बड़ी चमत्कारी दवा: तेजी से ठीक हो रहे कोरोना के मरीज, बस डोज पर देना होगा ध्यान

कोरोना वायरस का प्रकोप पूरी दुनिया झेल रही है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। लेकिन कोरोना के इलाज के सिलसिले में एक अच्छी खबर है।

Newstrack
Published on: 11 Aug 2020 11:47 AM GMT
बड़ी चमत्कारी दवा: तेजी से ठीक हो रहे कोरोना के मरीज, बस डोज पर देना होगा ध्यान
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बड़ी चमत्कारी दवा: तेजी से ठीक हो रहे कोरोना के मरीज, बस डोज पर देना होगा ध्यान

लखनऊ: कोरोना वायरस का प्रकोप पूरी दुनिया झेल रही है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। लेकिन कोरोना के इलाज के सिलसिले में एक अच्छी खबर है। बगैर लक्षण या हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीजों के इलाज के लिए एक दवा आइवरमेक्टिन के बेहतर परिणाम मिल रहे है। आमतौर पर जुएं मारने और दाद-खुजली जैसे इंफेक्शन में दी जाने वाली यह दवा केवल कोरोना मरीजों को ही नहीं बल्कि उसकी देखरेख करने वाले चिकित्साकर्मियों और तीमारदारों के लिए भी कारगर साबित हो रही है। इस दवा के परिणामों को देखते हुए यूपी सरकार ने राज्य में सभी जिलों के मुख्य चिकित्साधिकारियों को बगैर लक्षण व हल्के लक्षण वाले मरीजों तथा उनके संपर्क में आये लोगों को आइवरमेक्टिन दवा देनी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि यह दवा 48 घंटे में कोरोना वायरस को खत्म कर देती है।

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मरीजों को आइवरमेक्टिन कब और कितनी डोज दी जानी चाहिए

आइवरमेक्टिन दवा को मरीजों को दिए जाने को लेकर महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डा. डीएस नेगी की अध्यक्षता में बीती 04 अगस्त को हुई तकनीकी विशेषज्ञों की एक महत्वपूर्ण बैठक में तय किया गया कि मरीजों को आइवरमेक्टिन कब और कितनी डोज दी जानी चाहिए। इस बैठक के बाद यूपी के अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने यूपी में कोरोना संक्रमितों के इलाज और बचाव के लिए लिए हाइड्रॉक्सीक्लारोक्वीन की जगह आइवरमेक्टिन के प्रयोग को हरी झंडी दे दी।

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गर्भवती महिलाओं व 02 वर्ष से कम आयु के बच्चों को यह दवा नहीं दी जानी है

बीती 09 अगस्त को स्वास्थ्य विभाग से जारी निर्देशों के मुताबिक कोरोना संक्रमित व्यक्ति को रात के खाने के दो घंटे बाद आइवरमेक्टिन दवा की मरीज के वजन के हिसाब से अधिकतम 12 मिग्रा. की डोज तीन दिन तक दी जायेगी। लेकिन गर्भवती महिलाओं व 02 वर्ष से कम आयु के बच्चों को यह दवा नहीं दी जानी है। इसी तरह मरीज के तीमारदार और घर के अन्य सदस्यों को आइवरमेक्टिन की डोज पहले व सातवें दिन रात के भोजन के दो घंटे बाद दिया जाएगा। जबकि कोरोना संक्रमितों के इलाज व नियंत्रण में लगे स्वास्थ्य कर्मियों को संक्रमण से बचाव के लिए पहले, सातवें और 30वें दिन यह दवा दी जाएगी।

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बता दे कि बीती 03 अप्रैल को एंटीवायरल जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च में एंटी-पैरासिटिक ड्रग आईवरमैक्टिन से कोरोना के इलाज की बात कही गई थी। शोध के मुताबिक, आईवरमैक्टिन देने के बाद कोशिशओं पर वायरस को 48 घंटे में 05 हजार गुना तक कम किया जा सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस दवा का एचआईवी, डेंगू, इंफ्लूएंजा और जीका वायरस पर भी असर होता है। फिलहाल देश में दिल्ली के एम्स, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और मैक्स हॉस्पिटल व आरडी गार्गी मेडिकल कॉलेज उज्जैन समेत कई देशों में आईवरमेक्टिन टैबलेट के इस्तेमाल के उत्साहजनक परिणाम मिले हैं।

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