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जहरीली शराब पीने से हुई मौतें, लेकिन प्रशासन कर रहा इंकार, आखिर क्या है सच

जनपद में तीन लोगों की जहरीली शराब (Poisonous Liquor) पीने से मौत हो गई, लेकिन प्रशासन ने इस बात से साफ इनकार कर दिया है।

Kapil Dev Maurya
Reporter Kapil Dev MauryaPublished By Shreya
Published on: 13 May 2021 11:07 PM IST
जहरीली शराब पीने से हुई मौतें, लेकिन प्रशासन कर रहा इंकार, आखिर क्या है सच
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लोगों से बात करती पुलिस (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

जौनपुर: जनपद अम्बेडकर नगर और आजमगढ़ के बाद अब जनपद जौनपुर के थाना सरायख्वाजा क्षेत्र स्थित ग्राम पकड़ी के तीन लोगों की जहरीली शराब (Poisonous Liquor) पीने से मौत होने की खबर वायरल हुई हैं, हालांकि जिले के प्रशासनिक अधिकारी एवं पुलिस के अधिकारी जहरीली शराब पीने से मौत का खंडन कर रहे हैं। सच क्या है यह तो जांच के बाद स्पष्ट होगा लेकिन इसके पहले जनपद आजमगढ़ एवं अम्बेडकर नगर में जहरीली शराब पीने से बड़ी संख्या में जिस क्षेत्र में मौतें हुईं वह क्षेत्र जौनपुर के पकड़ी गांव लगभग जिले की सीमा पर ग्रामीण इलाके में स्थित है।

यहां बता दें कि अम्बेडकर नगर और आजमगढ़ जनपद में भी इसी क्षेत्र के सीमा वाले गांवो में लोग जहरीली शराब पीने से मर चुके हैं। ग्रामीण जन बताते हैं कि पकड़ी गांव में लाइसेंसी देशी शराब की दुकान थी जो स्थानान्तरित हो कर जपटापुर चली गयी है। वहां पर लॉकडाउन के दौरान कुछ लोग अबैध रूप से शराब की बिक्री कर रहे थे। 12 मई को वहीं से पकड़ी गांव के निवासी रामवृक्ष 45 साल ने देसी शराब खरीदा और घर ले जाकर पति पत्नी दोनों शराब पीए शराब पीने के बाद शाम लगभग 06 बजे रामवृक्ष की पत्नी मीना देवी की हालत बिगड़ी। उसे उपचार के लिए खेतासराय प्राइवेट अस्पताल में ले जाया गया, जो कोरोना के कारण अस्पताल बन्द था, फिर उसे जिला अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही उसकी मौत हो गयी।

शराब के साथ महिलाएं (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

शराब से इनकी भी मौतें

पत्नी की मौत के बाद पति रामवृक्ष की भी हालत गम्भीर हो गयी थी, उसे जनपद मुख्यालय स्थित जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां पर उपचार के दौरान आज रामवृक्ष की भी मौत हो गयी। इसके बाद सोशल मीडिया की दृष्टि पड़ी और खोज बीन शुरू हुई तो पता चला कि इसी शराब के अड्डे से 12 मई को ही पकड़ी गांव के पड़ोसी गांव बर्जी के निवासी चुन्नू 35 साल ने भी देसी शराब खरीद कर पीया था। उसकी भी मौत 12 मई को हो गयी थी।

इसके अलावा आधा दर्जन लोग यहीं से खरीदी गयी शराब को पीने से बीमार भी हैं। खबर सोशल मीडिया पर वायरल होते ही प्रशासन के हाथ पांव फूलने लगे आनन फानन में अपर जिला मजिस्ट्रेट भू राजस्व राज कुमार द्विवेदी के साथ अपर पुलिस अधीक्षक सिटी ग्रामीण त्रिभुवन सिंह एसडीएम एवं सीओ शाहगंज के साथ पुलिस बल के साथ पकड़ी गांव पहुंच गये। वहां जाने के बाद बयान जारी कर दिया कि यहां पर मीना देवी और रामवृक्ष की मौत जहरीली शराब पीने से नहीं हुई है।

गांव में पहुंची पुलिस (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

पोस्टमार्टस से होगा मौत की वजह का खुलासा

मीना की लाश तो जला दिया गया है लेकिन रामवृक्ष के लाश का पोस्टमार्टम कराने के बाद स्पष्ट हो सकेगा कि मौत का कारण क्या है। साथ ही यह भी कहा कि यहां पर पड़ोसी गांव मुड़ैला में खाना बदोशों के मौत की खबर पूरी तरह से झूठी है। यहां कोई खाना बदोश नहीं रहते हैं। जबकि ग्रामीण जनों का कहना है कि यहां पर मुड़ैला गांव में खाना बदोश रहते थे। एक सप्ताह पहले उनके बीच में कई लोगों की मौत होने पर कोरोना संक्रमण से मौत मानते हुए लाश के साथ भगा दिया है।

इस घटना को लेकर गांव की जनता और अधिकारियों के बयान में बड़ा विरोधाभास है। सच कैसे सामने आयेगा यह तो उच्च स्तरीय जांच से स्पष्ट हो सकेगा। सवाल यह है कि जांच करायेगा कौन? अगर साबित हो गया कि शराब जहरीली थी तो सरकारी तंत्र सवालों के कटघरे में होगा कि आखिर लाकडाउन के समय यहां अबैध रूप शराब आयी कैसे? कौन जिम्मेदार है ऐसी शराब की बिक्री के लिए? ऐसी दशा में क्या सच सामने आ सकेगा।



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