुए कानून प्रवर्तन एजेंसियों, न्यायालय, जेलों और परिवीक्षा एजेंसियों की भूमिका को रेखांकित किया।

समाज के असली शत्रु हैं गरीबी, अशिक्षा व बेरोजगारी

अतिथि वक्ता के रूप में अहमदाबाद के राष्ट्रीय रक्षा विश्विद्यालय से पधारे डॉ. शहंशाह गुलफाम ने बताया कि समाज के असली शत्रु गरीबी, अशिक्षा, बेरोज़गारी आदि हैं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं का मुख्य केंद्र इनमें सुधार होना चाहिये। उन्होंने पारंपरिक सामाजिक कार्य पद्धति के साथ साथ इसमें हो रहे नवीन प्रयोगों को चिन्हित करते हुए इस्राएली समाज कार्य मॉडल के आधार पर काम करने के लिए भी प्रेरित किया।

मनोवैज्ञानिक स्तर पर सकारात्मक परिवर्तन लाने की बात

मुरादाबाद के सिविल जज/न्यायिक मजिस्ट्रेट अंकित वर्मा अतिथि वक्ता रहे, जिन्होंने आपराधिक न्याय व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए अपराधियों में मनोवैज्ञानिक स्तर पर सकारात्मक परिवर्तन लाने की बात कही। जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता केंद्रीय भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने सरकार के द्वारा किये जा रहे कार्यों पर प्रकाश डालते हुए एक मोबाइल एप के बारे में भी बताया, जो फॉरेंसिक जाँचों में अत्यंत सहायक होगा।



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Rakesh Mishra

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