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ये है 'सौभाग्य योजना' की हकीकत, पढ़ें ये रिपोर्ट

केंद्र सरकार के द्वारा एक कनेक्शन के बदले काम करने वाली कंपनी को 4 हज़ार रुपए दिए जाने है , जब इस बारे में ज़िले के अधीक्षण अभियंता से बात की गई तो वह मानने के लिए तैयार ही नही थे कि इस तरह ज़िले में काम हो रहा है सबूत दिखाये जाने पर बोले कि समय कम है और काम ज़्यादा अगर शिकायत आती है तो कार्यवाही होगी

Shivakant Shukla
Published on: 7 Feb 2019 3:48 PM GMT
ये है सौभाग्य योजना की हकीकत, पढ़ें ये रिपोर्ट
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इटावा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना " सौभाग्य योजना" जिसके तहत ग्रामीणों को बिजली दी जाती है। हर घर बिजली पहुँचाने की स्कीम को इटावा के बिजली विभाग और ज़िले में इस योजना में काम करने वाली कंपनी "अशोका" की मिलीभगत से गोरखधंधा सामने आया है।

जैसे जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे है वैसे वैसे केंद्र में मोदी सरकार अपने द्वारा दी जाने वाली महत्वपूर्ण योजनाओं को आम लोगो तक पहुँचाने के लिए तेज़ी दिखा रही है ताकि इन योजनाओं का लाभ लोगो को सीधे मिल सके ओर इसका फायदा मोदी सरकार को आने वाले लोकसभा चुनाव में मिल सके लेकिन इटावा में बिजली विभाग के अधिकारी अपनी उदासीनता के चलते या कहिये कि पेसो की लालच में केंद्र सरकार की योजनाओं में पलीता लगाने में जुटे हुए है|

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दरअसल इटावा ज़िले के दर्जनों गाँव से आ रही शिकायतों के चलते कि सौभाग्य योजना के तहत दिए जाने वाले मुफ्त बिजली कनेक्शन में काम करने वाली कंपनी अशोका बिल्डकॉम जो की नासिक की एक प्राइवेट कंपनी है और जो इटावा ज़िले में पिछले जून से ज़िले के ग्रामीण क्षेत्रो में बिजली पहुँचाने का ठेका मिला हुआ है मनमाने तरीके से काम कर रही है और केवल घरों में बिजली के मीटर टांग कर चली आ रही है|

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जबकि इस योजना के तहत दिए जाने वाले कनेक्शन (एक पी वी सी पाइप ,एक लोहे का पाइप, एक लकड़ी का बोर्ड, चटकनी के साथ ही एक एल ई डी बल्ब) देना है की जगह दर्जनों गांव में जिसमे भरथना ब्लॉक के सरैया, नगला अन्ते, मींगुपुर, सलेमपुर, बहादुरपुर, बसरेहर ब्लॉक के बहादुरपुर लुहिया, चौबिया, परोली रमायन में केवल मीटर टांग कर बिना बिजली चालू किये काम को पूरा दिखाया जा रहा है इस योजना को पूरा करने के लिए 72 हज़ार घरों तक बिजली पहुँचाना है और अभी तक इसी तरह 52 हज़ार घरों में काम पूरा किया गया है|

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बताते चले कि केंद्र सरकार के द्वारा एक कनेक्शन के बदले काम करने वाली कंपनी को 4 हज़ार रुपए दिए जाने है , जब इस बारे में ज़िले के अधीक्षण अभियंता से बात की गई तो वह मानने के लिए तैयार ही नही थे कि इस तरह ज़िले में काम हो रहा है सबूत दिखाये जाने पर बोले कि समय कम है और काम ज़्यादा अगर शिकायत आती है तो कार्यवाही होगी, वही गाँव वालो में इसको लेकर बेहद नाराज़गी है साथ ही उनका कहना है कि हमे इस योजना के तहत बिजली तो मिल नही रही बल्कि कनेक्शन के समय हमसे कनेक्शन के बदले पैसे भी लिए गये।

Shivakant Shukla

Shivakant Shukla

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