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बुंदेलखंड में गायों की हालत देख रो पड़ा यह मुस्लिम, शुरू की खास मुहिम
Irfan Pathan
महोबा: सूखे बुंदेलखंड में महोबा की हालत बदतर है। इंसान से लेकर जानवर तक सभी सूखे की मार झेल रहे हैं। जानवरों के लिए भूसे तक का इंतजाम नहीं हो रहा। वह भूख से दम तोड़ रहे हैं। बेजुबान जानवरों की ये हालत देख दिल्ली के दो दोस्त आगे आए हैं। उन्होंने न केवल गायों के खाने का इंतजाम किया है, बल्कि अस्थाई पशुशाला खोलकर उन्हें पालने का भी बंदोबस्त किया है।
महोबा में रहने वाले नसीर सिद्दीकी ने भूख से मर रही गायाें की स्थिति को देख दिल्ली में रह रहे अपने दोस्त से मदद मांगी। मित्र सुनील शर्मा की मदद से हिन्दू-मुस्लिम की इस जोड़ी ने सूखे से दम तोड़ रही सौ गायों को पालने का काम ग्रामीणों की मदद से शुरू किया है।
देखिए वीडियो...
भूख से तड़प रहे जानवर
गांवों में भूसा वितरण के नाम सिर्फ एक बार ही ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासन द्वारा भूसा दिया गया जो नाकाफी साबित हो रहा है। ऐसे में किसान अपने जानवरों को छोड़ने को मजबूर हैं। आफत इस कदर सामने आ चुकी है कि सैकड़ों जानवर भूख और प्यास से तड़प कर दम तोड़ चुके हैं बुंदेलखंड के महोबा के हालात सबसे अधिक ख़राब हैं। तस्वीरें ये बताने के लिए काफी हैं कि महोबा में गायों का बुरा हाल है।
बिना सरकारी मदद के उठाई जिम्मेदारी
बुंदेलखंड के नसीर सिद्दीकी ने अपने दिल्ली के दोस्त मयंक गुप्ता और सुशील शर्मा को यहां कि हालातों की जानकारी दी थी। इसके बाद तीनों ने महोबा आकर यहां के हालातों को नजदीक से देखा। सबसे ज्यादा जानवर इस आपदा का शिकार नजर आए। गांवों में मृत पड़ी गायों को देखकर इनका दिल पसीज उठा और आख़िरकार इन दोस्तों ने सरकारी मदद के बगैर गायों को पालने की जिम्मेदारी उठा ली।
अस्थाई पशुशाला की शुरुआत की
ग्राम भड़रा में इन्होंने ग्रामीणों की मदद से अस्थाई पशुशाला का शुभारंभ किया। इस पशुशाला में गायों के लिए पीने का पानी और खाने के लिए भूसे का बंदोबस्त किया गया। जो लोग मुस्लिम को गाय विरोधी मानते हैं उनके लिए नसीर सिद्द्की किसी नजीर से कम नहीं हैं। इनकी ही पहल पर गायों को बचाने का काम किया जा रहा है।
पशुशाला में भूसा देख दौड़ पड़ीं गायें
नसीर की माने तो गायों पर राजनीति करने वाले बहुत हैं पर इनकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आता। मैंने जब यहां के हालात देखे तो मुझे बड़ा अफ़सोस हुआ और मैंने अपने दोस्त सुशील शर्मा जी के साथ मिलकर इस काम को अंजाम दिया। पशुशाला में जैसे ही इन दोस्तों द्वारा खाने के लिए भूसा डाला गया तो सभी भूखी गायें इस ओर दौड़ पड़ीं। यहीं नहीं इन गायों को खाता देख ग्रामीण और दिल्ली से आए दोस्तों ने दुलार किया।
दिल्ली से आए सुशील शर्मा ने क्या कहा
गाय उनके लिए बड़ी अहमियत रखती हैं। इस ओर अखिलेश सरकार नकारी है। कागजों पर विकास के काम हो रहे हैं। यहां के हालातों को देखकर मैंने यह फैसला किया कि बारिश होने तक हम पशुओं को चारा मुहैया कराते रहेंगे। इस काम में सभी को आगे आना चाहिए। समाजसेवी संस्थाएं और राजनीतिक दलों को भी इन जानवरों की मदद करनी चाहिए। भूखी गायों को भोजन कराकर मेरी आंखों में ख़ुशी के आंसू आ गए हैं।
क्या कहते हैं ग्रामीण
महोबा के आस-पास कहीं भी भूसा नहीं रह गया है। वहीं प्रशासन भी भूसा का प्रबंधन नहीं कर रहा। कई जानवर उनके मर गए हैं। भूसे की व्यवस्था न होने से जानवरों को छोड़ दिया गया। अब हमारे गांव में नसीर और सुशील जी ने जो कदम उठाया है वो इंसानियत का है।
एमपी से लाते हैं भूसा
भूसा लाने वाले बलराम ने बताया कि बुंदेलखंड में वह एमपी से भूसा ला रहा है। भूसा बड़ा महंगा मिल रहा है। बहरहाल, बुंदेलखंड में आई सूखे की आपदा में मर रहे बेजुबान जानवरों की मदद के लिए आए ये दोस्त जहां इंसानियत का पैगाम दे रहे हैं, वही सांप्रदायिक सौहार्द को भी बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं।